Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 08:53 AM
पेट में चूहे कूदते ही सामने लगी चटकारेदार स्ट्रीट फूड्स की दुकान नजर आती है, जहां कम पैसे में पूरे स्वाद के साथ पेट की भूख मिट जाती है। मगर इसे खाने से पहले होशियार, क्योंकि यह फूड आपकी भूख मिटाने के साथ-साथ सेहत भी बिगाड़ रहा है।
होशियारपुर(अमरेन्द्र): पेट में चूहे कूदते ही सामने लगी चटकारेदार स्ट्रीट फूड्स की दुकान नजर आती है, जहां कम पैसे में पूरे स्वाद के साथ पेट की भूख मिट जाती है। मगर इसे खाने से पहले होशियार, क्योंकि यह फूड आपकी भूख मिटाने के साथ-साथ सेहत भी बिगाड़ रहा है। शहर के विभिन्न चौराहों और गली-मोहल्लों में सजने वाली ये दुकानें आपको स्वाद के साथ-साथ अनेक तरह की बीमारियां गिफ्ट में दे रही हैं क्योंकि ये दुकानें नॉन-हाईजीनिक फूड परोस रही हैं। 60 प्रतिशत लोगों को स्ट्रीट फूड खाते ही पेट की प्रॉब्लम पैदा हो जाती है।
अभियान के नाम पर खानापूर्ति
नॉन-हाईजीनिक फूड परोस रही इन दुकानों के खिलाफ अभियान सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही चलाया जाता है। थोड़ा सा जुर्माना और कुछ घंटे के लिए उन्हें हटा कर विभाग अपनी कार्रवाई पूरी कर लेता है जबकि विभाग की जिम्मेदारी है कि वह मिलावटी ही नहीं बल्कि नॉन-हाईजीनिक फूड के खिलाफ भी सख्त अभियान चलाए।
न सफाई और न क्वालिटी
शहर व जिले के विभिन्न कस्बों में करीब 1,000 से अधिक दुकानें (स्ट्रीट फूड्स प्वाइंट) विभिन्न चौराहों और गली-मोहल्लों में डेली सजती हैं जहां चाट-पकौड़ी से लेकर खाने की हर वह आइटम मिलती है, जो किसी बड़े होटल की शोभा बढ़ाती है। कम रेट में भरपेट खाना देख इन दुकानों पर अक्सर लोगों की भीड़ लगी रहती है। प्रशासन की रोक के बावजूद ये दुकानें धड़ल्ले से सज रही हैं, मगर संबंधित विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। इन दुकानों पर न तो पर्याप्त सफाई होती है और न ही खाने के सामान में क्वालिटी का ध्यान रखा जाता है। ऐसे में स्ट्रीट फूड्स भूख मिटाने के साथ-साथ बीमारी को भी निमंत्रण देते हैं।
फूड सैम्पलिंग महज दिखावा
फूड सैम्पलिंग की प्रक्रिया मात्र दिखावा है। यहां कार्रवाई के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही सैम्पङ्क्षलग की प्रक्रिया ही सही तरीके से अपनाई जाती है। 14 दिन में रिपोर्ट देने का दावा करने वाला महकमा 1 से 2 माह में रिपोर्ट ला पाता है, तब तक सैम्पल हेतु लिए गए खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं को बेच दिए जाते हैं।इससे स्पष्ट होता है कि महकमे को हमारी सेहत की चिन्ता एक दिखावा मात्र है। इनकी कार्रवाई का न तो मिलावटखोरों पर कोई असर होता है और न ही उपभोक्ताओं को कोई राहत मिलती है।