Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 02:40 PM
विदेशों में खाता खोलने वाले खाताधारकों को इन्कम टैक्स के नोटिस मिलने के बाद उनमें हड़कम्प मच गया है। विदेश में बैंक खाते रखने वाले लोगों को सितम्बर महीने से विदेशी फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशन से लैटर व ई-मेल के जरिए लगातार नोटिस मिल रहे हैं। अपना काला...
जालंधर(रविंदर शर्मा): विदेशों में खाता खोलने वाले खाताधारकों को इन्कम टैक्स के नोटिस मिलने के बाद उनमें हड़कम्प मच गया है। विदेश में बैंक खाते रखने वाले लोगों को सितम्बर महीने से विदेशी फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशन से लैटर व ई-मेल के जरिए लगातार नोटिस मिल रहे हैं। अपना काला धन विदेशी बैंकों में छुपाने वाले खाताधारक अब इन नोटिसों से बचाव के लिए कानूनी राय ले रहे हैं और लगातार उनकी दौड़ वकीलों के पास लग रही है।
नोटिस में साफ कहा गया है कि क्रिसमस यानी 25 दिसम्बर से पहले अपना टैक्स रैजीडैंसी स्टेटस बताया जाए। साथ ही कहा गया है कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो यह खाते खोलने वाले बैंक इन खाताधारकों के बारे में हर जानकारी भारत सरकार को उपलब्ध करवाएंगे। विदेशी फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशन से नोटिस मिलने के बाद खाताधारक दुविधा में पड़ गए हैं। खाताधारकों को डर है कि अगर उन्होंने नोटिस का जवाब दिया तो इंकम टैक्स विभाग इसका फायदा उठाकर कई सवाल दाग सकता है। इनमें से कुछ लोग विशेषकर वह जिन्होंने टैक्स रिटन्र्स में विदेशी संपत्ति का जानबूझकर खुलासा नहीं किया था, एक चांस लेना चाहते हैं।
टैक्स हैवंस में अपने खाते खोलने वाले नान रैजीडैंट इंडियंस को अब अपने मौजूदा टैक्स रैजीडैंसी स्टेटस का पूरा सबूत देना होगा। हालांकि जिन्होंने अपने खाते 31 दिसम्बर, 2015 के पहले बंद कर दिए थे, वह कम से कम अस्थाई तौर पर टैक्स अथारिटी के एक्शन से बच जाएंगे। इंकम टैक्स विभाग ने कुछ ईमेल भी खंगाले हैं। इन ईमेल में विदेशी बैंकों ने साफ-साफ बात की है। एक बड़े ब्रिटिश बैंक ने अपने क्लाइंट्स को याद दिलाया है कि अगर आपने 24 दिसम्बर, 2017 तक हमें जानकारी नहीं दी तो हमें आपके टैक्स पर्पज की जानकारी देनी पड़ेगी, तब आपको सक्षम टैक्स अथारिटी के सामने अपनी डिटेल्स रखनी पड़ सकती हैं। बैंक खाताधारक के नाम, पता, जन्म तिथि के अलावा अकाऊंट बैलेंस या कैलेंडर ईयर के अंत में उसकी वैल्यू, ग्रास इंटरस्ट अमाऊंट, डिवीडैंड और अकाऊंट में जमा हुई अन्य धनराशि के साथ फाइनैंशियल अकाऊंट में सेल या रिडैम्पशन से आई रकम की जानकारी सांझा कर सकते हैं।
यह सब इंफार्मेशन एंड कामन रिपोॄंटग, स्टैंडर्ड के आटोमैटिक एक्सचेंज का हिस्सा है जिसके पालन पर ब्रिटेन, सिंगापुर, यू.ए.ई., मारीशस, जर्सी और भारत समेत 90 ज्यूरीडिक्शन ने सहमति जताई है। सी.आर.एस. लैजिसलेशन के तहत दुनिया भर के फाइनैंशियल इंस्टीच्यूशन को टैक्सपेयर्स के फाइनैंशियल अकाऊंट इंफार्मेशन तक टैक्स अधिकारियों को एक्सैस देने में अहम भूमिका निभानी होती है। चौकसी एंड चौकसी एल.एल.पी. की सीनियर पार्टनर मितिल चौकसी का कहना है कि बैंक को अगर लगता है कि टैक्स से जुड़े मकसद के लिए किसी भी व्यक्ति के निवास वाले देश के बारे में उसके पास पूरी जानकारी नहीं है तो वह खुद भी संबंधित व्यक्ति से संपर्क कर सकता है।