भारत सरकार की सर्वे रिपोर्ट पर उठे सवाल, कागजों में बढ़ा डाला जंगल का रकबा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 05:01 PM

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भारत सरकार ने हाल ही में जारी सर्वे रिपोर्ट में पंजाब में जंगल का क्षेत्र बढ़ने का दावा किया है, वहीं इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद पर्यावरण विशेषज्ञ उस क्षेत्र को ढूंढ रहे हैं, जहां 8 कि.मी. क्षेत्र में घना जंगल होने की बात कही गई है।

लुधियाना  (सहल): भारत सरकार ने हाल ही में जारी सर्वे रिपोर्ट में पंजाब में जंगल का क्षेत्र बढ़ने का दावा किया है, वहीं इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद पर्यावरण विशेषज्ञ उस क्षेत्र को ढूंढ रहे हैं, जहां 8 कि.मी. क्षेत्र में घना जंगल होने की बात कही गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जंगल कागजों में अचानक प्रकट हुआ है।

 

इंडियन मैडीकल एसो. के वरिष्ठ पदाधिकारी व पर्यावरण कार्यकर्ता डा. अमनदीप अग्रवाल ने सर्वे को झूठ का पुङ्क्षलदा बताया और कहा कि जहां 2015 में कोई जंगल नहीं था, वहां घना जंगल एकाएक कैसे प्रकट हो गया। उन्होंने कहा कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में उनके द्वारा दायर याचिका में वन विभाग में एक शपथ पत्र देकर यह माना कि बीते 5 वर्षों में 10 लाख पेड़ पंजाब में काटे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि न तो वैरीडैंस फॉरैस्ट राज्य में पहले था और न ही अब है। वन विभाग द्वारा पेड़ काटने की एवज में लगाए गए पौधे इतनी जल्दी बड़े नहीं हो सकते, जबकि ताजा सर्वे रिपोर्ट में 66 वर्ग कि.मी. जंगल के क्षेत्र में इजाफा हुआ है।

 

डा. अग्रवाल के अनुसार इस रिपोर्ट की निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए, क्योंकि वन विभाग द्वारा दिए गए शपथ पत्र के अनुसार 2,40,000 पेड़ 2013-14, 2,12,000 पेड़ 2014-15 व 1,89,000 पेड़ 2015-16 में काटे गए हैं। अगर फॉरैस्ट जोन के हिसाब से बात की जाए तो राज्य 5 फॉरैस्ट डिवीजनों साऊथ सर्कल, नॉर्थ सर्कल, शिवालिक सर्कल, फिरोजपुर सर्कल व बिष्ट सर्कल में बांटा हुआ है।

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