Edited By Vatika,Updated: 11 Jan, 2019 12:52 PM
प्रदेश की सियासी चाल रोजाना नई करवटें ले रही है। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही जहां प्रदेश में नई पार्टियों का दौर शुरु हो गया है, वहीं कुछ विधायकों के पद भी खतरे में पड़ गए हैं। इनमें आम आदमी पार्टी(आप) को अलविदा कहने वाले विधायक सुखपाल सिंह खैहरा व...
जालंधर(रविंद्र): प्रदेश की सियासी चाल रोजाना नई करवटें ले रही है। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही जहां प्रदेश में नई पार्टियों का दौर शुरु हो गया है, वहीं कुछ विधायकों के पद भी खतरे में पड़ गए हैं। इनमें आम आदमी पार्टी(आप) को अलविदा कहने वाले विधायक सुखपाल सिंह खैहरा व उनके साथ जाने वाले 6 विधायक भी शामिल हैं।
इनका विधायक पद अब ‘आप’ हाईकमान के रहमो करम पर टिका हुआ है। संभावना है कि अरविंद केजरीवाल जल्द ही विधानसभा स्पीकर को इनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के बारे लिख सकते हैं। उधर, क्यास लगाए जा रहे हैं कि मालवा में अचानक खैहरा व उनकी पंजाबी एकता पार्टी की बढ़ती सक्रियता बता रही है कि खैहरा बठिंडा लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। गौर हो कि भुलत्थ विधानसभा हलके में 2017 में तिकोणा मुकाबला हुआ था। कांग्रेस की तरफ से रणजीत सिंह राणा मैदान में थे, तो अकाली दल ने युवा नेता युवराज भूपिंद्र सिंह और आम आदमी पार्टी ने सुखपाल खैहरा को मैदान में उतारा था।हालांकि मुख्य मुकाबला 2017 में ‘आप’ व अकाली दल के बीच ही रहा था और कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी। इसका एक खास कारण था कि खैहरा कांग्रेस को छोड़कर ‘आप’ में शामिल हुए थे और उन्हें ‘आप’ व कांग्रेसी दोनों वोटों का फायदा मिला था। ‘आप’ में जाते वक्त खैहरा कांग्रेस के वोट बैंक को बड़ा झटका दे गए थे।
अब अगर खैहरा का विधायक पद जाता है तो उपचुनाव में भुलत्थ से कांग्रेस को फायदा मिलना तय है। बरगाड़ी कांड को लेकर अकाली दल पूरी तरह से बैकफुट पर चल रहा है और उनकी पंथक वोट बैंक को तगड़ी चोट लगी है। वहीं ‘आप’ से टूटने पर खैहरा का वोट बैंक भी भुलत्थ में धराशयी हो गया है। ऐसे में कांग्रेस के नेता रणजीत सिंह राणा आने वाले समय में पार्टी को यहां से जीत का स्वाद चखा सकते हैं। वैसे भी विधानसभा चुनाव के बाद राणा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह लगातार अपने हलके में जनता के बीच एक्टिव हैं। उनके अ‘छे स्वभाव व कामकाज से हाईकमान भी बेहद संतुष्ट नजर आ रही है।
कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ उनकी नजदीकियों का भी उन्हें लाभ मिल सकता है तो दूसरी तरफ ‘आप’ से टूटी वोट बैंक का कांग्रेस में शिफ्ट होने से पार्टी को लाभ मिलना यकीनी है। उप चुनाव की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने अभी से भुलत्थ हलके में अपनी तैयारी शुरु कर दी है, क्योंकि खैहरा व बीबी जागीर कौर के गढ़ को भेदने के लिए कांग्रेस को अभी से यहां मेहनत करनी होगी और ‘आप’ के टूटे वोट बैंक को खुद की तरफ करने पर जोर देना होगा। संभावना है कि अगले एक-आध महीने में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भुलत्थ हलके में अपनी रैली भी रख सकते हैं।