Edited By Subhash Kapoor,Updated: 27 Jul, 2022 11:00 PM
जेलों में आरोपियों को इसलिए सजा देकर बंद किया जाता है, ताकि वे सुधर कर बाहर आएं और जुर्म का रास्ता छोड़ दें, लेकिन पंजाब की जेलों की ताजा हालात ऐसे बने हुए हैं कि वहां सुधरना तो दूर बंदी कैदी गुटबाजी में पडक़र और खूंखार हो रहे हैं।
लुधियाना (स्याल): जेलों में आरोपियों को इसलिए सजा देकर बंद किया जाता है, ताकि वे सुधर कर बाहर आएं और जुर्म का रास्ता छोड़ दें, लेकिन पंजाब की जेलों की ताजा हालात ऐसे बने हुए हैं कि वहां सुधरना तो दूर बंदी कैदी गुटबाजी में पडक़र और खूंखार हो रहे हैं। पिछले 15 दिनों के भीतर सुर्खियों में लुधियाना की सैंट्रल जेल में गुटबाजी या रंजिश को लेकर बंदियों में मारपीट के साथ जानलेवा हमलों की घटनाएं जेल प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इन घटनाओं पर आखिर क्यों काबू नहीं पाया जा रहा और बंदी उत्तेजित होकर एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं। जेल प्रशासन के पास सवाल होता है कि कैदी हवालातियों की संख्या के मुकाबले जेल की सुरक्षा अधिकारी कम हैं। भले ही जेल में सहायक सुपरिटेंडेंट, हैंडवार्डन, वार्डन होमगार्ड, पैस्को कर्मचारी, पंजाब पुलिस के अलावा सीआरपीएफ जवान ड्यूटी दे रहे हैं। 15 दिनों के भीतर 5 घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड मामले में नामजद आरोपी सतवीर सिंह सहित कई अन्य कैदियों पर हमले हो चुके हैं। ऐसे में फिर से चर्चा छिड़ी है कि क्या नई सरकार से जेलों की सुधार की कोई उम्मीद रखी जा सकती है या फिर जेल की चारदीवारी में भी हिंसा का यही खेल चलता रहेगा।
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