मेरे कहने से बाहर नहीं है बेटा, तानाशाही के खिलाफ जारी रहेगी लड़ाई : सुखदेव ढींडसा

Edited By swetha,Updated: 04 Jan, 2020 08:26 AM

sukhdev singh dhindsa

फिर दोहराई अकाली दल के तानाशाही होने की बात

चंडीगढ़(अश्वनी) : पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा के इस्तीफा देने के बाद उनके पिता सुखेदव सिंह ढींडसा ने कहा कि मेरा बेटा मेरे कहने से बाहर नहीं है। उसने अकाली दल में काफी बेहतरीन काम किया लेकिन बादल परिवार यह न भूले कि परमिंदर ढींडसा पहले मेरा बेटा है और मेरे कहने से बाहर बिल्कुल नहीं है। यह बात उन्होंने साबित भी कर दी है।

फिर दोहराई अकाली दल के तानाशाही होने की बात

सुखदेव ढींडसा ने एक बार फिर अकाली दल में तानाशाही होने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि सुखबीर ने बिना बैठक के ही नया नेता चुन लिया है। इससे साबित होता है कि पार्टी में व्यक्ति विशेष ही सर्वोपरि हो गया है और ढींडसा परिवार की तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।सुखदेव ने एक बार फिर दोहराया है कि अकाली दल किसी एक परिवार की जागीर नहीं है। पार्टी को पूरे 100 साल हो चुके हैं और सुखबीर ने ही काम नहीं किया बल्कि सैंकड़ों अन्य नेताओं ने कुर्बानी देकर पार्टी को खड़ा किया है। 

यह भी कर चुके हैं पार्टी को अलविदा

सबसे पहले वरिष्ठ नेता रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां और डा. रतन सिंह अजनाला पार्टी छोड़ कर टकसाली अकाली पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं। सुखदेव ढींडसा सहित यह नेता भी साफ कर चुके हैं कि सुखबीर द्वारा तैयार की गई कार्यकारी नीति अंसवैधानिक है।

आगामी दिनों में परमिंद्र ढींडसा पर पार्टी कर सकती है बड़ी कार्रवाई! 

पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा के इस्तीफे को लेकर पार्टी में काफी चर्चाएं शुरू हो गई हैं और सीधे तौर पर पार्टी के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि परमिंदर ढींडसा ने अभी पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि आगामी दिनों में ढींडसा पर पार्टी बड़ी कार्रवाई कर सकती है। ढींडसा के पिता पहले ही शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। यह पहले से ही माना जा रहा था कि परमिंदर भी पिता के नक्शे कदम पर चल सकते हैं। 

अकाली दल के इतिहास में हुआ ऐसा पहली बार

अकाली दल में ऐसा पहली बार हुआ है कि पिता के बाद बेटे ने भी पार्टी के अहम पद से इस्तीफा दे दिया हो। विधानसभा में पार्टी के नेता के पद से इस्तीफे को अकाली दल के बड़े नुक्सान की शक्ल में देखा जा रहा है। परमिंदर सिंह ढींडसा ने विधानसभा में पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा देकर साबित कर दिया है कि कब क्या फैसला लेना है वह अच्छी तरह से जानते हैं। इसी को लेकर ढींडसा ने विदेश दौरे से लौटने के फौरन बाद ही विधायक दल के पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही संकेत दिया है कि वह अपने पिता मुताबिक ही चलेंगे।

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