पंजाब के कई जिलों में स्टाफ की कमी के चलते धूल फांक रहे हैं वेंटिलेटर

Edited By Tania pathak,Updated: 02 May, 2021 02:26 PM

ventilators are blowing dust in many districts of punjab

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पंजाब में कोरोना से निपटने के लिए कैप्टन सरकार जहां बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी और सूबे के कई अस्प्तालों में प्रशिक्षित स्टाफ न होने के कारण भारी संख्या में वेंटीलेटर स्टोर में पड़े धूल फांक रहे हैं।

चंडीगढ़: कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पंजाब में कोरोना से निपटने के लिए कैप्टन सरकार जहां बड़े-बड़े दावे कर रही है वहीं दूसरी और सूबे के कई अस्प्तालों में प्रशिक्षित स्टाफ न होने के कारण भारी संख्या में वेंटीलेटर स्टोर में पड़े धूल फांक रहे हैं। अमृतसर की बात करें तो यहां के निजी और सरकारी अस्पतालों में 300 से ज्यादा वेंटीलेटर मौजूद हैं। इनमें से करीब  200 कोविड के मरीजों के लिए सुरक्षित हैं। 

हालत यह है कि स्टाफ की कमी के कारण इनमें से केवल 30 से 40 ही इस्तेमाल हो पा रहे हैं। अमृतसर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जी.एम.सी.एच.) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केडी सिंह का कहना है कि  हमारे पास अस्पताल में 137 वेंटिलेटर हैं, लेकिन उनमें से 50 को अभी तक स्थापित ही नहीं किया गया है। उन्हें स्थापित करने के लिए अस्पताल तकनीशियनों की प्रतीक्षा कर रहा है। वह कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में ऑक्सीजन बेड की मांग में भारी वृद्धि हुई है।

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अमृतसर में 4 डॉक्टरों सहित चाहिए दो दर्जन लोगों का स्टाफ
एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि यहां तक कि जी.एम.सी.एच. में बढ़ते मामलों को संभालने के लिए पर्याप्त वेंटिलेटर हैं, लेकिन उपकरणों को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं है। वह कहते हैं कि अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखे गए पांच मरीजों के लिए हमें हमें चार एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और एक दिन में तीन शिफ्टों के लिए 20 स्टाफ नर्सों के स्टाफ की जरूरत है। इसके अलावा तकनीशियन और एक्स-रे तकनीशियनों की आवश्यकता है। वेंटिलेटर पर मरीजों की देखभाल करने के लिए हमारे पास पर्याप्त विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। कई डॉक्टर संक्रमित  होने के बाद  छुट्टी पर चले जाते हैं। स्टाफ की कमी के कारण सिविल अस्पताल के कुछ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और तकनीशियनों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है।

पठानकोट में 18 वेंटिलेटर नॉन-ऑपरेशनल
गुरदासपुर जिले में एक सरकारी अस्पताल में केवल 2 वेंटिलेटर हैं, लेकिन वे ट्रेंड स्टाफ के अभाव में इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं। गुरदासपुर के सिविल सर्जन डॉ. हरभजन राव  कहते है कि स्टाफ की कमी के कारण हम गंभीर स्तर के कोविड मरीजों को अमृतसर जी.एम.सी.एच. में रेफर करते हैं। पठानकोट जिले में भी सरकारी अस्पतालों के सभी 18 वेंटिलेटर नॉन-ऑपरेशनल हैं। सिविल सर्जन डॉ. हरबिंदर सिंह का कहना है कि हमारे पास सरकारी अस्पतालों में कोविड -19 मरीजों के लिए लेवल -3 की सुविधा नहीं है। साथ ही वेंटिलेटर पर मरीजों के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर या गहन चिकित्सा इकाई (आई.सी.यू.) नहीं है, हालांकि हमारे पास कोविड -19 रोगियों के लिए निजी अस्पतालों में 13 वेंटिलेटर हैं।

ऐसा ही हाल तरनतारन जिले का है जहां सरकारी अस्पतालों में तीन वेंटिलेटर स्टाफ की कमी के कारण उपयोग से बाहर हैं। सिविल सर्जन डॉ. रोहित मेहता ने बताया कि यहां  निजी अस्पतालों में लेवल-3 के 20 बैड हैं, लेकिन वेंटिलेटर की आवश्कता पड़ने पर मरीजों को जीएमसी अमृतसर रैफर करना पड़ता है। हमारे पास सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर मरीजों के इलाज के लिए बुनियादी ढांचा और डॉक्टर नहीं हैं।

रूपनगर में 10 में से एक भी वेंटिलेटर चालू नहीं
रूपनगर जिले में सरकारी अस्पतालों में 10 वेंटिलेटर में से कोई भी चालू नहीं है। प्रशासन ने उच्च अधिकारियों को व्यवस्था बनाने के लिए लिखा है ताकि वे गंभीर रोगियों को संभाल सकें। इसके अलावा, फिरोजपुर, फाजिल्का, मनसा और मुक्तसर जिलों में सरकारी अस्पतालों में क्रमशः सात, छह और चार वेंटिलेटर हैं, लेकिन वे सभी स्टाफ की कमी के कारण उपयोग में नहीं हैं। फाजिल्का के सिविल सर्जन डॉ. हरिंदर सिंह का कहना है कि हमारी डॉक्टरों की टीम वेंटिलेटर का उपयोग करना सीख रही है। जालंधर जिले में 62 अस्पतालों में कुल 165 वेंटिलेटर में से 45 ही इस्तेमाल में हैं।

फरीदकोट सहित तीन जिलों में सेवाएं बेहतर
फरीदकोट स्थित गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जी.जी.एस.एम.एम.सी.एच.)  बठिंडा, मनसा, मुक्तसर, मोगा, फिरोजपुर, फाजिल्का और फरीदकोट के दक्षिण मालवा जिलों के मरीजों कवर करता है। यहां पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर छह कोविड -19 मरीज हैं। अस्पताल में 450 बैड के साथ आइसोलेशन सुविधा है। इसमें स्टैंडबाय पर 76 वेंटिलेटर पड़े हैं।
जी.जी.एस.एम.एम.सी.एच. के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शीलख मित्तल ने कहा कि ऑक्सीजन की आवश्यकता के साथ लेवल -2 और लेवल -3 बैड की मांग में अचानक वृद्धि देखी गई है। वर्तमान में 270 कोविड रोगियों का इलाज चल रहा है, जिनमें से लैवल 3 के 65 रोगी भी शामिल हैं।

पटियाला मेडिकल कॉलेज सभी वेंटिलेरों के लिए पर्याप्त स्टाफ
राजिंदरा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पटियाला में लगभग 100 वेंटिलेटर हैं।  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्हें संचालित करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी हैं। अस्पताल वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) के अलावा लुधियाना, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब जिलों से गंभीर रूप से बीमार रोगियों का यहां इलाज चल रहा है।पटियाला डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य प्रशासक सुरभि मलिक ने कहा कि हमारे पास चौबीस घंटे ऑक्सीजन और प्रशिक्षित स्टाफ मौजूद रहता है। एस.बी.एस. नगर जिले में प्रशासन ने दावा किया कि अस्पतालों के सभी 10 वेंटिलेटर कार्य कर रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. गुरदीप सिंह कपूर ने कहा कि उन्होंने कहा कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों वंटिलेटर की सुविधा निशुल्क दी जा रही है।इसके अलावा होशियारपुर जिला के सिविल अस्पताल में स्थापित 10 वेंटिलेटर भी उपयोग में हैं।

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