NIT में NEP 2020 पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, तकनीकी शिक्षा में बदलाव पर हुई गंभीर चर्चा

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 17 Jun, 2025 07:46 PM

national workshop on nep 2020 organized in nit

NIT जालंधर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन), नई दिल्ली के सहयोग से आज  "विकसित भारत हेतु तकनीकी शिक्षा में नवाचार एवं उत्कृष्टताः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020" विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य...

जालंधर : NIT जालंधर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन), नई दिल्ली के सहयोग से आज  "विकसित भारत हेतु तकनीकी शिक्षा में नवाचार एवं उत्कृष्टताः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020" विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों पर विचार-विमर्श करना और तकनीकी शिक्षा में इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए द्वण नीतियाँ तलाशना था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बिनोद कुमार कन्नौजिया, निदेशक (एनआईटी जालंधर) ने की। मुख्य अतिथियों में डॉ. अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास), श्री जाग्राम (उत्तर भारत समन्वयक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास), तथा देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के निदेशक शामिल थे, जिनमें प्रो. राजीव आहूजा (निदेशक, आईआईटी रोपड़), प्रो. ललित कुमार अवस्थी (कठुलपति, एसपीयू मंडी, प्रो. बी. वी. रमण रेड्डी (निदेशक, एनआईटी कुरुक्षेत्र), प्रो. भोला राम गुर्जर (निदेशक, एनआईटीटीटीआर चंडीगढ़), प्रो. आर. पी. तिवारी (कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब), प्रो. सुशील मित्तल (कुलपति, आईकेजीपीटीयू जालंधर), डॉ. एस. के. मिश्रा (कुलपति, एसबीएसएसयू गुरदासपुर) और प्रो. हीरालाल एम. सूर्यवंशी (निर्देशक, एनआईटी हमीरपुर) प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यशाला में संस्थान के सभी डीन, संकाय सदस्य, पीएचडी छात्र तथा देशभर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अनीश सचदेवा (डीन छात्र कल्याण) के स्वागत भाषण से हुई। इसके पश्चात निदेशक प्रो. बी. के. कन्नौजिया ने संबोधित करते हुए कहा, "शिक्षा विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी।" उन्होंने यह भी बताया कि "एनआईटी जालंधर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से इस लक्ष्य में योगदान दे रहा है। डॉ. अतुल कोठारी जी ने मुख्य भाषण देते हुए कहा कि "नीति का गहन अध्ययन अत्यंत आवश्यक है, और केवल चर्चा नहीं बल्कि उसका क्रियान्वयन अधिक महत्त्वपूर्ण है।" उन्होंने कौशल विकास, मूल्य आधारित शिक्षा, और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे पहलुओं को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि "सच्ची प्रगति तभी संभव है जब नैतिक मूल्यों और विकासात्मक लक्ष्यों में संतुलन हो।" भारत को विश्वगुरु बनाने के उद्देश्य की चर्चा करते हुए उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे एनईपी 2020 के क्रियान्वयन में सक्रिय भागीदारी करें।

अन्य प्रमुख वक्ताओं में प्रो. आर. पी. तिवारी, प्रो. सुशील मित्तल, और डॉ. एस. के. मिश्रा शामिल थे, जिन्होंने एनईपी 2020 की दृष्टि के अनुरूप शैक्षणिक प्रणाली को ढालने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य वक्तव्यों पर समापन टिप्पणी डॉ. नित्या, उप नियंत्रक, आई. के. जी. पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रस्तुत की गई।

डॉ. अतुल कोठारी जी ने मुख्य भाषण देते हुए कहा कि "नीति का गहन अध्ययन अत्यंत आवश्यक है, और केवल चर्चा नहीं बल्कि उसका क्रियान्वयन अधिक महत्त्वपूर्ण है।" उन्होंने कौशल विकास, मूल्य आधारित शिक्षा, और 'योकल फॉर लोकल जैसे पहलुओं को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि "सच्ची प्रगति तभी संभव है जब नैतिक मूल्यों और विकासात्मक लक्ष्यों में संतुलन हो।" भारत को विश्वगुरु बनाने के उद्देश्य की चर्चा करते हुए उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे एनईपी 2020 के क्रियान्वयन में सक्रिय भागीदारी करें।

अन्य प्रमुख वक्ताओं में प्रो. आर. पी. तिवारी, प्रो. सुशील मित्तल, और डॉ. एस. के. मिश्रा शामिल थे, जिन्होंने एनईपी 2020 की दृष्टि के अनुरूप शैक्षणिक प्रणाली को ढालने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य वक्तव्यों पर समापन टिप्पणी डॉ. नित्या, उप नियंत्रक, आई. के. जी. पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रस्तुत की गई।

कार्यशाला में दो पैनल चचर्चाएँ आयोजित की गईं। पहली पैनल चर्चा "एनईपी 2020 के माध्यम से तकनीकी शिक्षा की पुनर्कल्पनाः लचीलापन, बहुविषयकता और एकीकरण विषय पर थी, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अतुल कोठारी ने की। पैनल में प्रो. राजीव आह जा, प्रो. एल. के. अवस्थी, प्रो भोला नाथ गुर्जर और प्रो. बी. वी. रमण रेड्डी शामिल थे। इस सत्र में पाठ्यक्रम, अंतर्विषयक शिक्षण और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

दूसरी पैनल चर्चा "उद्योग-अकादमिक अंतर को पाटनाः विकसित भारत हेतु सतत साझेदारियाँ विषय पर केंद्रित थी। इसकी अध्यक्षता भी डॉ. कोठारी ने की। इस पैनल में प्रो. बी. के. कन्नौजिया, प्रो. हीरालाल एम. सूर्यवंशी, और प्रो. राजीव आहूजा उपस्थित थे। चर्चा का केंद्र बिंदु उद्योग और शिक्षा के बीच मजबूत तालमेल स्थापित करना और शिक्षा को उद्योग की आवश्यकताओं से जोड़ना रहा।

चर्चाओं का उद्देश्य बहुविषयक अध्ययन, अनुसंधान-आधारित नवाचार और नेतृत्व को बढ़ावा देना था जिससे भावी इंजीनियर तकनीकी प्रगति और सामाजिक विकास में योगदान कर सकें। कार्यक्रम का समापन श्री जाग्राम जी के विचारों से हुआ, जिन्होंने चर्चा की गई रणनीतियों को क्रियान्वित करने की प्रतिबद्धता दोहराई। पैनल चर्चाओं का संचालन डॉ. मोनिका सिक्का ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव प्रो. शैलेन्द्र बाजपेयी द्वारा किया गया।

सभी प्रतिभागियों ने इन रणनीतियों को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई और विकसित भारत की दिशा में अपना योगदान देने का संकल्प लिया। कार्यशाला ने तकनीकी शिक्षा को एनईपी 2020 के लक्ष्यों के अनुरूप ढालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रदान किया, जिससे भारत के उच्च शिक्षा तंत्र में नवाचार, सहयोग और उत्कृष्टता का वातावरण सुदृढ़ होगा।

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