Edited By Anjna,Updated: 31 May, 2018 12:30 PM
सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करने के किए जाते दावों की पोल सरकारी गल्र्ज प्राइमरी स्कूल दानिशमंदां में खुलती नजर आई।
जालंधर, (सुमित): सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुविधाएं मुहैया करवाने के नाम पर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करने के किए जाते दावों की पोल सरकारी गर्ल्स प्राइमरी स्कूल दानिशमंदां में खुलती नजर आई। स्कूल की कक्षा चौथी के कक्षाकक्ष की छत को देखकर लगता है कि शिक्षा विभाग इस स्कूल में किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। छत में लगे अधिकतर बाले टूटे हुए हैं और बचे बालों की हालत खस्ता है। ऐसे में छत को ठीक करवाना स्टाफ या फिर शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बनती है, पर शायद सरकारी स्कूलों में कोई किसी की सुनने वाला ही नहीं।
आफिस को ग्रांट के लिए लिखा था : हैड टीचर
इस संबंध में जब स्कूल हैड टीचर पूनम से पूछा गया तो उन्होंने माना कि कमरे की छत की हालत खस्ता है। उन्होंने कहा कि इस बाबत काफी पहले आफिस को लिखा था परंतु स्कूल को एस.एस.ए. की कोई ग्रांट अभी मिली ही नहीं। इसके साथ ही बी.पी.ई.ओ. हंसराज ने कहा कि वह इस संंबंध में पूरी जानकारी हैड टीचर से लेंगे और इसकी रिपोर्ट विभाग को भेजेंगे।