ठेके खोलने के समय को बदलने की उठी मांग, कहा-' चाय-नाश्ते के समय कौन खरीदेगा शराब?

Edited By Tania pathak,Updated: 05 May, 2021 12:33 PM

there was a demand to change the time of opening of contracts

सरकारी राजस्व में सबसे अधिक योगदान देने वाला शराब का कारोबार लॉकडाऊन उनके कारण सबसे अधिक घाटे का सामना कर रहा है।

लुधियाना (सेठी) : सरकारी राजस्व में सबसे अधिक योगदान देने वाला शराब का कारोबार लॉकडाऊन उनके कारण सबसे अधिक घाटे का सामना कर रहा है। क्योंकि सबसे अधिक शराब का सेवन करने वाला लेबर वर्ग शहरों से पलायन कर चुका है। इसके कारण सेल पहले से ही प्रभावित है। ऊपर से राज्य सरकार का समय अवधि वाला फरमान कारोबार को बर्बाद कर देगा। सरकार के नए नोटिफिकेशन के अनुसार ठेकेदार सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ठेके खोल सकते है। 

इससे साफ है कि सरकार अपना राजस्व सुनिश्चित करना चाहती है, सरकार का पहलू देखा जाए तो सरकार को रैवेन्यू का बड़ा हिस्सा शराब कारोबार से आता है। इसलिए यदि लाइसैंस फीस की कटौती होती है तो सीधा सरकार के राजस्व का नुक्सान होगा। सरकार ने ठेकेदारों के नुक्सान की परवाह किए बिना ऐलान कर दिया। क्योंकि इस समय अवधि से अनुमानित प्रति ग्रुप को 70 फीसदी का लोस होगा।

इससे बेहतर होगा कि सरकार सम्पूर्ण लॉकडाऊन कर ठेके बंद करने का फरमान जारी कर दे। अन्यथा समय अवधि में जरुरी बदलाव कर दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक किया जाए नहीं तो सेल के अनुसार लाइसैंस फीस ली जाए।

चाय, दूध पीने व नाश्ते समय कौन खरीदेगा शराब ?
शराब ठेकेदारों की पीड़ा है कि सुबह के समय भला कौन शराब खरीदेगा। यह वक्त तो चाय, दूध पीने व नाश्ते का है। कोरोना के चलते कर्फ्यू में वैसे ही लोग घरों पर सुबह देरी से उठ रहे हैं। ऐसे में शराब खरीदने वालों की संख्या में काफी कमी आ गई है। शराब ठेकों पर बिक्री कम हो गई। इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो ठेके की दुकानें बंद करनी पड़ेगी।

सेल के अनुसार ली जाए लाइसेंस फीस
उन्होंने कहा कि आम दिनों में 14 घंटे ठेके खोले जाते हैं लेकिन अब ढील के दौरान राज्य सरकार केवल 8 घंटे के लिए ठेके खोलने की अनुमति दी है। किंतु यह 8 घंटे वो है जिसमे न के बराबर सेल होती है। शराब की मुख्य सेल रात में होती है। ठेकेदारों ने कहा कि सरकार मासिक फीस को लेकर कोई बात नहीं कर रही, उनका कहना है कि जब शराब के ठेके पूरे समय के लिए नहीं खुलेंगे तो उनकी फीस भी उन घंटों के हिसाब से तय होनी चाहिए।

अधिक सेल लेबर से होती थी
ठेकेदारों ने बोलते हुए कहा कि शराब की अधिकतम सेल लेबर वर्ग से होती थी , जो काम न होने की वजह से महानगर से पलायन कर चुके है। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अंग्रेजी शराब का ग्राहक सीमित संख्या में है और इसकी बिक्री भी देसी शराब के मुकाबले कम रहती है।

5 लाख से अधिक लेबर महानगर से हो चुकी है ,पलायान।
ठेकेदारों ने अपना पॉइंट रखा और कहा कि ठेको की 60 फीसदी सेल लेबर पर निर्भर होती है , अब जब 5 लाख लेबर पलायान कर चुकी है , और काम न होने के कारण बची हुई लेबर पलायन करने पर मजबूर है , जिसका सीधा असर शराब कारोबार पर पड़ेगा।

दिन में शराब की सेल केवल 20 फीसदी ठेकेदार नहीं निकाल पाएंगे खर्चे
दिन में शराब की बिक्री बहुत कम होती है, वही शाम या रात की बात करे तो शराब की 80 फीसदी सेल तभी निकलती है, ऐसे में सरकार द्वारा पारित आदेश अनुसार ठेकेदारों की सेल बुरी तरह प्रभावित होती। ऐसे में ठेकेदार मुनाफा तो क्या खर्चे भी नहीं निकाल पाएंगे।

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