Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Dec, 2017 12:02 PM
पटियाला पुलिस द्वारा अपराधियों व अचानक होने वाली दुर्घटनाओं आदि से निपटने के लिए बनाई गई चलती-फिरती विशेष पुलिस फोर्स पी.सी.आर. में मुलाजिमों की दिन-प्रतिदिन कम हो रही संख्या के कारण अपराध करने वाले बच निकलते हैं और इस फोर्स का मनोबल लगातार गिरता जा...
पटियाला(जोसन): पटियाला पुलिस द्वारा अपराधियों व अचानक होने वाली दुर्घटनाओं आदि से निपटने के लिए बनाई गई चलती-फिरती विशेष पुलिस फोर्स पी.सी.आर. में मुलाजिमों की दिन-प्रतिदिन कम हो रही संख्या के कारण अपराध करने वाले बच निकलते हैं और इस फोर्स का मनोबल लगातार गिरता जा रहा है।
पी.सी.आर. मुलाजिम इस कदर निराश हैं कि वे खुद मेहनत करके अपराधियों को पकड़वाने के लिए काम करते हैं, परन्तु ऐसे मामलों में प्रशंसा पत्र संबंधित थानों के थानेदार ले जाते हैं। अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक पी.सी.आर. मुलाजिम ने बताया कि वह अपने इलाकों में पी.सी.आर. की ड्यूटी तनदेही के साथ करता है।
ड्यूटी दौरान जब किसी अनैतिक कार्य, नशे बिकने संबंधी जानकारी या अन्य ऐसे गलत कार्यों बारे कार्रवाई अमल में लाने के लिए उनके द्वारा थाने को काल की जाती है तो ऐसे मामलों का सारा श्रेय संबंधित थाना ले जाता है। इतना ही नहीं ऐसे मामलों में मामला दर्ज करने वाले थानेदारों को प्रशंसा पत्र भी दे दिया जाता है और पी.सी.आर. मुलाजिम का कहीं नाम तक भी नहीं आता है। उन्होंने उच्चाधिकारियों से अपील की कि पी.सी.आर. में तैनात आम मुलाजिमों की तरफ भी ध्यान दिया जाए।
एक मोटरसाइकिल पर हथियार तथा वायरलैस के साथ है एक मुलाजिम
पटियाला में जब हरदयाल सिंह मान बतौर सीनियर पुलिस कप्तान तैनात थे तो उस समय पटियाला में 32 पी.सी.आर. चल रहे थे और एक पी.सी.आर. मोटरसाइकिल पर 2 मुलाजिम चलते थे जबकि अब पी.सी.आर. मोटरसाइकिलों की संख्या आधी रह गई है। यह भी पता लगा है कि 1 पी.सी.आर. मोटरसाइकिल पर 1 मुलाजिम ही रह गया है।
उनका कहना है कि मोटरसाइकिल पर तैनात 1 मुलाजिम के पास वायरलैस व्यवस्था भी होती है, हथियार और अन्य जिम्मेदारी भी होती है, इसलिए अकेला मुलाजिम न तो एक से अधिक असामाजिक तत्वों के साथ ‘पंगा’ ले सकता है, न ही उनका पीछा कर सकता है और न ही पकड़ सकता है। इसलिए पी.सी.आर. मुलाजिमों की संख्या पहले की तरह बढ़ाई जाए। जिक्रयोग्य है कि इस समय शहर के हर क्षेत्र जहां पर भी पी.सी.आर. मुलाजिम होगा, वहीं अकेला ही एक मोटरसाइकिल पर तैनात होगा। इस कारण ज्यादातर असामाजिक तत्व फायदा भी उठा सकते हैं।
एमरजैंसी के समय ही होता है एक मुलाजिम : एस.पी.डी.
इस संबंधी एस.पी. हैडक्वार्टर पटियाला कंवरदीप कौर का कहना है कि कई बार एमरजैंसी के समय पुलिस जवान कहीं लगाए होते हैं तब पी.सी.आर. पर एक मुलाजिम होता है। उन्होंने कहा कि कुछ पी.सी.आर. मुलाजिम अदालती चक्करों से डरते हैं जिस कारण वे खुद अपना नाम पर्चे में शामिल करने से डरते हैं। उन्होंने कहा कि जो मुलाजिम अपना नाम दर्ज करवाते हैं, उनको प्रशंसा पत्र दिए जाते हैं।