निजी अल्ट्रासाऊंड सैंटर के शौचालय में हुआ प्रसव, टॉयलेट सीट में फंसने से बच्चे की मौत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 09:12 AM

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सिविल अस्पातल के नजदीक स्थित एक प्राइवेट अल्ट्रासाऊंड सैंटर में आज उस समय हड़कंप मच गया जब टैस्ट करवाने आई गर्भवती का शौचालय में ही प्रसव होने से बच्चे की टॉयलेट सीट में फंसने से मौत हो गई।

अमृतसर  (दलजीत): सिविल अस्पातल के नजदीक स्थित एक प्राइवेट अल्ट्रासाऊंड सैंटर में आज उस समय हड़कंप मच गया जब टैस्ट करवाने आई गर्भवती का शौचालय में ही प्रसव होने से बच्चे की टॉयलेट सीट में फंसने से मौत हो गई। प्राइवेट अस्पताल यदि समय पर गर्भवती का प्रसव कराता तो शायद बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। 

 

जानकारी के अनुसार जौड़ा फाटक क्षेत्र की रहने वाली कविता 9 माह की गर्भवती थी। जौड़ा फाटक में ही एक प्राइवेट नॄसग होम में उसका उपचार चल रहा था। कविता के पति लाल कुमार ने बताया कि प्रसव पीड़ा शुरू होने पर वह कविता को नॄसग होम में लाए थे। यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद अल्ट्रासाऊंड करवाने को कहा। चूंकि नॄसग होम में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं थी, इसलिए वह कविता को सिविल अस्पताल के नजदीक स्थित एक निजी अल्ट्रासाऊंड सैंटर में ले आए। प्रसव पीड़ा से तड़प रही कविता अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी। कुछ देर बाद वह शौच जाने की बात कहकर अल्ट्रासाऊंड सैंटर में बने बाथरूम में चली गई। लाल कुमार के अनुसार तकरीबन 5 मिनट बाद बाथरूम से उसकी चीख सुनाई दी। वह बाथरूम में पहुंचे तो कविता खून से लथपथ पड़ी थी। उसकी कोख से बच्चा निकलकर कमोड में गिरा हुआ था। बच्चे को तत्काल कमोड से निकाला गया। इसके बाद सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को घटना की जानकारी दी गई। कविता व बच्चे को सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया। यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। 

 

इस मामले में जौड़ा फाटक स्थित प्राइवेट नॄसग होम की लापरवाही उजागर हुई है। सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि कविता 9 माह की गर्भवती थी। उसे प्रसव पीड़ा भी शुरू हो चुकी थी, ऐसे में निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव करवाने की बजाय अल्ट्रासांड करवाने के लिए क्यों भेजा। दूसरी तरफ कविता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान ही उसे पेट खराब रहने की शिकायत थी। वह बार-बार शौच जाती, पर निवृत्त नहीं हो पाती थी। अल्ट्रासाऊंड सैंटर में भी ऐसा ही हुआ। पेट में प्रैशर बना हुआ था, इसलिए दबाव पडऩे से डिलीवरी हो गई।  निजी अस्पताल वालों ने कविता की डिलीवरी करवा दी होती तो शायद यह हादसा न होता। -डा. राजिंद्र अरोड़ा, एस.एम.ओ. 

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