साल का खर्च-4 करोड़ , नतीजा-साफ पानी फिर नाले में!

Edited By swetha,Updated: 10 Sep, 2018 11:03 AM

year spent  4 crore result clean water in the drain

इस खबर का शीर्षक पढ़ कर आपको हैरानी भी होगी और गुस्सा भी आएगा लेकिन सच यही है कि आपके और हमारे द्वारा दिए जाने वाले टैक्स की कमाई का पैसा ऐसे ही बहाया जा रहा है।

जालंधर(नरेश कुमार): इस खबर का शीर्षक पढ़ कर आपको हैरानी भी होगी और गुस्सा भी आएगा लेकिन सच यही है कि आपके और हमारे द्वारा दिए जाने वाले टैक्स की कमाई का पैसा ऐसे ही बहाया जा रहा है। खबर के साथ जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह जालंधर के फोल्ड़ीवाल स्थित सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की है। यहां से रोजाना साफ होने वाले  150 एम.एल.डी. पानी को साथ बहती गढ़ा ड्रेन में फेंका जा रहा है। ये ड्रेन आगे जाकर शाहकोट के पास सतलुज में गिरती है। इसके चलते ड्रेन का गंदा पानी भी सतलुज में ही समा जाता है।  इसके कारण सतलुज एक्शन प्लान के तहत नदी को साफ रखने की योजना अपने मकसद में फेल हो रही है।
  
फोल्ड़ीवाल प्लांट को चलाने का महीने का खर्च करीब 35 लाख रुपए है। इस खर्च में इसका बिजली का बिल, स्टाफ  की सैलरी के अलावा मैटीनैंस का खर्च शामिल है, यानी इस पर साल में करीब 4 करोड़ रुपए का खर्च हो रहा है। इन तीनों प्लांट्स में से 100 एम.एल.डी. प्लांट 2008 से ऑप्रेशनल है जबकि 25 एम.एल.डी. क्षमता 2012 में और अन्य 25 एम.एल.डी. क्षमता 2015 में जोड़ी गई। अब जरा सोचिए इस प्लांट के आप्रेशन में पिछले करीब 11 साल में कितना खर्च हुआ और इस खर्च से साफ हुआ पानी कैसे पास बहती ड्रेन में जाता रहा और कैसे अफसर मजे से इस पानी व आपके पैसे की बर्बादी का पता होने के बावजूद हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहे।

जालंधर के 75 फीसदी सीवरेज के पानी को ट्रीट करता है प्लांट
जालंधर में सीवरेज से बहने वाले 75 फीसदी पानी को यही ट्रीटमैंट प्लांट साफ करता है। जालंधर में शहर के सीवरेज के पानी को साफ करने के लिए 235 एम.एल.डी. क्षमता के कुल 6 प्लांट हैं जिनमें से 3 प्लांट फोल्ड़ीवाल के एक ही काम्पलैक्स में हैं जबकि 50 एम.एल.डी. क्षमता का एक प्लांट बस्ती पीरदाद में ऑप्रेशनल है। हालांकि जालंधर में जैतेवाली में 25 और भाबियां वाली गांव में भी 10 एम.एल.डी. क्षमता के एक ट्रीटमैंट प्लांट हैं लेकिन पंजाब प्रदूषण नियंत्रण विभाग की वैबसाइट के मुताबिक ये प्लांट अंडर स्टैबेलाइजेशन हैं। 

केंद्र के फंड से हो रहा काम

यह सारा काम केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नदियों को साफ रखने की योजना के तहत हो रहा है। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक नैशनल रिवर कंजर्वेशन योजना के तहत देश के 14 राज्यों के 75 शहरों की 31 नदियों में फैंके जाने वाले पानी की निगरानी की जा रही है। इनमें से सबसे ज्यादा 18 शहर पंजाब के हैं। इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 4517 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। पंजाब में लगाए  गए सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट्स में से एक बड़ा हिस्सा केंद्र के सहयोग से बना है और पंजाब में बनाए गए प्लांट्स की निगरानी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सीवरेज बोर्ड मिल कर रहे हैं। 

फोल्ड़ीवाल प्लांट की क्षमता 150 एम.एल.डी.
साल    तकनीक             क्षमता 
2008    यू.ए.एस.बी.     100 एम.एल.डी. 
2012     एस.बी.आर.    25 एम.एल.डी. 
2015    एस.बी.आर.     25 एम.एल.डी. 

पंजाब में कुल सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट्स    118 
ऑप्रेशनल प्लांट्स     66
अंडर कंस्ट्रक्शन       18      
अंडर स्टैबेलाइजेशन  04
नॉन-ऑप्रेशनल        03
इंस्टालेशन पैंडिंग     17

 

नगर निगम ने हमें सिर्फ  प्रस्ताव भेजा है लेकिन इसके लिए जरूरी फंड हमारे पास नहीं है। जालंधर ही नहीं, पंजाब के अन्य सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट्स के साफ किए जाने वाले पानी को भी कृषि के लिए इस्तेमाल किए जाने की योजना है लेकिन यह फंड्स के साथ ही हो सकेगा। हम फिलहाल इस स्थान का सर्वे करके इस पानी के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाशेंगे और इस पर फंड्स जल्द जारी होने की संभावना है, जैसे ही फंड्स जारी होते हैं हम इस पर काम शुरू कर देंगे।     —अरविंद्र सिंह 

 हमारी तरफ  से यह ट्रीटमैंट प्लांट पूरी तरह से ऑप्रेशनल है। यह प्लांट 24 घंटे अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है और रोजाना 150 एम.एल.डी. पानी ट्रीट किया जा रहा है। जहां तक इस पानी के बाहर जा कर ड्रेन में गिरने का सवाल है, हमें इस मामले में सॉयल एंड वाटर कंजर्वेशन विभाग को प्रोजैक्ट भेजा है जिसमें इस पानी को कृषि के लिए इस्तेमाल किए जाने की योजना है और इस प्रोजैक्ट की फाइल अब उसी विभाग के पास लंबित है। वह विभाग जितनी जल्दी इस पर काम करेगा इस पानी की बर्बादी उतनी जल्दी रुकेगी।—गगनदीप सिंह, एस.डी.ओ. जालंधर नगर निगम

मुझे फिलहाल इस पूरे मामले की जानकारी नहीं है और न ही मैंने मौका देखा है। मैं मौका देखने के बाद ही इस पर कोई प्रतिक्रिया दे सकता हूं लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में सभी पक्षों के साथ तालमेल करके संसाधनों का सही इस्तेमाल होना चाहिए और जो पानी खराब हो रहा है उसके सही इस्तेमाल की योजना बननी चाहिए। मैं इस दिशा में प्रयास करूंगा ताकि टैक्स पेयर का पैसा खराब न हो।     —सतविंद्र सिंह मरवाहा चेयरमैन पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 


प्रदूषण के खिलाफ इस तरह जुड़ें मुहिम से

पंजाब केसरी द्वारा प्रदूषण के खिलाफ शुरू की गई मुहिम से सैंकड़ों लोग जुड़ रहे हैं। इस मुहिम से जुडने व सुझाव देने के लिएsupport@punjabkesari,net.in पर सम्पर्क करें। 

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