Edited By swetha,Updated: 19 Dec, 2018 08:38 AM
हाईकोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद पूर्व मेयर सुरेश सहगल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब उनका जेल जाना तय है व बचाव के तकरीबन सभी रास्ते बंद हो गए हैं। उनके पास एक ही रास्ता था कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए, मगर वहां जमानत की सुनवाई के लिए कम...
जालंधर (रविंदर): हाईकोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद पूर्व मेयर सुरेश सहगल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब उनका जेल जाना तय है व बचाव के तकरीबन सभी रास्ते बंद हो गए हैं। उनके पास एक ही रास्ता था कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए, मगर वहां जमानत की सुनवाई के लिए कम से कम 20 दिन का समय लगेगा और इन 20 दिनों के दौरान सहगल को पुलिस से छुप कर रहना पड़ेगा। ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि बुधवार या वीरवार को सुरेश सहगल अदालत में सरैंडर कर सकते हैं, जहां से उन्हें जेल भेजा जाएगा। वैसे भी हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट में जाने की हिम्मत सुरेश सहगल दिखा नहीं पाएंगे।
गौर हो कि 28 अक्तूबर को रविवार के दिन फगवाड़ा गेट के पास बिल्डिंग इंस्पैक्शन के लिए गए बिल्डिंग इंस्पैक्टर दिनेश जोशी पर पूर्व मेयर सुरेश सहगल ने बहस रे बाद घूंसों की बरसात कर दी थी। दिनेश जोशी के बयान पर डिवीजन नंबर 3 थाने में सुरेश सहगल के खिलाफ मारपीट व सरकारी काम में विघ्न डालने का केस दर्ज कर लिया गया था। 2 नवम्बर को सैशन कोर्ट ने सहगल की अंतरिम जमानत को रद्द कर दिया था। इसके बाद सहगल अंडरग्राऊंड हो गए थे। 5 नवम्बर को सहगल के करीबी सुलक्षण शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
नगर निगम यूनियनों ने सारा काम ठप्प कर दिया था और सुरेश सहगल की गिरफ्तारी से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं था। 6 नवंबर को सुलक्षण के भांजे सन्नी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, मगर 16 नवम्बर को सुरेश सहगल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली, जब अदालत ने सहगल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। गिरफ्तारी से बचते ही सहगल ने शहर में अवैध बिल्डिंगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
11 दिसम्बर को इस मामले में गिरफ्तार सुलक्षण व उसके भांजे सन्नी को अदालत से जमानत मिल गई, मगर 17 दिसम्बर को पूर्व मेयर के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई, जब हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व मेयर का आचरण ऐसा था, जैसे वह इलाके का कोई दादा हो। इसके बाद अदालत ने सुरेश सहगल की जमानत को रद्द कर दिया था। जमानत रद्द होने के बाद से ही सुरेश सहगल का मोबाइल फोन बंद जा रहा है।
अदालत में पेश सी.डी. बनी सहगल के खिलाफ प्रमुख सबूत
13 दिसम्बर को पुलिस ने जांच रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी थी। पुलिस ने यहां तक तर्क दे दिया था कि सहगल से उन्होंने कुछ भी बरामद नहीं करना है, यानी पुलिस ने अपने तर्क में यहां तक कह दिया था कि सहगल की उन्हें जरूरत नहीं है। 13 दिसम्बर को सहगल को जमानत मिलना तय था, मगर प्रॉसीक्यूशन ने सी.डी. का मुद्दा उठा लिया और कहा कि अदालत को एक बार सी.डी. जरूर देखनी चाहिए। इसके बाद 13 दिसम्बर को अदालत ने फैसला रोक लिया था।
अदालत में नहीं टिक पाएंगी नई जोड़ी धाराएं
घटना के बाद बिल्डिंग इंस्पैक्टर दिनेश जोशी ने सिर्फ मारपीट की शिकायत की थी, मगर बाद में सप्लीमैंटरी स्टेटमैंट में कहा था कि सहगल ने अटैक कर उसका जनेऊ भी तोड़ दिया था, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई। पुलिस ने बाद में केस में धारा 295 व 120-बी जोड़ दी थी, मगर जो सी.डी. अदालत में सहगल की जमानत रद्द होने का प्रमुख कारण बनी, वही अब भविष्य में सहगल के लिए वरदान भी बन सकती है, क्योंकि उसमें किसी भी तरह के जनेऊ तोडऩे की घटना रिकार्ड नहीं है। ऐसे में नई जोड़ी धाराएं अदालत में बमुश्किल ही टिक पाएंगी।