आतंकी हरमिन्द्र सिंह मिंटू की मौत से आई.एस.आई. को लगा बड़ा झटका

Edited By Anjna,Updated: 20 Apr, 2018 08:37 AM

terrorist harminder singh mintoo

कई बड़े खालिस्तानी गुटों में रहे आतंकी हरमिन्द्र सिंह मिंटू की मौत से पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी का सपना चकनाचूर हो गया है। पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. किसी भी तरह पंजाब में खालिस्तान को खड़ा करना चाहती थी और इस समय उसके पास सबसे अधिक...

जालन्धर/पटियाला (अमित) : कई बड़े खालिस्तानी गुटों में रहे आतंकी हरमिन्द्र सिंह मिंटू की मौत से पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी का सपना चकनाचूर हो गया है। पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. किसी भी तरह पंजाब में खालिस्तान को खड़ा करना चाहती थी और इस समय उसके पास सबसे अधिक सक्रिय हरमिन्द्र मिंटू ही था। उसकी मौत से एजैंसी को झटका लगा है। जालन्धर के भोगपुर का रहने वाला हरमिन्द्र सिंह मिंटू पहले आतंकी संगठन बब्बर खालसा का सदस्य था। 1986 में अरूर सिंह और सुखविन्द्र सिंह बब्बर ने जब खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (के.एल.एफ.) बनाई तो वह उससे जुड़ गया। इसके बाद हरमिन्द्र सिंह मिंटू खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का चीफ बन गया। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. मिंटू की सबसे बड़ी मददगार रही है। मिंटू कई बार पाकिस्तान भी जा चुका है और उसे कथित तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. से ट्रेनिंग मिली थी। आई.एस.आई. को आतंकी हरमिन्द्र मिंटू के जरिए अपना सपना साकार होता दिखाई देने लगा था। पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आई.एस.आई. ने उसे 2010 और 2013 में यूरोप भेज दिया। 2014 में हरमिन्द्र को जब दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था, तब पता चला था कि वह मलेशिया के नकली पासपोर्ट पर सफर कर रहा था। पासपोर्ट में उसका नाम गुरदीप सिंह था। जांच में सामने आया कि वह थाईलैंड व मलेशिया में आतंकवादियों के लिए धन जमा कर रहा था और उनको फंङ्क्षडग करता था। ऐसा नहीं कि आतंकी हरमिन्द्र सिंह मिंटू ने आई.एस.आई. के इशारे पर कुछ किया न हो, उसने पंजाब में खालिस्तान लहर को खड़ा करने के लिए जहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था।

वहीं कई आतंकवादी वारदातों को अंजाम देकर आई.एस.आई. के दिल में अपने लिए स्थान बना लिया था। 2008 में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पर हुए हमले और 3 शिवसेना नेताओं पर हुए हमले की साजिश रचने तथा 2010 में हलवाड़ा एयरफोर्स स्टेशन में विस्फोट के मामले में उसका मुख्य हाथ था। नाभा जेल ब्रेक में गिरफ्तार होने के बाद भी उसका नैटवर्क सूबे में पूरी तरह से फैल चुका था। जांच में सामने आया कि उसने जेल में बैठकर इटली में अपनी टीम के जरिए आर.एस.एस. नेता गगनेजा की हत्या करवाई और बाकी हत्याओं को भी अंजाम दिया। आई.बी. के भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. को अपने सपने साकार होते दिखने लगे थे। अगला टार्गेट सज्जन कुमार व जदगीश टाइटलर थे, जिस पर मिंटू को आदेश मिल चुके थे लेकिन उसके द्वारा तैयार नैटवर्क ब्रेक होने के कारण टार्गेट किङ्क्षलग को सिरे नहीं चढ़ाया जा सका।

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