Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 11:30 AM
मथुरा बी.एस.एफ. मुख्यालय में हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में पंजाब केसरी टीम ने मथुरा जाकर मामले की जानकारी ली तो हैरानीजनक तथ्य सामने आए।
जालंधर(अजीत सिंह बुलंद):मथुरा बी.एस.एफ. मुख्यालय में हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में पंजाब केसरी टीम ने मथुरा जाकर मामले की जानकारी ली तो हैरानीजनक तथ्य सामने आए। असल में बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा में कार्यरत गोकराम नामक ए.एस.आई. जिसे विभागीय कर्मचारी मानसिक रोगी बता रहे हैं, ने 13 नवम्बर, 2017 को रात के समय मुख्यालय के भीतर बने गुरुद्वारा साहिब से गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ को उठाकर पास के गंदे नाले में फैंक दिया था। इसके बाद वहीं स्थित एक मंदिर से गीता और 2 देवताओं की मूर्तियां भी गंदे नाले में फैंक दीं।
सुबह इस बात का पता चलने के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई कर धार्मिक ग्रंथ और मूर्तियों की खोज की पर वहां से सिर्फ गुरु ग्रंथ साहिब का स्वरूप ही मिला। आरोपी ए.एस.आई. को पहले मानसिक रोगी चिकित्सालय और वहां से उसे मानसिक रोगी इंस्टीच्यूट में भेजा गया। विभागीय कर्मचारियों से मिली जानकारी के अनुसार पहले तो उक्त ए.एस.आई. को उसके घर भेजने के लिए उसके परिवार वालों से संपर्क किया गया पर वहां से उसे कोई लेने नहीं आया। आखिर डाक्टरों की सलाह पर उसे उसके छत्तीसगढ़ स्थित घर भेजा गया और वह अभी छुट्टी पर ही है, लेकिन जिस बात से नया धार्मिक विवाद सामने आ सकता है ।
वह यह कि बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा में हुई गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद विभाग द्वारा चाहिए तो यह था कि गुरुद्वारा और मंदिर की सुरक्षा बढ़ाई जाती। उसके लिए पक्के तौर पर ग्रंथी और पंडित तैनात किए जाते परंतु उलटा बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा से गुरुद्वारा साहिब को हटाकर नोएडा बी.एस.एफ. मुख्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है। अब बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा में गुरुद्वारा है ही नहीं जिससे सवाल यह भी पैदा होता है कि सिख धर्म को मानने वाले कर्मचारी अब कैसे अपने धर्म का पूजन करेंगे। मामले बारे सिख जत्थेबंदियों के नेताओं से बात की तो उनमें इस बात को लेकर रोष पाया गया।
इस बारे आल इंडिया सिख स्टूडैंट्स फैडरेशन के प्रधान मनजीत सिंह भोमा ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला पूरी कौम के लिए एक सवाल खड़ा करता है। बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा में बेअदबी के बाद वहां से गुरुद्वारा हटाना गलत है। इस मामले की जांच के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान को एक कमेटी तैयार करके उसे मथुरा बी.एस.एफ. मुख्यालय प्रशासन के पास भेजना चाहिए और अगर वहां से गुरुद्वारा साहिब को हटाए जाने की खबर सच है तो इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिल कर दोबारा गुरुद्वारा साहिब की स्थापना बी.एस.एफ. मुख्यालय में होनी चाहिए।
उधर मामले बारे बी.एस.एफ. मुख्यालय से एक घंटे की दूरी पर बसे आगरा के प्रसिद्ध गुरु द्वारा गुरु का ताल के प्रबंधक बाबा प्रीतम सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि बेअदबी कांड के दौरान वह नानक मत्ता गए हुए थे। उन्होंने अपने एक महंत बाबा महेंद्र सिंह की ड्यूटी लगाई थी जिन्होंने सारे मामले में जांच की और गुरु ग्रंथ साहिब के खंडित स्वरूप की संभाल की।
महंत महेंद्र सिंह ने बताया कि बेअदबी की खबर मिलने के बाद वह बी.एस.एफ. मुख्यालय गए थे वहां एक ही सिंह ड्यूटी पर था जिसने बताया कि वह पक्के तौर पर ड्यूटी नहीं कर रहा। बस सुबह-शाम आता है। उन्होंने कहा कि बी.एस.एफ. मुख्यालय में से गुरुद्वारा हटाए जाने की उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। उन्होंने कहा कि जल्द ही वह बाबा प्रीतम सिंह और अन्य सिख जत्थेबंदियों को साथ लेकर बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा जाएंगे और अधिकारियों से सारे मामले बारे बात करेंगे तथा दोबारा गुरुद्वारा स्थापित करवाएंगे।
मामले बारे सुखदेव सिंह भौर कन्वीनर पंथक फ्रंट ने कहा कि बी.एस.एफ. मुख्यालय मथुरा में से गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद गुरुद्वारा हटाना गलत है। बेअदबी तो गीता और देवताओं की मूर्तियों की भी हुई है तो मंदिर तो हटाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि सारे मामले की शिकायत गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार कमेटी वालों ने शिरोमणि कमेटी प्रधान के पास की है और गुरुद्वारा हटाए जाने के मामले में जल्द ही शिरोमणि कमेटी प्रधान को शिकायत की जाएगी।