पंजाब में पैदा हुए बिजली संकट दौरान पावरकाम के चेयरमैन का बड़ा बयान

Edited By Vatika,Updated: 03 Jul, 2021 12:03 PM

power com chairman s big statement during power crisis in punjab

पंजाब पावरकॉम के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ए. वेणु प्रसाद का कहना है कि पंजाब में बिजली संकट इस वर्ष मानसून के देरी से आगमन व धान की रोपाई के

चंडीगढ़ (शर्मा): पंजाब पावरकॉम के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ए. वेणु प्रसाद का कहना है कि पंजाब में बिजली संकट इस वर्ष मानसून के देरी से आगमन व धान की रोपाई के दौरान बारिश न होने के कारण पैदा हुआ है। प्रसाद शुक्रवार को सी.आई.आई. के पंजाब चैप्टर द्वारा आयोजित वर्चुअल इंट्रैक्शन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पीक सीजन में निजी क्षेत्र के पावर प्लांटों द्वारा तय बिजली आपूर्तिवकी असफलता बिजली संकट का अन्य कारण है। यही कारण है कि पिछले 2 सालों  के दौरान पावरकॉम को पावर कट लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। धान की रोपाई के सीजन  के अलावा कोरोना महामारी के चलते वर्क फ्रॉम होम के कल्चर के चलते भी बिजली की खपत में बढ़ौतरी हुई है।उन्होंने कहा कि सामान्यत: पावरकॉम 12,500 मैगावाट की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, लेकिन उक्त परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष 13,500 मैगावाट की उपलब्धता सुनिश्चित की गई थी, लेकिन इस दौरान इंडस्ट्री भी जारी रहती है तो यह डिमांड 15,500 मैगावाट से बढ़ जाएगी, इसलिए कुछ समय के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं।

मुझे उम्मीद है कि मानसून के आगमन के साथ ही स्थिति सामान्य हो जाएगी। वहीं सी.आई.आई. पंजाब चैप्टर के चेयरमैन भवदीप सरदाना ने कहा कि पंजाब को अब फसल को विविधिकरण व धान के चक्र से बाहर निकलने की जरूरत है, ताकि भूजल पर निर्भरता व हाईपावर मोटर्स के उपयोग को रोका जा सके। पावरकॉम को डिस्ट्रीब्यूशन एवं ट्रांसमिशन लॉस को कम करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने चाहिएं, ताकि उपभोक्ताओं को उनके द्वारा अदा की जाने वाली राशि का सही फायदा मिल सके। इंडस्ट्री के लिए दो दिन का आवश्यक वीकली ऑफ तकलीफदेय है तथा पावरकॉम को इसे अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं के साथ सांझा करना चाहिए।

‘राज्य में बिजली की उपलब्धता व खपत की स्थिति’
वीरवार को राज्य में बिजली की डिमांड 14500 मैगावाट तक पहुंच गई जो बिजली की उपलब्धता से लगभग 1300 मैगावाट अधिक थी। शुक्रवार को इंडस्ट्री की बिजली सप्लाई पर लगाई गई रोक के चलते लगभग 1000 मैगावाट की बचत हुई है, जिससे किसानों व घरेलू बिजली सप्लाई को नियमित करने में मदद मिली है।

प्लांटों के उत्पादन में आई गिरावट ने संकट बढ़ाया
1000 लाख यूनिट जिसमें 325 लाख यूनिट सरकारी थर्मल प्लांट्स का हिस्सा है, जबकि शेष 675 लाख यूनिट में निजी क्षेत्र की जिस्सेदारी है। हालांकि पावरकॉम के डाटा के अनुसार राज्य में थर्मल प्लांटों की उत्पादन क्षमता 6840 मैगावाट है, लेकिन इनमें सिर्फ 5640 मैगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। तलवंडी साबो थर्मल प्लांट एवं रोपड़ थर्मल प्लांट के उत्पादन में आई गिरावट ने भी बिजली संकट की बढ़ाया।

पंजाब में बिजली के स्त्रोत

  • दो राज्य स्तरीय कोयला आधारित प्लांट (1760 मैगावाट)
  •    920 मैगावाट लहरा मोहब्बत
  •   840 मैगावाट रोपड़

दोनों में मिलाकर वीरवार को उत्पादन हुआ 1556 मैगावाट
निजी क्षेत्र के प्लांट 

  •   कुल क्षमता 3920 मैगावाट
  •  राजपुरा (1400 मैगावाट), तलवंडी साबो (1980 मैगावाट), जी.वी.के. (540 मैगावाट)

वीरवार को इनमें उत्पादन हुआ 3054 मैगावाट
हाइड्रो प्रोजैक्टों की क्षमता 

  • सरकारी प्रोजैक्ट (1160.35 मैगावाट)
  •    रणजीत सागर डैम पठानकोट (600 मैगावाट)
  • मुकेरियां हाइडल प्रोजैक्ट (225 मैगावाट)
  • अप्परबारी दोआब नहर (91.35 मैगावाट) 
  •  सानन प्रोजैक्ट (हि.प्र.) (110 मैगावाट)
  • आनंदपुर साहिब हाइडल प्रोजैक्ट (67 मैगावाट)
  •   आनंदपुर साहिब हाइडल प्रोजैक्ट-2 (67 मैगावाट)

उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर मजबूरन इंडस्ट्री की बिजली सप्लाई पर प्रतिबंध लगाना पड़ा है, जो मात्र कुछ समय के लिए है। मानसून के आगमन के साथ ही स्थिति ठीक हो जाएगी। इंडस्ट्री पर प्रतिबंध से लगभग 1000 मैगावाट की सेविंग हो रही रही है, जिससे अन्य श्रेणी के उपभोक्तओं को राहत मिल रही है।
 -ए. वेणु प्रसाद, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पावरकॉम।

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