Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 09:39 AM
सिंचाई विभाग में 1 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंद्र सिंह की संलिप्तता माइनिंग घोटाले में भी सार्वजनिक होने के पश्चात पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने एक बार फिर माइनिंग घोटाले की जांच के लिए गठित जस्टिस...
चंडीगढ़, (शर्मा): सिंचाई विभाग में 1 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के मुख्य आरोपी ठेकेदार गुरिंद्र सिंह की संलिप्तता माइनिंग घोटाले में भी सार्वजनिक होने के पश्चात पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने एक बार फिर माइनिंग घोटाले की जांच के लिए गठित जस्टिस नारंग कमीशन की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। कमीशन प्रमुख जस्टिस जे.एस. नारंग (से.मु.) के नाम खुला पत्र लिखकर खैहरा ने आरोप लगाया कि बिजली व सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह को ग घोटाले में सिर्फ क्लीन चिट प्रदान करने के लिए जांच के नाम पर जस्टिस नारंग ने छल व धोखेबाजी की है।
इस आरोप के साथ ही खैहरा ने जस्टिस नारंग से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने व कमीशन प्रमुख के रूप में सरकारी खजाने से मिले वेतन, भत्तों सहित अन्य सुविधाओं के लिए हुए खर्च को सरकारी खजाने में लौटाने की मांग की है।खैहरा ने अपने आरोपों के आधार के रूप में पत्र में लिखा कि जस्टिस नारंग ने अपनी रिपोर्ट में अमित बहादुर व कुलविंद्र सिंह को संजीत रंधावा व साहिल सिंगला का फ्रंटमैन करार दिया है जबकि अमित बहादुर आज भी कार्पोरेट मंत्रालय की वैबसाइट अनुसार राणा परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी राजबीर इंटरप्राइजिज, जिसने खदानों की नीलामी में निवेश किया के डायरैक्टर पद पर हैं। इसके अलावा राणा परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों जिनका पता भी सैक्टर-8 में वही है जो राणा शूगर का है, को भी नजरअंदाज किया गया।
खैहरा ने कहा कि ग डायरैक्टर अमित दाखा ने जांच के दौरान माना था कि नीलामी प्रक्रिया दौरान उन्हें राणा गुरजीत सिंह का फोन आया था लेकिन कमीशन ने इनके बीच हुई बातचीत के तथ्य जांचने की जहमत नहीं उठाई। सिंचाई घोटाले के मुख्य आरोपी गुरिंद्र सिंह जिसने खदान घोटाले के लिए राजबीर इंटरप्राइजिज को राणा गुरजीत सिंह के चार्टर्ड अकाऊंटैंट साहिल सिंगला के भतीजे जतिन गर्ग के माध्यम से 5 करोड़ रुपए दिए, को सिंचाई विभाग द्वारा घोटाले की एफ.आई.आर. दर्ज होने के बावजूद भारी राशि जारी की गई। यही नहीं, रिपोर्ट में कहा गया कि कमीशन ने इस सच्चाई को भी नजरअंदाज किया कि राजबीर इंटरप्राइजिज ने खदानों की नीलामी के लिए 50 प्रतिशत राशि के रूप में लगभग 29 करोड़ रुपए माइङ्क्षनग विभाग के महाप्रबंधक के पास जमा करवाए थे जबकि रिपोर्ट में यह राशि 18 करोड़ बताई गई। खैहरा ने पत्र में लिखा है कि मात्र राणा गुरजीत सिंह को क्लीन चिट प्रदान करने के नाम पर की गई इस जांच के नाम पर कमीशन द्वारा किए गए छल व धोखे के लिए जस्टिस नारंग सार्वजनिक रूप से माफी मंागें व सरकार कमीशन के गठन पर हुए पूर्ण खर्च की रिकवरी करे।