यदि ‘AAP’ मैदान में न होती तो कांग्रेस को न मिलती बंपर जीत

Edited By Updated: 12 Mar, 2017 01:20 AM

congress does not get bumper win if not in aap ground

आम तौर पर राजनीतिक माहिर कह रहे हैं कि जिस तरह इस बार अकाली-भाजपा....

पटियाला(राजेश): आम तौर पर राजनीतिक माहिर कह रहे हैं कि जिस तरह इस बार अकाली-भाजपा गठजोड़ के खिलाफ लहर चल रही थी, यदि आम आदमी पार्टी (आप) मैदान में न होती तो कांग्रेस 100 सीटें जीतती परंतु यदि हकीकत पर नजर मारी जाए तो यह बात सामने आती है कि यदि ‘आप’ मैदान में न होती तो कांग्रेस को किसी भी हालत में बंपर जीत न मिलती। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि उस समय प्रदेश में कै. अमरेन्द्र सिंह के हक में हवा दिखाई दे रही थी परंतु जब वोटिंग मशीनें खुलीं तो सब कुछ उलट-पुलट हो गया और अकाली दूसरी बार रिपीट हो गए। 


2014 के पाॢलयामैंट चुनाव के समय ‘आपर्’ के रूप में पंजाब को तीसरा राजनीतिक पक्ष मिल गया। ‘आप’ नेताओं और खास कर भगवंत मान ने अकाली दल बादल के खिलाफ धुआंधार प्रचार किया और अकालियों को बदनाम किया। भगवंत मान की तरफ से पेश की गई ‘कीकली’ काफी लोकप्रिय हुई। इसके द्वारा भगवंत मान ने अकालियों को चिट्टे का व्यापारी, श्री गुरु गं्रथ साहिब की बेअदबी करने का दोषी, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, रेत बजरी माफिया, केबल माफिया करार दे दिया। 


आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया के द्वारा अकालियों को इस कद्र बदनाम कर दिया कि लोगों में अकाली-भाजपा गठजोड़ के प्रति नफरत पैदा हो गई। कांग्रेस पार्टी ने बेशक गुरु गं्रथ साहिब की बेअदबी समेत अन्य कई मुद्दे उठाए परंतु जो ‘झूठा प्रचार’ आम आदमी पार्टी ने किया, ऐसा प्रचार कांग्रेस किसी भी हालत में नहीं कर सकती थी। आम आदमी पार्टी के नेता जोशीले तो थे परंतु राजनीतिक तौर पर अनाड़ी थे। वे कई ऐसी गलतियां कर गए, जिस कारण अकाली-भाजपा के खिलाफ हुए लोगों ने कांग्रेस पार्टी को वोट डाल दी, जिस कारण कांग्रेस की बंपर जीत हुई।


अमरेन्द्र का बादल के खिलाफ डटना रहा मास्टर स्ट्रोक 
विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने यह प्रचार किया था कि बादल और कैप्टन परिवार मिले हुए हैं, इस संबंधी सोशल मीडिया पर दोनों परिवारों की फोटो अपलोड की गई थी। यहां तक कि जब बादल की धर्मपत्नी सुरिंद्र कौर बादल के देहांत के बाद कै. अमरेन्द्र सिंह और परनीत कौर बादल परिवार के साथ अफसोस करने गांव बादल गए थे तो वह फोटो भी आम आदमी पार्टी ने मिसयूज की और इस फोटो के द्वारा लोगों को बताया कि बादल और कैप्टन मिले हुए हैं। इसके अलावा यह अफवाह भी फैलाई गई कि सुखबीर बादल की लड़की का रिश्ता कै. अमरेन्द्र सिंह के पोते युवराज रणइंद्र सिंह के बेटे के साथ तय हो गया है जबकि दोनों के बच्चे अभी काफी छोटे हैं। 

 

इन बातों के द्वारा आम आदमी पार्टी ने पंजाबियों को संदेश देना चाहा कि बादल और कैप्टन मिले हुए हैं, जिसको  काऊंटर करने के लिए कै. अमरेन्द्र ने लंबी में बादल के खिलाफ चुनाव लड़ कर अपना मास्टर स्ट्रोक खेला। इसके साथ ही सुखबीर के खिलाफ एम.पी. रवनीत बिट्टू को मैदान में भेज दिया, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला। 

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