Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 03:06 PM
शहर के प्रतिष्ठित सतलुज क्लब में अपनी स्थापना से लेकर अब तक शायद ही इतने विवाद हुए हों जितने पिछले 18 महीनों में देखे गए। चाहे वह मामला हिन्दू धर्म की भावनाओं को आहत करने वाला हो या स्पोर्ट्स सैक्रेटरी पर लगे महिला स्टाफ से छेड़छाड़ का या ताश की आड़...
लुधियाना (मीनू): शहर के प्रतिष्ठित सतलुज क्लब में अपनी स्थापना से लेकर अब तक शायद ही इतने विवाद हुए हों जितने पिछले 18 महीनों में देखे गए। चाहे वह मामला हिन्दू धर्म की भावनाओं को आहत करने वाला हो या स्पोर्ट्स सैक्रेटरी पर लगे महिला स्टाफ से छेड़छाड़ का या ताश की आड़ में जुआ खेलने का। कई मामले कोर्ट तक भी पहुंच गए और कई मामलों में महिला सुरक्षा मंत्रालय का भी दरवाजा खटखटाना पड़ा।पदाधिकारियों की आपसी गुटबाजी के चलते कई महीनों तक 12 क्लब सदस्य सस्पैंड भी रहे। लेकिन यह विवादित मसले अभी भी कम नहीं हो रहे हैं। इसलिए सतलुज क्लब में कोई भी कार्यक्रम हो तो मीडिया से दूरी बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि खामियां बाहर न आ सकें।
हिन्दू धर्म की भावनाओं को पहुंची ठेस
वैसे तो मौजूदा जनरल सैक्रेटरी के कार्यकाल में क्लब विवादों में ही रहा है। फिर भी हाल ही में छिड़े विवाद जिसमें एक बॉलीवुड फैशन डिजाइनर का फैशन शो करवाया गया जिसमें भगवा कपड़े व साधु संत के परिधानों में मॉडल्ज ने रैम्प वॉक की। हिन्दू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले इस इवैंट में हिन्दू सगठनों द्वारा काफी रोष-प्रदर्शन भी हुए। बात जब हाई कोर्ट पहुंची तो जाकर पुलिस को एफ.आई.आर. करनी पड़ी, पर इसमें भी खेल हुआ। सिर्फ आयोजक पर ही मामला दर्ज कर मसले की इतिश्री कर दी गई।
कई मामलों को दबाया गया
क्लब सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले पदाधिकारी खुद नियमों को ताक पर रखते हैं और फिर जब बात मीडिया के सामने आती है तो मीडिया से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। कई मामलों में ओहदेदारों के चहेतों को बचा लिया गया है।
आखिर मीडिया से इतना खौफ क्यों?
पहले जहां क्लब की हर गतिविधि में मीडिया की भागीदारी रहती थी। अब हर कार्यक्रम चाहे वह क्लब का हो या फिर किसी बाहरी आयोजक द्वारा करवाए गए कार्यक्रम का। आयोजकों से भी मीडिया से दूरी बनाने के लिए एग्रीमैंट साइन करवाया जा रहा है। क्लब सदस्यों ने भी नाम न छापने की शर्त पर कहा कि क्लब में पारदॢशता ताक पर है। कहीं खामियां बाहर न आ जाएं इसलिए देश का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया से दूरी बनाने की कोशिश की जा रही है।
ए.जी.एम. करवाने के लिए भी मीडिया ने चेताया
इससे पहले कभी ऐसे हालात नहीं हुए जब पौने 2 सालों में ए.जी.एम. को भी बड़ी मुश्किल से करवाया गया। एनुअल जनरल मीटिंग में सभी सदस्य क्लब की बेहतरी के लिए डिस्कस करते हैं और जो खामियां होती हैं उन्हें दूर करने का हल निकालते हैं। इस बार यह एग्जीक्यूटिव कमेटी की नाकामी से ए.जी.एम. देरी से करवाई गई और इस ए.जी.एम. को करवाने के लिए भी मीडिया ने चेताया था।
2018 में होंगे चुनाव
चुनाव सिर पर हैं, जिसे लेकर भी क्लब में राजनीति गरमा रही है।