सूर्य की बची उम्र बताएगा यह उपकरण, ISRO अगले साल भेजेगा स्पेस में

Edited By Suraj Thakur,Updated: 05 Jan, 2019 07:25 PM

this device will tell the surviving age of the sun

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ही सालों में वैज्ञानिक इस बात का पता लगा लेंगे कि सूर्य की उम्र कितनी बची है।

जालंधर। प्रभात होते ही सूर्य की किरणें जब चारों और फैलनी शुरू होती हैं तो हम अपनी दिनचर्या का आगाज करते हैं। समस्त वनस्पति और जीव जंतुओं में नई ऊर्जा का संचार करने वाले सूर्य के बारे में अनगिनित रहस्यों को जानने के लिए हमारे देश के ही नहीं अपितु समस्त दुनिया के वैज्ञानिक लंबे अरसे से जुटे हुए हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ही सालों में वैज्ञानिक इस बात का पता लगा लेंगे कि सूर्य की उम्र कितनी बची है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आइआइए) बेंगलुरु 300 करोड़ रुपए की लागत से ऐसा उपकरण तैयार किया है, जिसके जरिए सूर्य के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जुटाई जा सकेगी। इस उपकरण का नाम विजिबल इमीशन लाइन कोर्नोग्राफ (वीईएलसी) है। 10 साल की मेहनत के बाद तैयार किए गए इस उपकरण को इसरो को अगले साल सौंप दिया जाएगा। जालंधर में चल रही 106 वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में इस उपकरण को दिखाया जा रहा है।PunjabKesari

सेटेलाइट के माध्यम से उपकरण पहुंचेगा सूर्य के करीब....
अगले साल इसरो के आदित्य-एल 1 सेटेलाइट के माध्यम से इस उपकरण अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। सूर्य के बिलकुल नजदीक जाकर यह उपकरण वहां की सूचना वैज्ञानिकों को भेजेगा। वैज्ञानिक सूर्य की स्थिति को बहुत करीब से देख पाएंगे और यह भी पता लगा लेंगे कि सूर्य की सतह पर कौन सी गैसिस और कैमिकल्स हैं। कैमिकल्स की वजह से सूर्य में पैदा होने वाली ऊर्जा से वैज्ञानिकों को यह पता लगाना भी आसान हो जाएगा कि सूर्य की अनुमानित उम्र कितनी होगी।PunjabKesari

सूर्य जैसी ऊर्जा पैदा करने के धरती पर ढूंढे जाएंगे विकल्प...
आइआइए बेंगलुरु के इंजीनियर अमित कुमार बताते हैं कि सूर्य की सतह के आसपास बने सुनहरी घेरे में कौन-कौन सी गैसें होती हैं यह भी उपकरण के जरिए पता लगाया जा सकेगा। सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा से इसके आस-पास मैग्नेटिक फील्ड तैयार हो जाती है। जिससे यह भी वैज्ञानिकों को अंदाजा रहेगा कि सूर्य के कितने नजदीक सेटेलाइट को भेजा जाए। सूर्य के पूर्ण अध्ययन और शोध के बाद अंतरिक्ष के मौसम का अनुमान लगाना भी संभव होगा। इस बात पर भी शौध होगा कि सूर्य जैसी ऊर्जा और गर्मी धरती पर किन कैमिकल्स की मदद से पैदा की जा सके। सूर्य ग्रहण के बारे में भी इस उपकरण से पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी।

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