कृषि कानून को लेकर नवजोत सिद्धू का जबरदस्त तर्क, कैप्टन का भी किया विरोध

Edited By Vatika,Updated: 19 Oct, 2020 03:44 PM

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खेती कानूनों के खिलाफ पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू ने जबरदस्त तर्क के द्वारा जहां केंद्र सरकार की जमकर निंदा की है, वहीं पंजाब सरकार ख़ास कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर निशाने साधे हैं।

चंडीगढ़: खेती कानूनों के खिलाफ पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू ने जबरदस्त तर्क के द्वारा जहां केंद्र सरकार की जमकर निंदा की है, वहीं पंजाब सरकार ख़ास कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर निशाने साधे हैं। सिद्धू ने नाम लिए बिना मुख्यमंत्री के उस बयान का तीखा विरोध किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसान संघर्ष के साथ पंजाब का माहौल ख़राब हो सकता है। लगभग डेढ़ साल बाद विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा बनने वाले नवजोत सिद्धू ने अपने फेसबुक पेज पर वीडियो के द्वारा जनता के सामने होते कहा कि केंद्र ने यह 3 कानून किसानों को सिर्फ़ और सिर्फ़ पूंजीपतियों का ग़ुलाम बनाने के लिए लाए हैं। केंद्र सरकार राज्य की ताकतों को  ख़त्म करके सभी अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है। यह कानून सीधा -सीधा हमारे बुनियादी ढांचे को तबाह करने वाले हैं। 

 

सिद्धू ने कहा कि देश को सिर्फ़ 2 बड़ी कंपनियां चला रही हैं, जिस तरह गोरे ने ईस्ट इंडिया कंपनी चलाई थी, उसी तरह अडानी -अंबानी जैसे रसूखदार देश को चला रहे हैं। अपने तर्क में सिद्धू ने कहा कि पंजाब की 70 प्रतिशत खेती ट्यूबवैलों के साथ चलती है और एक किलो धान की फ़सल उगाने के लिए 5377 लीटर पानी इस्तेमाल किया जाता है। आज पंजाब जो चावल खाता ही नहीं है, इसलिए 1400 करोड़ क्यूसिक पानी धरती में से फ़ाल्तू निकाल रहा है, जो भरपाई होने की लिमिट से कहीं अधिक है और एक क्यूबिक मीटर में एक हज़ार लीटर पानी आता है। लिहाज़ा आने वाले 5-10 सालों में पंजाब की धरती बंजर हो जाएगी। सिद्धू ने कहा कि आज ज़मीन में कम रहे पानी के स्तर के कारण छोटा किसान कर्ज़ लेकर ट्यूबवैल लगा रहा है। लिहाज़ा पंजाब देश को धान नहीं बल्कि पानी एक्सपोर्ट कर रहा है, वह भी कर्ज़ ले लेकर। सिद्धू ने कहा कि आज पंजाब के किसान और जनता की नज़रें हम पर टिकीं हुई हैं, लिहाज़ा सरकार को किसानों को भटकाने की बजाय बल्कि मुद्दे पर आकर हल करना चाहिए।

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यही कारण है कि आज पंजाब में किसानों का सच्चा संघर्ष चल रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपना पक्ष रखा है, अब ज़रूरत है कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह का नाम लिए बिना सिद्धू ने कहा कि यह झंडों और डंडों का संघर्ष है, इसको यह कह देना कि इसको बाहरी ताकतें चला रही हैं या इसके साथ पंजाब के हालात बिगड़ जाएंगे, यह किसानों के सच्चे संघर्ष का नरादर भी है और अपमान भी। उन्होंने कहा कि सरकार किसान को भटकाने की बजाय हल करें। सिद्धू ने कहा कि यह संघर्ष हमारी होंद का, पंजाबियत का संघर्ष है। जिसमें पंजाब का हर शख्स किसानों के साथ आकर खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि जो नेता एक देश एक मंडी की बात कर रहे, वह पंजाब और संविधान विरोधी हैं। इसके साथ केंद्र सरकार पूंजीपतियों के लिए किसान की आमदन पर कब्ज़ा करने का रास्ता खोल रही है। जिसको किसी कीमत पर बर्दाशत नहीं किया जा सकता। सिद्धू ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सरकारी खरीद से मुकरती है तो पंजाब सरकार ख़रीदे। अगर किसान की मदद करने के लिए सरकार के पास पैसों की कमी है तो शराब माफिया, रेत माफिया, केबल माफिया को बंद कर देना चाहिए। सिद्धू ने कहा कि पंजाब छोटे -छोटे किसानों को मिलकर एक कानूनी इकाई बनानी चाहिए और यदि यह लड़ाई जीतनी है तो इसमें हर पंजाबी को योगदान देना होगा। 
 

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