भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है त्रिपुरा पर काबिज होना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 10:08 AM

tripura is not easy for the bjp

अगर 1988 से 1993 तक कांग्रेस नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को छोड़ दें तो त्रिपुरा में 1978 से लेकर अब तक वाम मोर्चा की सरकार है।

जालन्धर (पाहवा): अगर 1988 से 1993 तक कांग्रेस नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को छोड़ दें तो त्रिपुरा में 1978 से लेकर अब तक वाम मोर्चा की सरकार है। वर्तमान मुख्यमंत्री माणिक सरकार 1998 से सत्ता में है। इसी महीने 18 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा और भारतीय जनता पार्टी कम्युनिस्टों के इस मजबूत किले में सेंध लगाने का दावा कर रही है। भाजपा प्रमुख अमित शाह दो-तिहाई बहुमत से जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं। पिछले 2 दशकों में यह पहली बार है जब भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के साथ प्रदेश की सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 

 

आखिर पिछले 5 सालों में ऐसा क्या हो गया कि भाजपा दो-तिहाई बहुमत से जीत का दावा कर रही है। जहां तक जानकारी है तो उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में विकास को देखा जाए तो त्रिपुरा में ग्रामीण विकास, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण आदि में अच्छा काम हुआ है। वैसे राजनीति के माहिर इसे अमित शाह का चुनावी जुमला मानते हुए कहते हैं कि देश भर में माणिक सरकार के कामों की तारीफ होती है, वे सबसे कम सम्पत्ति वाले मुख्यमंत्री हैं। 

 


साक्षरता दर के मामले में त्रिपुरा देश भर में अव्वल है। मुख्यमंत्री माणिक सरकार के बारे में कहा जाता है कि वह अशांत त्रिपुरा में शांति और सुरक्षा बहाल करने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में अमित शाह त्रिपुरा के पिछडऩे की बात कह रहे हैं। भाजपा को कभी हिन्दी प्रदेश की पार्टी कहा जाता था लेकिन त्रिपुरा में अगर उसे कामयाबी मिली तो पूर्वोत्तर भारत में उसकी पकड़ और मजबूत होगी। 

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