स्वाइन फ्लू से 4 दिनों में 2 लोगों की मौत

Edited By Anjna,Updated: 20 Jan, 2019 07:52 AM

2 people die of swine flu in 4 days

शहर में बीते चार दिनों से स्वाइन फ्लू से 2 मौतें होने का मामला सामने आ चुका है। राज्य में आए दिन स्वाइन फ्लू से लगातार मौतें होने का मामला सामने आ रहा है।

जलालाबाद (गुलशन): शहर में बीते चार दिनों से स्वाइन फ्लू से 2 मौतें होने का मामला सामने आ चुका है। राज्य में आए दिन स्वाइन फ्लू से लगातार मौतें होने का मामला सामने आ रहा है। स्वाइन फ्लू की बीमारी से निपटने के लिए सेहत विभाग जहां पूरी तरह से तैयार है, वहीं स्थानीय सरकारी अस्पताल प्रशासन पुख्ता दावे कर रहा है, परन्तु वास्तविकता इसके विपरीत है।
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हलका विधायक व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने अपने वि.स. क्षेत्र में लोगों को बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए यहां 30 करोड़ की लागत से 100 बिस्तर के सरकारी अस्पताल का निर्माण करवाया था व अस्पताल निर्मित होने के बाद इसके रखरखाव व इस अस्पताल को चलाने की जिम्मेदारी बाबा फरीद यूनिवॢसटी ऑफ हैल्थ साइंसिज फरीदकोट को सौंप दी गई थी। किसी समय पंजाब की सत्ता में सियासत का केन्द्र ङ्क्षबदू रहे जलालाबाद में बैकफुट पर आई कांग्रेस ने वि.स. चुनावों में लगातार मिल रही पराजय से बौखलाहट में आकर इस अस्पताल पर राजनीति करते हुए बाबा फरीद यूनिवॢसटी से चार्ज वापस लेकर सेहत विभाग को सौंप दिया था जिस कारण यहां कोई भी विशेषज्ञ नहीं रह गया है व केवल एम.बी.बी.एस. योग्यता वाले चिकित्सक ही अस्पताल को चला रहे हैं। स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए वार्ड बनाए गए हैं, जहां गंदगी की भरमार है।


मृतकों के परिजन हैं दुखी
स्थानीय गोबिंद नगरी निवासी केवल कृष्ण 45 व दशमेश नगरी निवासी स्वर्ण कौर 60 वर्षीय महिला की स्वाइन फ्लू का शिकार होने के कारण मौत हो चुकी है। जहां अचानक हुई इन मौतों से मृतकों के परिजन दुखी हैं, वहीं पर उनमें प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी देखने को मिल रहा है। मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि सरकारी अस्पताल में सेहत सुविधाओं के अभाव में ये मौतें हुई हैं क्योंकि अगर अस्पताल में प्रबंध पुख्ता होते तो इन दो कीमती जानों को बचाया जा सकता था।

अस्पताल को लेकर आम लोगों ने यूं जताई प्रतिक्रिया
सरकारी अस्पताल के बाहर खड़े मरीजों के परिजनों ने बताया कि इस अस्पताल पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद अस्पताल की भव्य इमारत सफेद हाथी बनकर रह गई है। जो भी मरीज यहां उपचार के लिए लाए जाते हैं उन्हें फरीदकोट अथवा लुधियाना के लिए रैफर कर दिया जाता है जोकि यहां से काफी दूर है जिस कारण कई बार रास्ते में देर हो जाती है। स्थानीय लोगों ने कांग्रेसी शासकों के रवैये पर गुस्सा जताते हुए इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि करीब डेढ़ महीने पूर्व इस अस्पताल का चार्ज बाबा फरीद यूनिवॢसटी को वापस देने के लिए सरकार ने लिखित तौर पर आदेश जारी कर दिए हैं, परंतु अभी तक यूनिवॢसटी ने इसका चार्ज क्यों नहीं संभाला है।

स्वाइन फ्लू कक्ष की हकीकत
सरकारी अस्पताल में स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए बनाए गए आइसोलेशन कक्ष का जब दौरा किया तो वहां पर सफाई का कोई प्रबंध नहीं था व वार्ड में लगे बैड पर धूल की मोटी चादर देखने को मिली जोकि स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों को मुंह चिढ़ा रही थी। वहीं मरीजों के लिए बनाए गए पूछताछ काऊंटर का भी बुरा हाल था। ड्यूटी पर तैनात सफाई कर्मचारी से जब आइसोलेशन कक्ष में फैली गंदगी के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि अस्पताल की इमारत काफी बड़ी है, जबकि सफाई कर्मचारियों की संख्या काफी कम है। स्वाइन फ्लू के लिए बनाई वार्ड के बारे में सफाई कर्मचारी ने बताया कि पिछले 6 महीने से यहां इस बीमारी का कोई भी मरीज नहीं आया है जिस कारण इस वार्ड को ताला लगाकर बंद रखा जाता है।

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