टोहड़ा परिवार का बडूंगर पर हमला कहा, अपनी लड़ाई खुद लड़ें

Edited By Sonia Goswami,Updated: 09 Apr, 2018 09:04 AM

tohra family attacked badungarar fight your own battle

प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर की तरफ से जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा के समय हुई भर्ती की जांच कराने की मांग कारण टोहड़ा परिवार ने प्रो. बडूंगर पर राजसी हमला करते हुए कहा कि प्रो. बडूंगर का जत्थेदार टोहड़ा  जैसी शख्सियत के खिलाफ बोलना बेहद दुखदायी है।

पटियाला (जोसन): प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर की तरफ से जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा के समय हुई भर्ती की जांच कराने की मांग कारण टोहड़ा परिवार ने प्रो. बडूंगर पर राजसी हमला करते हुए कहा कि प्रो. बडूंगर का जत्थेदार टोहड़ा  जैसी शख्सियत के खिलाफ बोलना बेहद दुखदायी है। सारी दुनिया को पता है कि जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहड़ा ने अपनी सारी जिंदगी ईमानदारी के साथ बिताई और वह कभी भी कोई गलत काम न करते थे और न ही गलत काम करने वाले चापलूसों को नजदीक लगने देते थे।

 

जत्थेदार गुरचरन सिंह के दोहते हरिन्द्रपाल सिंह टोहड़ा  ने कहा है कि 1999 में जब जत्थेदार टोहड़ा को शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाकर प्रो. बडूंगर को प्रधान बनाया गया था, तब उन्होंने जत्थेदार टोहड़ा के कार्यकाल की खामियां ढूंढने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, परन्तु वह जत्थेदार टोहड़ा खिलाफ एक भी कमी नहीं ढूंढ सके थे। 

 

उन्होंने प्रो. बडूंगर को सवाल किया है कि यदि उनको जत्थेदार टोहड़ा  की तरफ से नियुक्तियों में कुछ गलत नजर आया था तो उन्होंने ऐसी नियुक्तियों को रद्द करने की तब हिम्मत क्यों नहीं दिखाई। उन्होंने प्रो. बडूंगर को सुझाव दिया है कि वह दूसरों की तरफ उंगली उठाने की जगह अपनी लड़ाई खुद लड़ें।


उन्होंने कहा कि टोहड़ा परिवार को एस.जी.पी.सी. में हुई नियुक्तियों के मामले से कुछ नहीं लेना। प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर एक बड़े विद्वान हैं और उनको इस मामले में जत्थेदार टोहड़ा का नाम इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता। 

 

गुरुद्वारा एक्ट 1925 में रिश्तेदारों को भर्ती न करने बारे कहीं मनाही नहीं : प्रो. बडूंगर
पटियाला (जोसन, बलजिन्द्र, राणा): शिरोमणि कमेटी में हुई भर्ती को असंवैधानिक बताकर 523 कर्मचारियों को निकालने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए शिरोमणि कमेटी के पूर्व प्रधान प्रो. किरपाल सिंह बडूंगर ने स्पष्ट किया है कि गुरुद्वारा एक्ट 1925 में रिश्तेदारों को भर्ती न किए जाने संबंधी एक्ट में कहीं भी मनाही नहीं है। 
उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल दौरान हुई भर्ती एक्ट, योग्यता और मैरिट के आधार पर की गई। अगर जांच समिति ने मामले की जांच ही करवानी थी तो पंथ सामने सच्चाई लाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मौजूदा या पूर्व जजों से जांच करवानी चाहिए थी। 

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