अपनी संस्कृति से युवा पीढ़ी को जोडऩे के लिए समाज में बदलाव जरूरी: श्री विजय चोपड़ा

Edited By Des raj,Updated: 27 Jul, 2018 09:54 PM

to add a young generation in culture change in necessary chopra

600 वर्षों की गुलामी हिन्दू धर्म ने मात्र इसलिए सही क्योंकि इनमें आपसी एकता का अभाव रहा, लड़ाई झगड़ों को अहमियत दी हिन्दू राजाओं का साथ नहीं दिया, जिससे पहले मुस्लमान फिर अंग्रेज हम पर हावी रहे, आज समय ऐसा है,

करतारपुर(साहनी): 600 वर्षों की गुलामी हिन्दू धर्म ने मात्र इसलिए सही क्योंकि इनमें आपसी एकता का अभाव रहा, लड़ाई झगड़ों को अहमियत दी हिन्दू राजाओं का साथ नहीं दिया, जिससे पहले मुस्लमान फिर अंग्रेज हम पर हावी रहे, आज समय ऐसा है, जहां हम अपने बच्चों को अपनी संस्कृति से जोडऩे उन्हें संस्कृत सिखाने की बातें कम आईलाईट सिखाने की बात ज्यादा करते हैं एवं हमारी युवा पीढ़ी भी विदेशों की ओर रुख करके खुद को ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं, ऐसी स्थिति में हम अपनी आने वाली पीढ़ी को न सिर्फ खुद से दूर कर रहे हैं, बल्कि अपनी वास्तविकता भी खो रहे हैं, ये विचार आज स्थानीय गुरु विरजानंद स्मारक में आयोजित वार्षिक गुरु पूर्णिमा के समागम में मुख्यातिथि शामिल हुए पदमश्री विजय कुमार चोपड़ा जी ने देशभर से आए आर्य समाज से संबंधित आर्य परिवारों को संबोधित करते हुए प्रकट किये।

इस मौके  पर उन्होंने कहा कि यदि भारत में महर्षि दयानंद न आते तो हमारे देश की महिलाएं शायद कभी शिक्षित न हो पातीं, हम और भी ज्यादा पिछड़े हुए होते, आर्य समाज के माध्यम से स्वामी विरजानंद जी, महर्षि दयानंद जी, ने छूआछूत, जात-पात का विरोध किया, वेद पाठी बन समाज में आपसी एकता की प्रेरणा दी, परन्तु आज समय तेजी से बदल रहा है जिसके कसूरवार हम खुद हैं, हमारी युवा पीढ़ी अंग्रेजी सभ्यता की अच्छाइयां, जिनमें तीन मुख्य आदतें सच्चाई, माफी-धन्यवाद को कभी हमने अपने जीवन में ग्रहण करने की बजाए उनकी नकारात्मक सोच को जल्द ग्रहण किया। 

इसके इलावा हमारी सरकारें भी जनता के साथ किए जाने वाले वायदों, व झूठे भरोसे से राजनीति करके सत्ता तो हासिल हो जाती है, जिससे विशेषकर नौजवानों का विदेशी धरती पर बसने का रुझान इसलिए समाज पर हावी हो रहा है कि वहां कि सरकार वायदा खिलाफी नहीं करती, बिना भेदभाव हर नागरिक को नि:शुल्क शिक्षा, सेहत सहूलियतें, बेरोजगारी भत्ता, पैंशन उपलब्ध हैं एवं ऐसे हालातों में आगामी 20 वर्षों के बाद देश में बुजुर्गों की बहुतात होगी। इसलिए जरुरत है हम अपने कल के आज को सवारें, अपनी युवा पीढी को अपनी संस्कृति से जोड़े, ऐसे समागम कार्यक्रमों में उन्हें साथ लाएं, आज युवा पीढ़ी को सोच बदलने की जरुरत है।

कार्यक्रम की शुरुआत राजेश अमरप्रेमी द्वारा अपने भजनों से की। गुरुकुल के छात्रों ने इस मौके अंधविश्वास पर लघुनाटक का मंचन भी किया। डा. उदयन आर्य ने बताया कि 28,29 व 30 जुलाई को आचार्य सत्यजित् की नेतृत्व में ध्यान एवं शंका समाधान शिविर भी लगाया जा रहा है जिसमें ईश्वर का स्वरुप, आत्मा की नित्यता, पुर्णजन्म मुक्ति की अवधारना जैसे विषयों पर परिचर्चा भी होगी। ये कार्यक्रम गुरुकुल समिति अध्यक्ष ध्रुव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में हो रहा है। 

आज कार्यक्रम में पहुंचने वालों में महात्मा चैतन्य मुनि प्रिंसीपल नरेश धीमान, कैलाश अग्रवाल, कुंदन लाल अग्रवाल, श्रीमति सुशीला भगत, अरविन्द घई, रणजीत आर्य, राजिन्द्र विज, राजीव भाटिया, रशमि घई, रजनी सेठी, अजय महाजन,स्वामी निर्मायानन्द, स्वामी महानन्द, प्रदीप कुमार, गुरुकुल के अधिष्ठाता सुखदेवराज, वरिष्ठ अध्यापक वीरेन्द्र कुमार, व अध्यापक भी उपस्थित थे । 

 

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