लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कैप्टन को पंजाब कैबिनेट में हिंदुओं को देनी होगी अहमियत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 05:41 AM

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पंजाब के नगर निगम चुनाव के ठीक एक दिन बाद आए गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कै. अमरेन्द्र सिंह को पंजाब कैबिनेट में हिंदुओं को अहमियत देनी ही पड़ेगी। यहां बताना उचित होगा कि पंजाब की सत्ता में कांग्रेस...

लुधियाना(हितेश): पंजाब के नगर निगम चुनाव के ठीक एक दिन बाद आए गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कै. अमरेन्द्र सिंह को पंजाब कैबिनेट में हिंदुओं को अहमियत देनी ही पड़ेगी। 

यहां बताना उचित होगा कि पंजाब की सत्ता में कांग्रेस की 10 सालों बाद हुई वापसी में शहरी खासकर हिंदुओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि इनमें से हिंदुओं का एक बड़ा हिस्सा पहले भाजपा के साथ चल रहा था और अकाली दल की सरकार के 10 साल दौरान अपने हितों की अनदेखी होने से नाराज होकर ये हिंदू भाजपा से दूर हो गए जिन्होंने पहले आम आदमी पार्टी को विकल्प के रूप में चुना लेकिन चुनाव के आखिरी दिनों में आतंकवाद का मुद्दा गर्माने पर इन हिंदुओं ने कांग्रेस का रुख कर लिया। इन हिंदुओं ने ही कांग्रेस को पहले गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव व अब नगर निगम के चुनाव में शानदार जीत दिलाई।

इसके ठीक एक दिन बाद ही गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए जिसमें नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण बिजनैस ठप्प होने को लेकर देशव्यापी विरोध होने के बावजूद हिंदुओं ने एक बार फिर से भाजपा का साथ दिया है जिससे पंजाब में हिंदुओं को साथ जोड़कर रखने को लेकर कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि पंजाब में सरकार बनने के 9 महीने बाद भी इंडस्ट्री से किया गया 5 रुपए यूनिट बिजली देने का वायदा पूरा होने की जगह बिजली की दरें बढऩे से शहरी हिंदू कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं फिर भी इन हिंदुओं ने कांग्रेस को नगर निगम चुनाव में उस समय वोट दे दी जब विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़े हैं।

लेकिन अब इन हिंदुओं का सब्र जवाब दे सकता है जिसकी बड़ी वजह यह भी है कि पंजाब कैबिनेट में जाट व दलित वर्ग का बोलबाला होने के मुकाबले ब्रह्म महिंद्रा को छोड़कर एक भी हिंदू मंत्री नहीं है यहां तक कि लुधियाना, जालंधर को तो अब तक जगह ही नहीं मिल पाई। यही हाल अब तक चेयरमैन लगाने की दिशा में लिए गए फैसलों का रहा है जिससे इन शहरों के लोग इस बात से परेशान हैं कि सरकार तक अपनी आवाज किसके जरिए पहुंचाएं? आगामी लोकसभा चुनाव तक अपने साथ जोड़कर रखने के लिए हिंदुओं को अहमियत देना कांग्रेस की मजबूरी बन जाएगी। 

पंजाब में हार-जीत के मायने बदले, कांग्रेस व भाजपा ने मनाई खुशी तो अकाली खामोश 
पंजाब में नगर निगम चुनाव के अगले ही दिन गुजरात व हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने को लेकर दिलचस्प हालात पैदा हो गए हैं। इसके तहत भाजपा को भले ही पंजाब के नगर निगम चुनाव में करारी हार मिली है लेकिन गम भुलाने के लिए भाजपाई गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत की खुशी में लड्डू बांटते नजर आए। 

इसी तरह कांग्रेसी भी गुजरात में सत्ता में न आने व हिमाचल प्रदेश की सरकार भी चली जाने को लेकर किरकिरी से बचने के लिए नगर निगम चुनाव में जीत मिलने का प्रचार करने में लगे हुए हैं। हालांकि अकाली दल भी भाजपा की सहयोगी पार्टी है लेकिन उनकी गुजरात व हिमाचल प्रदेश की जीत में भाईवाल बनने की जगह अकाली दल पंजाब के नगर निगम चुनाव में हार का गम मनाते हुए खामोश नजर आ रहा है, क्योंकि अगर खुशी मना ली तो कांग्रेस पर लगाए जा रहे धक्केशाही के आरोप कमजोर पड़ सकते हैं।

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