विश्व पर्यावरण दिवस: जहर बनता जा रहा है गुरु नगरी का हवा-पानी

Edited By Anjna,Updated: 05 Jun, 2018 07:48 AM

world environment day

आज जहां पूरा विश्व वातावरण दिवस मना रहा है व वातावरण प्रदूषित होने के कारण सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग का शिकार हो रही है और मौसम असमान्य हो चुका है तो वहीं गुरु नगरी श्री अमृतसर साहिब की बात करें तो अलग-अलग समय की सरकार के नेताओं, प्रशासनिक...

अमृतसर(नीरज): आज जहां पूरा विश्व वातावरण दिवस मना रहा है व वातावरण प्रदूषित होने के कारण सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग का शिकार हो रही है और मौसम असमान्य हो चुका है तो वहीं गुरु नगरी श्री अमृतसर साहिब की बात करें तो अलग-अलग समय की सरकार के नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों व प्रदूषण कंट्रोल विभाग की लापरवाही के चलते गुरु की नगरी का हवा पानी भी जहर बनता जा रहा है, जिसको कंट्रोल करने के लिए जिस प्रकार के सख्त कदम उठाए जाने चाहिए उतने नहीं उठाए जा रहे हैं। हालत यह बन चुकी है कि न तो हवा सांस लेने के लायक बची है और न ही पानी पीने के लायक रहा है।PunjabKesari
ध्वनि प्रदूषण की बात करें तो बसों, ट्रकों, कारो, जीपों यहां तक कि स्कूटर व मोटरसाइकिलों पर भी लोगों ने प्रैशर हार्न लगा रखे हैं, जो आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। इस पर कंट्रोल करने वाला प्रदूषण कंट्रोल विभाग किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई करने में बेबस नजर आ रहा है। नदी नाले तक सुरक्षित नहीं रहे हैं और बड़े-बड़े कारखानों की तरफ से नदियों के जल में जहरीला पानी डाला जा रहा है, जिससे नदियों का पानी भी जहरीला होने के कारण आए दिन पानी में रहने वाले जीव-जंतु लाखों की गिनती में मारे जा रहे हैं। हाल ही में ब्यास दरिया में लाखों मछलियां मारे जाने का मामला सामने आ चुका है, जो इस बात का सबूत है कि नदियों के पानी में कारखानों का वेस्ट मैटीरियल डाला जा रहा है, जिसको रोकने की सख्त जरुरत है।

नहीं रुक सका पॉलिथिन लिफाफों का प्रयोग
जिला प्रशासन की तरफ से ऐलान किया गया था कि 15 मई के बाद गुरु नगरी में प्लॉस्टिक लिफाफों का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और प्लॉस्टिक लिफाफों की बजाय मक्की व आलू के मटीरियल से बने लिफाफों का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिनअपने इस आदेश को जिला प्रशासन अमलीजामा नहीं पहना सका है। इसका सबसे बड़ा कारण प्लॉस्टिक लिफाफों का विकल्प मक्की व आलू या ज्यूट से बने लिफाफों की उपलब्धता न होना है। लंबे समय से प्लॉस्टिक लिफाफों का प्रयोग हो रहा है, जिसको एकदम से रोक पाना आसान नहीं है।PunjabKesari
पंजाब सरकार की तरफ से जिस कंपनी को मक्की व आलू के मटीरियल से बने लिफाफे बनाने की डील की गई थी, वह इतने लिफाफे नहीं बना सकी है कि पूरे जिले में प्लॉस्टिक लिफाफों का विकल्प मिल जाए। मक्की व आलू के मटीरियल से बने लिफाफे अपने आप एक महीने के बाद वेस्ट हो जाते हैं, लेकिन प्लॉस्टिक के लिफाफे इतने खतरनाक है कि सैंकड़ों वर्षों तक वेस्ट नहीं होते हैं। जमीन में दब जाने के बाद भी यह सैकड़ों वर्षों तक जैसे के तैसे रहते हैं। गटर में फंसने के बाद यह सीवरेज जाम कर देते हैं, जबकि जलाए जाने पर जहरीला धुंआं पैदा करते हैं। श्री हरिमन्दिर साहिब में मक्की व आलू के मटीरियल से बने लिफाफों का प्रयोग सफल माना जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन आम जनता के लिए रोजाना के प्रयोग में मक्की व आलू के मटीरियल से बने लिफाफे उपलब्ध नहीं करवा पाया है।

गेहूं व धान के अवशेष जलाने से भारत व पाक प्रदूषित
वायु प्रदूषण की बात करें तो हवा भी सांस लेने के लायक नहीं रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण गेहूं व धान के अवशेषों को किसानों की तरफ से जलाया जाना है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पंजाब सरकार व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की लाख कोशिशों के बाद भी किसान गेहूं व धान की नाड़ जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि खेतीबाड़ी वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि फसलों की नाड़ जलाने से मिट्टी का उपजाऊपन कम हो रहा है और यही हाल रहा तो खेत बंजर हो जाएंगे, लेकिन फिर भी किसान नाड़ जला रहे हैं।

अमृतसर जिले की बात करें तो बार्डर फैंसिंग के दोनों ही तरफ किसान गेहूं की नाड़ जला रहे हैं, यहां तक कि पाकिस्तान के किसान भी ऐसा ही कर रहे हैं और बार्डर फैंसिंग के दोनों तरफ 20 से 25 फुट ऊंची स्मॉग बन जाती है।पंजाब व हरियाणा में नाड़ जलाए जाने से दिल्ली में धुंएं की चादर छा जाती है। इसके अलावा डीजल वाहनों, कंडम वाहनों, ऐसी व फ्रिजों से निकलने वाले प्रदूषण के कारण हवा जहरीली होती जा रही है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!