‘जीवन’ में घुल रहा मौत का जहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jul, 2018 06:44 PM

punjab pollution control board

‘जल ही जीवन है’ इस बात को भलिभांति जानते हुए भी हम लोग इस ‘जीवन धारा’ में चंद पैसों के लालच में अपने हाथों से जहर घोलते जा रहे हैं जिसका खमियाजा हमारे साथ-साथ हमारी आने वाली पीढिय़ों को भी भुगतना पड़ेगा। शहर के बुड्ढे नाले की दशा दर्शाती है कि किस...

लुधियाना (धीमान) : ‘जल ही जीवन है’ इस बात को भलिभांति जानते हुए भी हम लोग इस ‘जीवन धारा’ में चंद पैसों के लालच में अपने हाथों से जहर घोलते जा रहे हैं जिसका खमियाजा हमारे साथ-साथ हमारी आने वाली पीढिय़ों को भी भुगतना पड़ेगा। शहर के बुड्ढे नाले की दशा दर्शाती है कि किस तरह आम जन, इंडस्ट्री, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम के अफसरों ने अपने फायदे के लिए उसे इतना प्रदूषित कर दिया है कि इसकी वजह से हजारों जिंदगियां खतरे में हैं।सतलुज में गिर रहे बुड्ढे नाले के प्रदूषित पानी की वजह से लोग कैंसर, फेफड़े, काली खांसी और चपड़ी रोग से बुरी तरह ग्रसित हो चुके हैं। अपना इलाज करवाते-करवाते लोगों के घर तक बिक गए हैं। डाक्टरों को चिंता है कि कहीं प्रदूषण से आने वाली पीढ़ी अपंग न पैदा होने लगे। हंबड़ा के पास बलिपुर के नजदीक एक ऐसा प्वाइंट है जहां पूरे लुधियाना का ‘काला’ पानी सतलुज में आकर मिक्स होता है। जब पंजाब केसरी की टीम ने वहां का दौरा किया तो सांस लेना भी मुश्किल था।

150 करोड़ की लागत से बने 3 एस.टी.पी. की हालत खस्ता
बेशक नगर निगम ने 1995 में सतलुज एक्शन प्लान के जरिए करीब 150 करोड़ रुपए की लागत से शहर में 3 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) लगाए थे लेकिन तीनों की हालत आज खस्ता है और तीनों अंडरकैपेसिटी चल रहे हैं जिस कारण शहर का अधिकतर पानी ओवरफ्लो होकर बिना ट्रीट किए बुड्ढे नाले में जा रहा है और बुड्ढे नाले से होते हुए यह पानी सतलुज दरिया में गिर रहा है।  इसके अलावा कुछ किसानों की तरफ से बुड्ढे नाले का यह प्रदूषित पानी खेतों में अपनी फसलों व सब्जियों को भी लगाया जा रहा है। इस तरह यह जहर सब्जियों के जरिए लोगों तक पहुंच रहा है और लोग भयानक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। यह प्रदूषित पानी धीरे-धीरे भूमिगत पानी को भी गंदा कर रहा है।

पंजाब केसरी सरकारी तंत्र व इंडस्ट्री को दिखाएगा आइना
लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकें इसके लिए ‘पंजाब केसरी’ ने प्रदूषण के खिलाफ  कदम बढ़ाया है। उम्मीद है कि इस मुहिम में हर इंसान पंजाब केसरी के कदम के साथ कदम मिला कर चलेगा। पंजाब केसरी हर सोमवार को प्रदूषण की सीरीज का एक भाग छापेगा जिसमें सरकारी तंत्र, आम जन और इंडस्ट्री को आइना दिखाया जाएगा कि वे वातावरण में जहर घोलने के लिए कितने जिम्मेदार हैं। 

राजस्थान के लोग अब काला पानी पीने को मजबूर
लुधियाना के प्रदूषित पानी से सतलुज दरिया का पानी पूरी तरह से काला हो चुका है जोकि हरिकेपत्तन के जरिए राजस्थान को जा रहा है। राजस्थान में सतलुज के पानी को ही पीने के लायक बना कर लोगों को सप्लाई किया जाता है  लेकिन आज सतलुज का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि लोग अब ‘काला’ पानी पीने को ही मजबूर हैं इसलिए राजस्थान सरकार ने भी पंजाब सरकार को प्रदूषण के कारण अदालत में घसीट रखा है।

अब तक उठाए गए कदम

  •   अदालत के निर्देशों पर पी.राम कमेटी गठित की गई ताकि बुड्ढे नाले की समस्या समझ आ सके। रिपोर्ट बनी परंतु कुछ नहीं हुआ ।
     
  • वर्ष 2015 में केंद्र से 2 दर्जन राज्यसभा सदस्यों की एक टीम आई जिसका नेतृत्व अश्विनी कुमार कर रहे थे। रिपोर्ट बनी लेकिन कहां गई कुछ पता नहीं। 
     
  • पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जय राम रमेश ने लुधियाना के तत्कालीन सांसद मनीष तिवारी के कहने पर 50 करोड़ रुपए से ग्रीन ब्रिज तकनीक को लागू करने के लिए इसमें कीड़े डाले जो गंदगी को खाते हैं। ये कीड़े हैं कहां कुछ नहीं पता। सांसद तिवारी बादल सरकार से कहते रहे कि वह 50 करोड़ की ग्रांट का हिसाब दें। लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी।
  • इंडस्ट्री ने 3 कामन एफुलैंट ट्रीटमैंट प्लांट लगाने थे जिनकी पिछले 10 सालों में सिर्फ  नींव ही खोदी जा सकी है और इंडस्ट्रीयल पानी धड़ल्ले से बिना ट्रीट किए हुए सतलुज में जा रहा है। कोई पूछने वाला नहीं। 
  • पंजाब प्रदूषण बोर्ड प्रदूषण को खत्म करने के लिए कई बार हाई कोर्ट में ऐफीडेविट दे चुका है लेकिन अधिकारी कमरों से अभी तक बाहर नहीं आए। 
  • 10 सालों में नगर निगम ने जो सीवरेज प्वाइंट एस.टी.पी. से नहीं जुड़े उन्हें जोडऩे के लिए सिर्फ  कागजो में योजना बनाई। 
  • बुड्ढे नाले की सफाई के लिए जो पैसा आया उससे 10 साल से ज्यादा पुरानी मशीनें खरीद कर नाले की सफाई का अभियान शुरू किया। मशीनें चली नहीं और -बुड्ढा नाला पूरी तरह जाम है। 
  • बुड्ढे नाले की सफाई के लिए पिछली बादल सरकार ने एक हाई लैवल कमेटी बनाई जिसमें इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स, प्रदूषण बोर्ड के एक्सपर्ट्स और नगर निगम के एक्सपर्ट्स को शामिल किया गया था। लेकिन इस कमेटी को बने 3 साल हो गए इसकी आज तक एक भी मीटिंग नहीं हुई।

 

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