Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 10:41 AM
पिछले 5 साल मेयरशिप को एंज्वाय करने वाले सुनील ज्योति ने एक महीने में ही अपने सुर बदल लिए हैं। एक विशेष भेंट में उन्होंने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटर लगने के बाद नगर निगम के हालात बद से बदतर हो गए हैं। जगह-जगह अवैध निर्माण हो रहे हैं और शहर में कूड़े की...
जालंधर (खुराना): पिछले 5 साल मेयरशिप को एंज्वाय करने वाले सुनील ज्योति ने एक महीने में ही अपने सुर बदल लिए हैं। एक विशेष भेंट में उन्होंने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटर लगने के बाद नगर निगम के हालात बद से बदतर हो गए हैं। जगह-जगह अवैध निर्माण हो रहे हैं और शहर में कूड़े की समस्या कहीं बढ़ गई है।
पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कहा कि कांग्रेस सरकार आने के बाद शहर का विकास रुका हुआ है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने शहर का दौरा कर विकास हेतु 363 करोड़ रुपए की भारी-भरकम ग्रांट जारी करने की घोषणा की परन्तु यदि देखा जाए तो निगम के खजाने में सिर्फ 10 करोड़ रुपए आए हैं। बाकी उन्होंने जो घोषणाएं की हैं वे सारी केंद्र सरकार से संबंधित हैं और प्रोजैक्ट पहले ही चल रहे हैं। श्री ज्योति ने कहा कि कांग्रेस सरकार आने के बाद जो काम चल रहे थे या पूरे हो गए थे, उनकी 81 करोड़ की देनदारी थी और कांग्रेस ने आते ही 52 करोड़ रुपए के काम कैंसल कर दिए।
अब विधायकों को उनमें से 42 करोड़ रुपए जारी करने की बात कही जा रही है। पूर्व मेयर ने कहा कि अमरूत योजना के तहत अकाली-भाजपा सरकार के समय 84 करोड़ रुपए रखे गए थे, जिससे शहर के मोहल्लों में पड़ी पानी की पुरानी पाइप लाइनों को बदला जाना था। 2-3 बार टैंडर लगने के बाद किसी ठेकेदार ने टैंडर नहीं भरे परन्तु अब अमरेन्द्र ने उसी काम के 40 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इस योजना के तहत सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट को 150 करोड़ से अपग्रेड किया जाना था परन्तु विधायक परगट सिंह इस काम में अड़चन बन रहे थे। अब अमरेन्द्र सिंह ने उसी योजना के 150 करोड़ रुपए दोबारा जारी किए हैं।
पूर्व मेयर ने कहा कि सबसे हास्यस्पद बात स्मार्ट सिटी हेतु 50 करोड़ की ग्रांट जारी करने को लेकर है। शायद उन्हें नहीं पता कि उनके लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने स्मार्ट सिटी की फाइल दबा कर रखी हुई है और अभी तक इस प्रोजैक्ट हेतु कंसल्टैंट कम्पनी को काम शुरू करने हेतु नहीं कहा गया। पहली कम्पनी के टैंडर रद्द कर दिए गए थे और दोबारा कम्पनी के चुनाव भी हो चुके हैं परन्तु अभी तक न कम्पनी फाइनल हुई है न डी.पी.आर. बनी है, न डी.पी.आर. फाइनल हुई है। ऐसे में 50 करोड़ की ग्रांट बेमानी है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने शहरों के सीवरेज सिस्टम हेतु 1500 करोड़ रुपए रिलीज करने की बात कही है परन्तु यह नहीं बताया कि जालन्धर को 50 करोड़ रुपए दिए गए हैं जबकि उनकी सरकार के समय 100 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे जिनमें से 50 करोड़ रुपए मिल भी गए थे बाकी 50 करोड़ रुपए पी.आई.डी.बी. के पास पड़े थे जिस कारण काम रुका हुआ था।
टैंडरों बारे कोई स्पष्ट नीति नहीं
पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अभी तक टैंडरों बारे कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई है। अब विधायकों को कुछ ग्रांट मिली है, जिसके तहत पुरानी पद्धति पर ही टैंडर लग रहे हैं परन्तु क्या सिंगल या दो टैंडरों के आधार पर काम अलाट किए जाएंगे? इस बारे कुछ स्पष्ट नहीं किया जा रहा जिस कारण विकास प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के पास केंद्र की ओर से जी.एस.टी. का 150 करोड़ रुपया आ चुका है परन्तु अभी तक उसका शेयर जालन्धर निगम को नहीं भेजा गया जिस कारण निगम को वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है।
‘माल मालकां दा, मशहूरी कम्पनी दी’ : महिन्द्र भगत
भाजपा नेता महिन्द्र भगत ने गत दिवस मुख्यमंत्री वरिन्द्र सिंह द्वारा जालन्धर नगर निगम को 363 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी करने पर चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने ‘माल मालकां दा मशहूरी कम्पनी दी’ जैसा काम किया है, क्योंकि इसमें से ज्यादातर पैसे केंद्र सरकार की ग्रांटों के हैं जो अकाली-भाजपा सरकार के समय से चल रहे हैं और उनमें अमरेन्द्र सरकार का कोई योगदान नहीं। महिन्द्र भगत ने कहा कि स्मार्ट सिटी या अमरूत योजना के तहत ग्रांट जारी करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास नहीं है।
ये पैसे तो केंद्र सरकार द्वारा नियमित रूप से निगम के पास आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने झूठे वायदे कर सरकार बनाई और अब फिर ग्रांटों के मामलों में लोगों से झूठ बोला जा रहा है परन्तु अब निगम चुनावों में लोग इस झांसे में नहीं आएंगे।