Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Sep, 2017 03:48 PM
जिले में स्वाइन फ्लू से अब तक इस वर्ष हुई 4 मौतों व डेंगू के 17 केस पॉजीटिव पाए जाने को लेकर आज ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने सिविल अस्पताल
रूपनगर (विजय): जिले में स्वाइन फ्लू से अब तक इस वर्ष हुई 4 मौतों व डेंगू के 17 केस पॉजीटिव पाए जाने को लेकर आज ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने सिविल अस्पताल रूपनगर का दौरा किया तो इंतजामों को लेकर भारी कमी पाई गई। इस दौरान पता चला कि स्वाइन फ्लू के 40 मामले प्रकाश में आए थे, जिनमें से 11 पॉजीटिव पाए गए व 4 अत्यंत गंभीर रोगियों को पी.जी.आई. चंडीगढ़ भेज दिया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी। इसी प्रकार डेंगू के 142 संदिग्ध केस सामने आए थे, जिनमें से 17 केस पॉजीटिव पाए गए, जिन्हें उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। इसी तरह यहां चिकिनगुनिया के 16 संदिग्ध मरीज पाए गए थे, जिन्हें उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया।
उपलब्ध नहीं है सर्पदंश की दवाई
हालांकि अस्पताल में ज्यादातर दवाइयां उपलब्ध हैं परंतु कुछ दवाएं मरीजों को बाहर से लानी पड़ती हैं। एक रोगी ने बताया कि उसे सांप ने काट लिया था और उसे संबंधित दवाई अस्पताल से न मिलने से बाहर से खरीदनी पड़ी। अस्पताल में जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी है, जिस कारण मरीज की जान को हर समय खतरा बना रहता है। कई मामलों में देखा गया है कि एमरजैंसी वार्ड से लोगों को पी.जी.आई. रैफर कर दिया जाता है और उन्हें यहां दवाई आदि भी नहीं मिलती। एमरजैंसी में सुधार की जरूरत है ताकि आपात स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों को तुरंत सहायता मिल सके।
स्वाइन फ्लू का आइसोलेटिड वार्ड बंद
स्वाइन फ्लू के लिए बना आइसोलेटिड वार्ड सिविल अस्पताल में बंद पड़ा है और उसके इर्द-गिर्द सफाई की हालत भी चिंताजनक है, जबकि डेंगू के वार्ड में ऑक्सीजन सिलैंडर नहीं पाए गए। स्वाइन फ्लू व डेंगू की दवाओं का नया स्टॉक आया है। डेंगू के आइसोलेटिड वार्ड में कमरे की हालत काफी खराब है, खिड़की पर ग्रिल, शीशे नहीं हैं, जहां से मच्छर अंदर दाखिल हो सकते हैं। गैलरी में सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है। पैथोलॉजी लैब के बाहर मरीजों का तांता लगा रहता है और टैस्ट करवाने में काफी परेशानी पेश आती है। चमड़ी रोग विशेषज्ञ की कमी है व डाक्टर छुट्टी पर बताए जाते हैं।
ओ.पी.डी. में भी होती है परेशानी
ओ.पी.डी. में भी लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि वहां पर मरीजों के लिए कोई टोकन व्यवस्था नहीं है और न ही वहां बैठने की उचित व्यवस्था है। लोगों की मांग है कि डाक्टर समय पर आएं व टोकन के हिसाब से मरीजों को चैक करें और सभी दवाइयां अस्पताल से मिलनी चाहिएं। सरकार को चाहिए कि वह अस्पतालों की देखभाल के लिए स्थानीय स्वयं सेवी लोगों की कमेटियां बनाए ताकि स्वास्थ्य सेवाओं का सभी को लाभ मिल सके।