Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 05:04 PM
पंजाबी विरासत के साथ जुड़े हुए लोहड़ी के पवित्र त्यौहार में चाहे अभी कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन हमारे रिश्तों के साथ जुड़े इस त्यौहार की रस्में निभाने के लिए लोग तैयारियों में जुट गए हैं। समाज ने सदा बेटियों से ज्यादा बेटों की ही परमात्मा से मांग की...
जीरा/फिरोजपुर(अकालियांवाला): पंजाबी विरासत के साथ जुड़े हुए लोहड़ी के पवित्र त्यौहार में चाहे अभी कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन हमारे रिश्तों के साथ जुड़े इस त्यौहार की रस्में निभाने के लिए लोग तैयारियों में जुट गए हैं। समाज ने सदा बेटियों से ज्यादा बेटों की ही परमात्मा से मांग की है, लेकिन कुदरती दात से जिस घर में बेटियां आईं, उस घर में किसी वस्तु की कमी भी नहीं रही। इस कारण ही माता-पिता अपनी बेटियों को ससुराल घर में जाकर भी ऐसे पवित्र त्यौहार पर सामाजिक रस्में निभाने से कभी पीछे नहीं हटते। लोहड़ी के त्यौहार का पवित्र तोहफा बेशक मूंगफली व रेवड़ी समझा जाता है, लेकिन बदलते जमाने से माता-पिता अपनी शान बढ़ाने के लिए अब अपनी ससुराल घर बेटियों के पास बिस्कुट भी लेकर जाते हैं। जिस कारण बिस्कुट बनाने वाले भट्ठे पर रौनक बढ़ जाती है। लोहड़ी ग्रामीण सथों में से गायब हो चुकी है।
गांव स्नेर में भी लगेगा बेटियों की लोहड़ी का मेला
जीरा के नजदीकी गांव स्नेर में ग्राम पंचायत के समूह नगरवासी तथा समाजसेवी संगठनों के सहयोग बेटियों की सातवीं लोहड़ी 10 जनवरी को लगाई जा रही है। इस दौरान नवजन्मी बच्चियों की माताओं को सम्मानित भी किया जाएगा।