सावधान! जूस के नाम पर जहर तो नहीं पी रहे हैं आप

Edited By Vatika,Updated: 04 May, 2018 10:14 AM

you are not drinking poison in the name of juice

शहर का तापमान मई माह के शुरूआती दौर में ही 40 का आंकड़ा पार कर गया है, जिसके कारण एकाएक गर्मी में इजाफा देखने को मिल रहा है। इस प्रचंड गर्मी से बचने के लिए लोग बिना सोचे-समझे शीतल पेय पदार्थ का सेवन करने लगते हैं, जैसे मानो लोगों को गर्मी से निजात...

बठिंडा (आजाद): शहर का तापमान मई माह के शुरूआती दौर में ही 40 का आंकड़ा पार कर गया है, जिसके कारण एकाएक गर्मी में इजाफा देखने को मिल रहा है। इस प्रचंड गर्मी से बचने के लिए लोग बिना सोचे-समझे शीतल पेय पदार्थ का सेवन करने लगते हैं, जैसे मानो लोगों को गर्मी से निजात पाने का कोई अचूक नुक्सा मिल गया हो। तभी तो मौसम के बदले तेवर देखकर गन्ना जूस, बेल शरबत और मैंगो शेक की अनगिनत दुकानों से शहर भरा पड़ा है। इन दुकानों पर गर्मी से निजात पाने के लिए लोगों की लाइन लगी रहती है। वहीं, अधिक कमाई की होड़ में इन शीतल पेय पदार्थों के दुकानदार गुणवत्ता से कई बार समझौता करने से भी गुरेज नहीं करते हैं, यानी इन शीतल पेय पदार्थों में क्वालिटी, पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहींं होती। इसके अलावा पीने वाले गिलासों की साफ-सफाई भी बहुत निम्नस्तरीय होती है। ऐसे में शीतल पेय पदार्थ का आनंद लेते वक्त सावधानी जरूरी है।


गन्ने के रस के साथ गंदगी जा रही शरीर में
बेशक गन्ने का रस स्वास्थ्य के लिए गर्मियों में अधिक लाभदायक है। इस रस में पर्याप्त मात्रा में एनर्जी होती है जो शरीर को स्वस्थ रखती है लेकिन रस निकालने वाले पैसे के लालच में रस के साथ लोगों को गंदगी भी पिला रहे है। रस निकालते वक्त मशीन में ही पुदीना और नींबू स्वाद बढ़ाने के डाल देते है। गन्ने की सफाई सही तरह से नहीं करते हैं। कीड़े लगे गन्ने को भी मशीन में डालकर उसका रस निकाल देते हैं। इतना ही नहींं लोगों को जिस गिलास में गन्ने का जूस पीने को दिया जाता है, उसे एक बाल्टी के पानी में दिन भर धोते रहते हैं। सड़क किनारे धूल-मिट्टी होने के बावजूद सफाई का ध्यान नहींं रखा जाता है। 

बीमारियों का खतरा 
धूप में रहने की वजह से शरीर का तापमान ज्यादा रहता है, ऐसे में तुरंत ठंडे पेय पदार्थों का सेवन नुक्सान पहुंचाता है। खासकर पाचनतंत्र को। इसकी वजह से डायरिया, फूड प्वाइनिंग, आंतों में इंफैक्शन, अल्सर जैसी बीमारियां हो जाती हैं। यह पेय पदार्थ गुर्दे और लीवर को भी प्रभावित करते हैं। 


खाद्य सुरक्षा अधिकारी बेखबर 
जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी की निष्क्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ठेलों व दुकानों में बेचने वाले शीतल पेय पदार्थ के दुकानों की कभी भी कोई जांच-पड़ताल नहीं की है जिससे इन शीतल पेय पदार्थ बेचने वाले का हौसल बुलंद है। वहीं शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि दुकानदारों की इतनी लापरवाही के बावजूद भी कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। जब कोई बड़ा हादसा होगा तब इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा क्योंकि हाल ही में डायरिया के चपेट में आने से जिले में कई जानें गई हैं, तो कइयों की हालत अभी गंभीर बनी हुई है।


फेक है मैंगो शेक 
शहर में स्थापित जूस कॉर्नर के अलावा मैंगो शेक की दुकानें भी गर्मियों में सज गई हैं। &00 मिली लीटर का गिलास 40 रुपए का बेचा जाता है। जहां जूस में दूध और काजू पिस्ता भी डाला जाता हैं, वहां इसका रेट बढ़कर &5 से 50 रुपए हो जाता है। मैंगो शेक बनवाते वक्त ध्यान दें कि कहीं खराब आम का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है। अगर जूस में दूध डाला जा रहा है तो वह शुद्ध है या नहींं। बर्फ का इस्तेमाल हो रहा है या ठंडे पानी का। इतना ही नहीं कुछ दुकानदार तो कृत्रिम मैंगो शेक भी बनाकर मैंगो शेक के भाव से बेचते हैं। 

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