Edited By Sonia Goswami,Updated: 28 May, 2018 08:48 AM
कांग्रेस सरकार के भीतर सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है।
जालन्धर (रविंदर): कांग्रेस सरकार के भीतर सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के फैसलों से उन्हीं के सरकार मंत्री नाखुश हैं। नया विवाद कानून अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर है। वीरवार को सरकार ने 28 कानून अधिकारियों (लॉ ऑफिसर्ज) की नियुक्ति की थी, मगर इनमें से एक भी दलित नहीं था। 28 कानून अधिकारियों में से एक बैकवर्ड क्लास व अन्य जनरल कैटागरी से है। इससे पहले कैबिनेट विस्तार में भी किसी दलित नेता को न लेने के कारण सरकार से कई विधायक खफा चल रहे हैं। कैप्टन अमरेंद्र सिंह के इस फैसले पर टैक्नीकल एजुकेशन व रोजगार जैनरेशन मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सवाल खड़े कर दिए हैं और कहा कि इस लिस्ट में कोई दलित क्यों नहीं है।
कांग्रेस ने चुनावी मैनीफैस्टो में वायदा किया था कि हर सरकारी नियुक्ति में 30 प्रतिशत दलितों के लिए रिजर्व रखा जाएगा, लेकिन अब सरकार इस वर्ग को पूरी तरह से इग्रोर कर रही है।
चन्नी का कहना है कि पिछले साल जुलाई में नियुक्त किए गए 121 कानून अधिकारियों की लिस्ट में भी महज 5 दलित थे। इस लिस्ट में कादियां से पार्टी के विधायक फतेह जंग बाजवा की बेटी और मुख्यमंत्री के ओ.एस.डी. रहे संदीप संधू की पत्नी का नाम भी था। पहले ही कैबिनेट विस्तार में किसी भी दलित नेता को न लेकर सरकार ने अपना चेहरा दिखा दिया था तथा इस बात को लेकर भी वह राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले थे।
आबादी के हिसाब से देखा जाए तो पंजाब में दलितों की आबादी सबसे ज्यादा है। कांग्रेस पार्टी के भी जो 77 विधायक जीत कर आए हैं, उसमें से 33 एस.सी. और बी.सी. क्लास से हैं। चन्नी ने कहा कि 85वें संविधान संशोधन में दलितों को मजबूती देने के लिए दलितों को आरक्षण देने की बात कही गई थी। वहीं वाल्मीकि बिरादरी से कांग्रेस के विधायक राजकुमार वेरका ने भी कहा है कि किसी दलित को कानून अधिकारी की लिस्ट में जगह न देने की बात वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के सामने उठाएंगे। इससे पहले भी 2 कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी व साधु सिंह धर्मसोत भी दलितों को सरकारी पोस्टों में उचित पद न मिलने का मुद्दा कैबिनेट मीटिंग में उठा चुके हैं।