Edited By Vaneet,Updated: 08 Jul, 2019 03:45 PM
पठानकोट के सरहदी गांव बरसात में टापू बन जाते हैं। इनमें हलका भोआ के आधा दर्जन से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जिनको प्लाटून...
पठानकोट(धर्मेंद्र ठाकुर): पठानकोट के सरहदी गांव बरसात में टापू बन जाते हैं। इनमें हलका भोआ के आधा दर्जन से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जिनको प्लाटून पुल के साथ जोड़ा जाता है और बरसात के मौसम में इन पुलों को उठा लिया जाता है जिससे तेज बरसात में यह बैठ न जाएं।
अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि इन गांवों में पक्के पुल बनाने के वायदे करके वोटें हासिल करते हैं परन्तु वोटेंलेकर यह वायदे भूल जाते हैं। इन पुलों को उठाने के बाद गांवों के लोग किश्तियों पर निर्भर रहते हैं। आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी इन गांवों की स्थिति नहीं बदली, सिर्फ सरकारों की तरफ से वायदे ही किए जाते रहे हैं परन्तु इन लोगों की कोई मदद नहीं की जाती।