पंचायत मेंबर से लेकर "पंजाबी एकता पार्टी" के गठन तक खैहरा का सफर

Edited By Suraj Thakur,Updated: 08 Jan, 2019 06:27 PM

sukhpal singh khaira formed punjabi ekta party

25 दिसंबर 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ने के बाद खैहरा अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं।

पंजाब डेस्क। (सूरज ठाकुर) पंजाब में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने में आम आदमी पार्टी को By-By कर चुके विधायक सुखपाल खैहरा दूसरे नंबर पर हैं। शायद ही कोई दिन हो जब खैहरा का बयान मीडिया में न आता हो। अगर हम सुखपाल सिंह खैहरा के प्रोफाइल पर नजर डालें तो उन्होंने कांग्रेस में स्टेबिलिटी के साथ 20 साल गुजारे हैं। 25 दिसंबर 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ने के बाद वह अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं। कांग्रेस का लंबे समय तक साथ देने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा इस आरोप के साथ दिया कि राहुल गांधी युवाओं को तरजीह नहीं दे रहे हैं। अब 6 जनवरी 2019 को आम आदमी पार्टी से यह कह कर इस्तीफा दे दिया कि पार्टी अपने असली मकसद से भटक गई है। हालांकि अभी आप के टिकट पर जीते हुए उन्हें विधायक बने पूरे दो साल भी नहीं हुए हैं। अलबत्ता अपनी "पंजाबी एकता पार्टी" बनाकर वह सियासी अखाड़े में कूद गए हैं।

कौन हैं सुखपाल खैहरा...

13 जनवरी 1965 को जन्में सुखपाल सिंह खैहरा पंजाब की अकाली सरकार में रहे  पूर्व शिक्षा मंत्री सुखजिंदर सिंह खैहरा के पुत्र हैं। उनकी स्कूली शिक्षा एशिया के सबसे पुराने कॉनवेंट स्कूल बिशप कॉटन शिमला से हुई है। जबकि उच्चतम शिक्षा उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रहण की है।PunjabKesari image, सुखपाल सिंह खैहरा इमेज फोटो वॉलपेपर फुल एचडी फोटो गैलरी फ्री डाउनलोड

राजनीतिक सफर...

सुखपाल खैहरा ने अपना राजनीतिक जीवन 1994 में शुरू किया और वह इस दौरान कपुरथला के रामगढ़ गांव से पंचायत मेंबर चुने गए थे। 1997 में उन्होंने यूथ कांग्रेस ज्वाइन की और उन्हें इसी दौरान संगठन के उपाध्यक्ष पद से नवाजा गया। 1999 में कांग्रेस ने उनकी परफामेंस देखते हुए उन्हें पंजाब कांग्रेस का सचिव नियुक्त किया गया। 2005 में उन्हें जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2006 में वह सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक कपूरथला के डायरेक्टर भी रहे। 

दो चुनाव हारने के बाद पहली बार बने थे विधायक...

2007 से 2012 तक वह कपूरथला के भुल्थ विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रहे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस चुनाव से पहले वह दो बार 1997 और 2002 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। 2009 में उन्हें कांग्रेस ने पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त किया। 2014 में कांग्रेस के लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया।

ऐसे छोड़ दी थी कांग्रेस...

पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 को लेकर मीड़िया में बड़े-बड़े चुनावी विश्लेषण मीडिया में चले रहे थे। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि पंजाब में आप सरकार का गठन करेगी। शायद यही वजह रही होगी कि खैहरा ने 25 दिसंबर 2015 को क्रिसमस-डे पर कांग्रेस का हाथ छोड़कर आम आदमी पार्टी का झाड़ू थाम लिया था। इस दौरान उनका आरोप था कि राहुल गांधी ने पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपने में नौजवानों को नजर अंदाज किया है, जबकि वह देश के निर्मार्ण में नौजवान लोगों को तरजीह देने की बात करते आए हैं। मार्च 2017 को वह आम आदमी पार्टी के टिकट पर भुल्थ विधानसभा से फिर चुनाव जीते।PunjabKesari image, सुखपाल सिंह खैहरा इमेज फोटो वॉलपेपर फुल एचडी फोटो गैलरी फ्री डाउनलोड

बयान जो भारी पड़े... 

पंजाब में आम आदमी पार्टी की हार पर बड़ा बयान दिया था। विधायक सुखपाल खैहरा ने सीएम फेस न होने को हार की बड़ी वजह बताया था। उन्होंने कहा था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का नाम घोषित होने से कांग्रेस को फायदा मिला। सुखपाल ने फेसबुक पर वीडियो के जरिए ये बातें कहीं थी। उन्होंने कहा था कि पंजाब की जनता को लगा कि बाहरी या दिल्ली से आया हुआ व्यक्ति कहीं पंजाब का सीएम न बन जाए। सुखपाल ने माना था कि इसी वजह ने लोगों को आम आदमी पार्टी से दूर कर दिया। पंजाब विधानसभा में आप की हार के बाद इस तरह का बयान पार्टी हाईकमान को अखरने लगा था। मीडिया में रोजाना उनकी उपस्थिति भी कहीं न कहीं आप हाईकमान को रास नहीं आ रही थी। पार्टी को नसीहत देने से विवाद उठने लाजमी थे।PunjabKesari image, सुखपाल सिंह खैहरा इमेज फोटो वॉलपेपर फुल एचडी फोटो गैलरी फ्री डाउनलोड

विधायक दल का नेता... 

आम आदमी पार्टी ने चुनाव में 22 सीटें हासिल की थी। इसलिए शुरूआत में एचएस फूलका को आप विधायक दल का नेता चुना गया था। लेकिन निजी कारणों के चलते उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद जुलाई 2017 को सर्वसम्मति से खैहरा को विधायक दल का नेता चुना गया था। जुलाई 2018 में पार्टी के नेताओं में आपसी विवाद के चलते सुखपाल खैहरा को विपक्षी दल के नेता से हटा दिया गया और हरपाल चीमा को उनकी जगह नियुक्त किया गया। जिसके बाद खेहरा सहित सात विधायक पार्टी से बागी हो गए थे। इन विधायकों ने दिसंबर माह में पंजाब में इंसाफ मार्च निकाला था और तीसरा मोर्चा खड़ा करने का ऐलान भी किया था।

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