Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 04:12 PM
वैलेंटाइन-डे जिसे प्यार के इजहार का दिन भी कहा जाता है। इस दिन अपनी चाहत को मनाने के लिए कोई उसे फूल देता है, कोई चॉकलेट और कोई महंगा तोहफा लेकिन बठिंडा के एक शख्स ने अपनी पत्नी को तोहफे में जिंदगी ही दे दी।
बठिंडा (परमिंद्र): वैलेंटाइन-डे जिसे प्यार के इजहार का दिन भी कहा जाता है। इस दिन अपनी चाहत को मनाने के लिए कोई उसे फूल देता है, कोई चॉकलेट और कोई महंगा तोहफा लेकिन बठिंडा के एक शख्स ने अपनी पत्नी को तोहफे में जिंदगी ही दे दी। उसने अपनी पत्नी को अपनी एक किडनी देकर न केवल अपनी मोहब्बत का प्रमाण दिया बल्कि पत्नी को नया जीवन भी दिया जिसके बाद कस्बा रामपुरा का दंपति पूरी तरह स्वस्थ है।
पत्नी को किडनी देकर उसे नया जीवन देने वाले इस शख्स का नाम है हरीष बांसल जो बठिंडा के कस्बा रामपुरा के रहने वाले हैं। हरीष की शादी लगभग 10 साल पहले वीनू बांसल के साथ हुई थी जिसके बाद उनके घर एक पुत्र मोनित ने जन्म लिया जो अब 8 वर्ष का हो चुका है। करीब 2 साल पहले वीनू बांसल की सेहत खराब रहने लगी। जांच करवाने पर पता चला कि वीनू किडनी की बीमारी से पीड़ित है।
उपचार के बाद भी नहीं हुआ फायदा
हरीष बांसल ने बताया कि उन्होंने वीनू का उपचार भी शुरू करवाया लेकिन सेहत लगातार गिरती गई। इलाज पर पैसा भी खर्च होता रहा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी जिससे उनके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई। किडनी ट्रांसप्लांट में पैसा खर्च होने की समस्या तो थी ही लेकिन उससे बड़ी समस्या किडनी डोनर के मिलने की थी। आम तौर पर किडनी डोनर के इंतजार में ही कई जिंदगियां मौत के मूंह में चली जाती हैं लेकिन हरीष बांसल ने अपनी पत्नी के प्रति प्यार और लगाव का परिचय देते हुए इस समस्या का समाधान भी खोज लिया और पत्नी को खुद किडनी डोनेट करने का फैसला ले लिया।
वीनू को मिली नई जिंदगी
ये हरीष बांसल और वीनू बांसल के रिश्ते की मजबूती और उनका प्यार ही था जिसने वीनू को नई जिंदगी दे दी। किडनी खुद डोनेट करने की बात उन्होंने अपने डाक्टर को बताई तो उन्होंने टैस्ट आदि किए जिसके बाद डाक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट करने को हरी झंडी दे दी। दिसम्बर 2017 दौरान सभी प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद मोहाली के एक निजी अस्पताल में हरीष कुमार की एक किडनी निकालकर उसे वीनू बांसल के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया गया। आप्रेशन के बाद दंपति पूरी तरह स्वस्थ है व दोनों अपने रोजमर्रा के काम कर रहे हैं।
‘‘अपनों से लगाव और रिश्तों की मजबूत डोर ही होती है जो हमें कुछ ऐसा करने की ताकत देती है जो असंभव लगता हो। वीनू के साथ-साथ मुझे भी एक नई जिंदगी मिली है। हम बेहद खुश हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि सभी को तंदरुस्ती दे तथा रिश्तों की गरिमा इसी प्रकार बनी रहे। ’ हरीष बांसल
‘‘एक तरह से मेरा दूसरा जन्म ही हुआ है जिसे लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। मेरे पति ने जो किया है वह हर कोई नहीं कर पाता। सेहत सबसे बड़ी है व इस मामले में पैसा भी कुछ नहीं कर पाता। अपनो का ख्याल रखना चाहिए क्योंकि मुसीबत में अपने ही साथ देते हैं। ’ वीनू बांसल