‘लाइक, कमैंट, फालो व शेयर’ के चक्रव्यूह में फंसे युवा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 09:21 AM

young busy on fb like

‘मेघा ने सुबह उठते ही हड़बड़ी में मोबाइल हाथ में लेकर पहले नैट ऑन किया

जालंधर (शीतल) : ‘‘मेघा ने सुबह उठते ही हड़बड़ी में मोबाइल हाथ में लेकर पहले नैट ऑन किया और फिर रात को सोशल साइट पर पोस्ट की गई अपनी फोटो के लाइक्स और कमैंट्स चैक किए, जितने जोश से वह उठी थी उसका जोश भी साथ ही ठंडा पड़ गया क्योंकि अभी तक उसकी फोटो को सिर्फ 60 लाइक्स ही मिले थे जबकि उसे तो रातों-रात इससे ज्यादा लाइक्स मिलने की उम्मीद थी। उसकी मम्मी भी हैरान थी कि सोशल साइटस के प्रति उसका लगाव कैसे उसके व्यवहार को प्रभावित कर रहा है। 


मेघा का सुबह का जोश घट गया था जिससे उसके काम करने की रफ्तार अचानक कम हो गई। ऐसे ही अनमने मन से वह कालेज के लिए तैयार हुई। कालेज में भी हर पल उसकी नजर अपने स्टेटस पर मिल रहे कमैंट्स और लाइक्स पर ही बनी हुई थी। वह जिन फ्रैंड्स से भी मिलती पहले उन्हें अपनी फोटो दिखाती और फिर उसे लाइक और एक अच्छा सा कमैंट करने को कहती। ऐसा करने से जब उसकी फोटो के कमैंट्स व लाइक्स 100 के आस-पास पहुंचे तो उसके चेहरे पर कुछ रौणक लौटी।  यह सिर्फ एक मेघा की ही कहानी नहीं बल्कि आजकल हर युवा की मनोस्थिति कुछ ऐसी ही बनी हुई है। किसी अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने की बजाय यंग जैनरेशन अपना सारा समय सोशल साइट्स पर ही बिताना अधिक पसंद करती है। कामकाजी पेरैंटस भी अपने काम में इतना व्यस्त रहते हैं कि उनके पास बच्चों से बात करके उनके बारे में अधिक जानने का समय ही नहीं होता। 


यदि कभी उन्हें खाली समय मिल भी जाए तो खुद ही बच्चे के हाथ थमाया गया मोबाइल उनके बीच की दूरी को बढ़ा देता है। हर किसी की लाइफ पर्सनल न रह कर सोशल मंच पर आकर खुली किताब की तरह बन कर रह गई है जिससे क्राइम रेट भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। 

 

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?

इंसान की यह फितरत है कि वह अपने आप को केंद्रङ्क्षबदु में रखना पसंद करता है। कुछ लोग कम बोलने की वजह से अपनी बात को दूसरों के सामने आसानी से व्यक्त नहीं कर पाते ऐसे लोगों के लिए सोशल साइट्स एक मंच के रूप में सामने आई है। अपने दिल के भावों को ऐसे लोग कुछ कैप्शन व विचारों के साथ फोटो के रूप में इन साइट्स पर डाल कर अच्छे कमैंट्स, लाइक्स और अपनी पोस्ट के ज्यादा शेयर करने पर आत्म संतुष्टि महसूस करते हैं। ऐसे लोग बाकियों से एक दूरी बना कर रखते हैं और अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं। बच्चों के व्यवहार की ओर ध्यान न देने से वह मूड और पर्सनैलिटी डिसआर्डर का शिकार भी हो सकते हैं। इसलिए पेरैंट्स को अपनी व्यस्तता में से कुछ समय बच्चों के साथ जरूर बिताना चाहिए। सोशल साइट्स का अधिक प्रयोग करने पर रोक लगानी चाहिए। स्कूलों में सोशल काऊंसलर के साथ बच्चों की एक क्लास होनी चाहिए जिससे वह अपनी समस्याओं का हल निकाल सकें। —डा. संजय खन्ना, सीनियर रैजीडैंट (सिविल अस्पताल) 

सबसे जुड़े रहने का आसान जरिया है सोशल साइट्स

‘स्कूल व कालेज की फ्रैंड्स के सब्जैक्ट वाइज हमारे कई ग्रुप्स बने हुए हैं जिनमें हम पढ़ाई या मनोरंजन से संबंधित जानकारियां शेयर करते हैं। सारा दिन इतनी बिजी रहती हूं कि फोन पर बात करने का समय ही नहीं मिलता इसलिए सभी से जुड़े रहने के लिए सोशल साइट्स आसान जरिया है।’                            -चाहत विग


जर्नल टाक्स के लिए सोशल साइट्स जरूरी
‘सोशल साइट्स पर स्टेटस अपडेट करना तो 2 मिनट का काम होता है। फ्रैंड्स के विचारों का उनके स्टेट्स अपडेट से पता लगता है। अगर कोई खुश हो तो बाकी सब फ्रैंड्स उसे बधाई देते हैं और अगर मूड खराब हो तो उसे ठीक करने के टिप्स शेयर करते हैं। पढ़ाई के साथ ऐसे बाकी जर्नल टाक्स भी चलती रहती है।’                            -महक जैन


टॉपिक्स डिस्कस करने का आसान ढंग 
‘क्लास में पढ़ाया गया अगर न समझ आए तो हम सभी फ्रैंड्स फेसबुक व व्हाट्सएप पर उन टापिक्स को डिसक्स करते हैं। मोबाइल पर काल करके सबके साथ कोई भी विषय डिस्कस करना मुश्किल होता है जबकि व्हाट्सएप पर सभी अपने मैसेज आसानी से कर सकते हैं।                                      -’दिव्यांशु बांसल

‘लाइक/ कमैंट बढ़ाते हैं उत्साह’ 
‘स्कूल में पढ़ाई का इतना बोझ होता है कि घर आकर खेलने के लिए समय नहीं मिलता। इसलिए मोबाइल पर ही फ्रैंड्स के साथ चैट होती है जिससे परस्पर प्यार और निकटता बढ़ती है। फैमिली के साथ जब कहीं बाहर घूमने जाएं तो सबको बताने के लिए स्टेट्स अपडेट करना जरूरी होता है। उस पर मिलने वाले लाइक और कमैंटस से उत्साह बढ़ता और खुशी का अहसास होता है।’                                          -समर्थ बांसल


‘एंटरटेनमैंट के लिए सोशल साइट्स ‘बैस्ट’ 
‘सोशल मीडिया पर मेरे क्लास मेट्स के कई ग्रुप्स बने हुए हैं, जिनमें हम स्टडी से रिलेटिड टॉपिक डिस्कस करते हैं, इसके साथ ही कुछ इंट्रसिं्टग मैसेज भी फ्रैंड्स को सैंड करते हैं, अपनी फोटो पर लाइक्स देखकर जहां सारा दिन खुशी से बीतता है, वहीं अगर लाइक्स कम हों तो थोड़ी निराशा जरूर होती है। स्टडी टाइम में बिजी रहते हुए टी.वी. एंटरटेनमैंट के लिए सोशल साइट्स ही बैस्ट हैं।

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