Edited By swetha,Updated: 17 Apr, 2019 10:43 AM
देश भर में महिलाओं को पुरुषों के बराबर संवैधानिक अधिकार देने और सामाजिक समानता देने संबंधी किए जा रहे प्रयासों के तहत अगर स्वतंत्रता के बाद अब तक हुए विभिन्न चुनावों के दौरान महिलाओं द्वारा अपनी वोट के इस्तेमाल के आंकड़ों की जांच करने पर आश्चर्यजनक...
गुरदासपुर(हरमनप्रीत): देश भर में महिलाओं को पुरुषों के बराबर संवैधानिक अधिकार देने और सामाजिक समानता देने संबंधी किए जा रहे प्रयासों के तहत अगर स्वतंत्रता के बाद अब तक हुए विभिन्न चुनावों के दौरान महिलाओं द्वारा अपनी वोट के इस्तेमाल के आंकड़ों की जांच करने पर आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए हैं। इसके अनुसार कई राज्यों में महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पछाड़ दिया, वहीं अनेक राज्य ऐसे हैं, जिनमें अभी भी महिलाएं पुरुषों के मुकाबले वोट डालने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखातीं। अगर पूरे देश के संयुक्त ग्राफ को देखा जाए तो यह तथ्य सामने आया है कि महिलाओं और पुरुषों के वोट प्रतिशत के आंकड़ों में महिलाओं का ग्राफ निरंतर ऊंचा जा रहा है।
कई राज्यों में अभी भी कम है महिलाओं का मतदान प्रतिशत
महिलाओं के मतदान के मामले में दिल्ली अभी भी पीछे हैं। करीब 16 राज्यों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले अधिक था, जबकि बिहार और उड़ीसा जैसे राज्यों में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक उत्साह दिखाती हैं। आसाम में भी महिलाओं में मतदान करने संबंधी उत्साह बढ़ रहा है, जबकि पंजाब में पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान महिलाओं का मतदान 70.93 प्रतिशत था, जबकि पुरुषों का मतदान 70.33 प्रतिशत होने से इस राज्य में महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ दिया। 2014 में नागालैंड में पुरुषों का 88.15 प्रतिशत मतदान होने से यह राज्य पुरुषों के मतदान के मामले में सबसे ऊपर रहा, जबकि लक्षद्वीप में महिलाओं ने 88.42 प्रतिशत मतदान कर इस राज्य को महिलाओं को मतदान के मामले में पहले स्थान पर लेकर आया।
महिलाओं की आबादी के मुकाबले कम है मतदाताओं की संख्या
अगर 2011 की जनगणना के अनुसार देखें तो 2019 में पुरुषों की कुल आबादी के मुकाबले 97.2 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है, मगर दूसरी तरफ इस समय देश में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदातओं के मुकाबले सिर्फ 92.7 प्रतिशत है, जो उपरोक्त अनुमानित दर से 4.5 प्रतिशत कम मानी जा रही है। इस तथ्य के मुताबिक यह माना जा रहा है कि अभी भी कई महिलाओं ने अपनी वोट नहीं बनवाई और उनके नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान देश में कुल 23.4 मिलियन महिला मतदाताओं ने अपनी वोट का इस्तेमाल नहीं किया था।
अगर अब से 57 वर्ष पूर्व 1962 में हुए असैंबली चुनाव की बात करें तो उस समय महिलाओं का मतदान पुरुषों के मुकाबले 20 प्रतिशत कम था, क्योंकि उस समय पुरुषों का मतदान 63 प्रतिशत था, जबकि महिलाओं का मतदान 43 प्रतिशत दर्ज किया गया था, मगर देश में 2017 तथा 2018 के दौरान हुए चुनावों में पुरुषों ने 69 प्रतिशत मतदान किया, जबकि महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से 1 प्रतिशत बढ़ कर 70 प्रतिशत तक पहुंच गया। इस मामले में आश्चर्यजनक बात यह देखने को मिली कि 57 वर्ष पहले के मुकाबले पिछले वर्ष हुए चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत तो 27 प्रतिशत बढ़ गया, मगर पुरुषों के मतदान प्रतिशत में केवल 7 प्रतिशत की बढ़ौतरी ही दर्ज की गई।