अमृतसर उपचुनाव में ‘आप’ को मिले थे रिकार्ड वोट,बड़ा चेहरा बन सकता है कांग्रेस-भाजपा की मुसीबत

Edited By Naresh Kumar,Updated: 13 Feb, 2019 12:24 PM

amritsar lok sabha seat

अमृतसर लोकसभा सीट को लेकर इस चुनाव में होने वाली लड़ाई काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि आम आदमी पार्टी और अकाली दल टकसाली इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाते हैं।

अमृतसर (नरेश): अमृतसर लोकसभा सीट को लेकर इस चुनाव में होने वाली लड़ाई काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि आम आदमी पार्टी और अकाली दल टकसाली इस सीट पर किसे उम्मीदवार बनाते हैं। 2017 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भले ही कांग्रेस को एकतरफा जीत मिली हो लेकिन इसी चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार उपकार सिंह संधू ने 1,49,984 मत हासिल करके सबको चौंका दिया था।ये वोट उपचुनाव के दौरान पड़े कुल 10,16,125 मतों का करीब 15 फीसदी हैं। यह पहला मौका था जब अमृतसर के वोटरों ने तीसरे नंबर के उम्मीदवार को इतने वोट दिए। लिहाजा अब कांग्रेस-भाजपा के साथ-साथ अकाली दल टकसाली, आम आदमी पार्टी और आम आदमी पार्टी खैहरा गुट की नजरें भी इस सीट पर लगी हुई हैं और यदि तीसरे पक्ष ने कोई मजबूत चेहरा मैदान में उतारा तो वह कांग्रेस और भाजपा दोनों के समीकरण बिगाड़ सकता है। इस बीच चर्चा है कि भाजपा स्थानीय नेता के साथ-साथ अच्छी साख वाले सिख व्यक्ति को उम्मीदवार बनाकर मैदान में भी उतार सकती है।

 गुरजीत सिंह औजला
अमृतसर ग्रामीण के अध्यक्ष रहे गुरजीत सिंह औजला 2017 के उपचुनाव के दौरान इस सीट पर राजिंद्र मोहन सिंह छीना को 2 लाख से ज्यादा मतों के साथ हरा कर संसद में पहुंचे हैं। हालांकि इससे पहले औजला अजनाला से विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक थे लेकिन पार्टी ने उन्हें बतौर लोकसभा उम्मीदवार मैदान में उतारा।

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रजिंद्र मोहन सिंह छीना
रजिंद्र मोहन सिंह छीना अमृतसर में भाजपा के इकलौते सिख लीडर हैं। वह खालसा कालेज गर्वनिंग कौंसिल के मानद सचिव रहने के साथ-साथ भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। छीना ने 2007 में अमृतसर वैस्ट से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसके बाद 2017 के उपचुनाव के दौरान भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

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हरदीप सिंह पुरी

शहरी विकास मंत्रालय के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी का अमृतसर से पुराना नाता रहा है। 1977 बैच के इंडियन फॉरेन सॢवसिज के अधिकारी रहे पुरी ने विदेश मंत्रालय में कई अहम पदों पर काम किया है। पिछले एक साल से पुरी द्वारा किए जा रहे अमृतसर के दौरे के चलते उनके इस सीट पर मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं।

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अनिल जोशी
2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में जीतने वाले अनिल जोशी पंजाब सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री रहे हैं। वह शहरी क्षेत्र में भाजपा का जाना-पहचाना चेहरा हैं और राजनीति में लगातार सक्रिय हैं। उन्हें भाजपा के कार्यकर्ताओं का समर्थन भी हासिल है और उनकी पार्टी हाईकमान में भी पहुंच है। 

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खैहरा और टकसालियों में इस सप्ताह समझौता संभव  
आम आदमी पार्टी द्वारा कुलदीप सिंह धालीवाल के नाम की घोषणा के बाद अब नजरें अकाली दल टकसाली और आम आदमी पार्टी के खैहरा  गुट और बसपा गठजोड़ द्वारा इस सीट पर उतारे जाने वाले उम्मीदवार पर लगी हैं। सीटों के विभाजन को लेकर टकसाली अकालियों और आम आदमी पार्टी के खैहरा गुट की मीटिंग इसी हफ्ते लुधियाना या गोराया में संभावित है। दोनों पक्षों में सीटों की सहमति को लेकर अंतिम फार्मूला बन सकता है।

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हरदीप पुरी पर दाव लगा सकती है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 2007 के विधानसभा चुनाव के अलावा 2017 की लोकसभा उपचुनाव में हारने वाले रजिंद्र मोहन सिंह छीना के लिए राहत वाली बात यह है कि पार्टी के पास अमृतसर में उनके अलावा कोई बड़ा सिख चेहरा नहीं है। छीना के अलावा इस सीट के लिए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का नाम भी चर्चा में है। पुरी पिछले साल मूधल गांव में अपने दौरे के बाद चर्चा में आए और उनकी सक्रियता को देखकर ही अमृतसर से उन्हें उम्मीदवार के तौर पर उतारे जाने की बात हो रही है और माना जा रहा है कि सिख चेहरा होने के नाते पार्टी उन पर दाव लगा सकती है। अपने इस दौरे के दौरान वह दलितों के घर में रुके थे और मीडिया के सवालों के जवाब में उन्होंने चुनाव लडऩे की बात से इंकार किया था। दूसरी बार उन्होंने गांव के विकास के लिए फंड जारी किए और एक बार फिर अमृतसर से उनके नाम की चर्चा शुरू हो गई। इन दोनों के अलावा भाजपा के टिकट पर अमृतसर की नार्थ सीट से विधायक रहे अनिल जोशी का नाम भी चर्चा में है। वह अमृतसर में पार्टी का युवा चेहरा हैं और चुनाव में हार के बावजूद लगातार सक्रिय राजनीति में हैं।

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कांग्रेस की तरफ से कई दावेदार
सीट पर मौजूदा सांसद गुरजीत सिंह औजला के लिए राहत वाली बात यह है कि नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने इस सीट पर दावा ठोकने की बजाय चंडीगढ़ सीट के लिए आवेदन किया है, लेकिन इस आवेदन पर यदि उन्हें चंडीगढ़ से टिकट नहीं मिलता है तो वह अमृतसर का भी रुख कर सकती हैं। नवजोत कौर सिद्धू के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाई सुरजीत सिंह कोहली, अजनाला के विधायक हरप्रताप सिंह अजनाला, पूर्व विधायक हरजिंद्र सिंह ठेकेदार भी अमृतसर सीट के लिए कांग्रेस के दावेदारों की लिस्ट में हैं। लिहाजा इस सीट के लिए पार्टी का सांसद होने के बावजूद कांग्रेस के लिए उम्मीदवार का चयन इतना आसान नहीं रहने वाला।  

‘आप’ का उम्मीदवार तय
हालांकि आम आदमी पार्टी का अमृतसर में बहुत ज्यादा आधार नहीं है लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने कुलदीप सिंह धालीवाल के नाम की पहले से ही घोषणा कर रखी है।

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संसद में गुरजीत सिंह औजला 

हाजिरी-88 %

बहस में हिस्सा-12

सवाल पूछे 33

प्राइवेट मैंबर बिल-0

औजला ने अपने 2 साल के कार्यकाल के दौरान अमृतसर से जुड़े अनेक मुद्दों पर सवाल पूछे लेकिन विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति का सदस्य होने के नाते करतार कॉरीडोर को लेकर उठाए गए मुद्दे के बाद कमेटी द्वारा करतारपुर के लिए कॉरीडोर को सहमति दिए जाने की रिपोर्ट औजला की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा औजला ने अमृतसर एयरपोर्ट से जुड़े सवाल संसद में रखे और एयरपोर्ट से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में वृद्धि करने में सफल रहे। इन कामों के अलावा वह ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइमरी स्कूलों के सुधार के लिए फंड जारी कर रहे हैं और उन्होंने संसद द्वारा जारी किए गए करीब 12 करोड़ रुपए के फंड को खर्च करने के लिए कार्यों की सूची भी बनवाई है और अधिकतर इस पर काम हो भी चुका है। औजला ने संसद में अपने 2 साल के कार्यकाल के दौरान 33 सबाल पूछे और अमृतसर से जुड़े अनेक मुद्दे संसद में उठाए। उन्होंने 12 बार संसद की बहस में हिस्सा लिया। औजला के प्रयासों से अटारी में इंटी ग्रेटिड चैकपोस्ट पर पाकिस्तान से आने वाले ट्रकों को स्कैन करने के लिए स्कैनर को मंजूरी मिली है।

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अमृतसर में सिख वोट निर्णायक
अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के मध्य सीटों के पुराने फार्मूले के तहत लोकसभा का चुनाव लडऩे की सहमति के बाद अब यह साफ हो गया है कि भाजपा ही अमृतसर सीट पर चुनाव लड़ेगी लिहाजा पार्टी के सामने अब यह फैसला लेने की चुनौती है कि यहां अब हिंदू चेहरे को मैदान में उतारना है या सिख चेहरा पार्टी का उम्मीदवार होगा। इससे पहले अकाली दल के साथ सीट स्वैप किए जाने की चर्चा थी और अकाली दल के नेता मनजिंद्र सिंह सिरसा का नाम इस सीट के उम्मीदवार के तौर पर सामने आ रहा था। हालांकि 2009 की डी-लिमिटेशन के बाद इस सीट का गणित बदल गया है और इस सीट के तहत आने वाले करीब 68 फीसदी वोटर सिख हैं जिसको देखकर ही भाजपा को फैसला करना पड़ेगा। भाजपा की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू इस सीट पर लगातार चुनाव जीतते रहे थे लेकिन सिद्धू के कांग्रेस खेमे में जाने के बाद अब भाजपा को लोकप्रिय चेहरे की कमी खल रही है और पार्टी के लिए यहां कोई दमदार चेहरा उतारने की चुनौती है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अरुण जेतली के रूप में इस सीट पर ङ्क्षहदू उम्मीदवार को उतारा था लेकिन देश भर में भाजपा की हवा के बावजूद पार्टी के हैवीवेट जेतली एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गए। कांग्रेस के अधिकतर सिख नेताओं ने ही टिकट के लिए दावेदारी ठोकी है। लिहाजा कांग्रेस के लिए सिख उम्मीदवार ही मैदान में होगा लेकिन भाजपा को इस मामले में फैसला लेने में दिक्कत हो सकती है। 

अमृतसर में रहा है कांग्रेस का प्रभाव
अमृतसर सीट ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस के प्रभाव वाली सीट रही है। आजादी के बाद इस सीट पर 19 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से 17 बार सामान्य चुनाव व 2 बार उपचुनाव हुए हैं और इस दौरान 12 बार कांग्रेस इस सीट से विजयी रही है जबकि भाजपा 5 बार, भारतीय जनसंघ एक बार और एक बार इस सीट पर आजाद उम्मीदवार विजयी रहा है।

साल     विजेता   पार्टी
1952 गुरमुख सिंह   कांग्रेस
1957  गुरमुख सिंह   कांग्रेस
1962 गुरमुख सिंह   कांग्रेस
1967 वाई.डी. शर्मा  बी.जे.एस.
1971 दुर्गा दास भाटिया   कांग्रेस
1977 बलदेव प्रकाश  बी.एल.डी.
1980 रघुनंदन लाल भाटिया   कांग्रेस
1985 रघुनंदन लाल भाटिया कांग्रेस
1989  कृपाल सिंह   आजाद
1992 रघुनंदन भाटिया कांग्रेस
1996 रघुनंदन भाटिया कांग्रेस
1998 दया सिंह सोढी    बी.जे.पी.
1999  रघुनंदन लाल भाटिया    कांग्रेस
2004  नवजोत सिंह सिद्धू   बी.जे.पी.
2007  नवजोत सिंह सिद्धू   बी.जे.पी.
2009  नवजोत सिंह सिद्धू   बी.जे.पी.
2014  कैप्टन अमरेन्द्र सिंह  कांग्रेस
2017 गुरजीत सिंह औजला  कांग्रेस

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

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