Student Visa के नाम पर सजा ठगी का बाज़ार

Edited By Vatika,Updated: 24 Dec, 2020 03:30 PM

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पंजाब में इमिग्रेशन का हब माने जाने वाले जालंधर में आए दिन कई ठग एजैंट जोकि लाखों लोगों का पैसा लेकर फरार होने के कई मामले लोगों के सामने आ चुके हैं।

जालंधर (मृदुल): पंजाब में इमिग्रेशन का हब माने जाने वाले जालंधर में आए दिन कई ठग एजैंट जोकि लाखों लोगों का पैसा लेकर फरार होने के कई मामले लोगों के सामने आ चुके हैं। मगर इमिग्रेशन इंडस्ट्री की कुछ काली भेड़ें अब नए तरीके से लोगों को खासकर स्टूडेंट वीज़ा के नाम पर ठग रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा वे इमिग्रेशन कंसल्टेंट समेत एजैंट हैं जोकि यू.के स्टडी वीजा के नाम पर लोगों से लाखों रुपए वसूल रहे हैं। कुछ तो एजैंट आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट्स का फायदा उठाकर फीस के नाम पर मोटा ब्याज वसूल रहे हैं। 

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जानकारों की मानें तो इस वक्त इमिग्रेशन इंडस्ट्री की कुछ काली भेड़ें प्राइवेंट फाइनांसरों के मिलकर स्टूडेंट्स से फंड्स के नाम पर 10 से 15 प्रतिशत ब्याज वसूल रही हैं। जिसके कारण लोगों को परेशानी आ रही है। दरअसल, इस वक्त पूरे पंजाब में यू.के स्टडी वीजा का दौर चल रहा है। हालांकि हाल ही में यू.के द्वारा नियमों सख्ती करने के बाद जहां पहले एजैंट सैंकड़ों वीजे लगवाकर मालामाल हुए हैं। वहीं दूसरी ओर अब यू.के स्टडी वीजा में स्टूडेंट के इंटरव्यू व फीस के नाम पर उनसे मोटा ब्याज वसूला जा रहा है। हालांकि इस सारे गोरखधंधे में ब्याज में  60-40 का रेशो सैट होता है। 60 प्राइवेट फाइनांसर का और 40 एजैंट का। गौर करने वाली बात है कि इस सारे काले खेल को एजैंट स्टूडेंट वीजा पैकेज का नाम देते हैं। 

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कैसे रचा जाता है खेल 
एजैंटों द्वारा आए दिन ठगी करने के नए नए तरीके खोजे जाते हैं। अब स्टूडेंट्स से यह ब्याज वसूलने का तरीका भी काफी अलग है। स्टूडेंट् जाते तो एजैंट के पास हैं मगर स्टूडेंट्स के खाते में पैसे डलवाता है प्राइवेंट फाइनांसर। एजैंटों को प्राइवेट फाइनांसरों के साथ सैटिंग होने के चलते वह स्टूडेंट्स से सारे असली डॉक्यूमेंट्स समेत पासपोर्ट गारंटी के तौर पर ले लेते हैं। बाद में एजैंट सारे डॉक्यूमेंट्स समेत पासपोर्ट प्राइवेट फाइनासरों को दे देते हैं। क्योंकि यू.के में 28 दिन में पुराने फंड्स चलते हैं और न्यूनतम 20 से 25 लाख रुपए एकाउंट में मेनटेन रखने होते हैं तो प्राइवेट फाइनांसर बैंक के कर्मचारियों के साथ सैटिंग करके उन्हें स्टूडेंट्स का बैंकों में खाता खुलवाते हैं और बैंक द्वारा स्टूडेंट को दी जाने वाली पासबुक, चैकबुक व अन्य कागजात प्राइवेट फाइनांसर तीन महीने के लिए बतौर गारंटी के तौर पर अपने पास रखते हैं। तीन महीने बाद जब फाइल को एबैंसी में लगाने के बाद जब वीजा आता है तो स्टूडेंट्स से फीस व फंड के नाम पर मोटा ब्याज लिया जाता है। अगर स्टूडेंट्स द्वारा इतनी मोटा ब्याज न दिया जाए तो उनका कई दिनों तक पासपोर्ट भी नहीं दिया जाता है और उल्टा उनका केस खराब करने की एजैंट धमकी देते हैं। 

क्या किसी की चैकबुक, पासबुक व अन्य डॉक्यूमेंट्स फाइनांसर को रखने का अधिकार है? 
वहीं इस सारे मामले में जालंधर के नामी एजैंट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा अमूमन अगर किसी को जरुरत हो तो ज्यादातार स्टूडेंट्स एजुकेशन लोन करवा लेते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जोकि ब्याज भी देते हैं। मगर कम रेट पर। अगर बात की जाए तो इस वक्त मार्कीट में 3 प्रतिशत ब्याज पर स्टूडेंट लोन मिलता है। मगर अब इस सारे धंधे में प्राइवेट फाइनांसरों का धीरे धीरे कब्जा बढ़ने के कारण स्टूडेंट अब एजैंट के पास जाना प्रैफर ही नही करते हैं। क्योंकि उन्हें डर होता है कि अगर वह इतनी मेहनत पैसे इक्टठे करने के बावजूद अगर थोड़ा बहुत ब्याज न दे पाए तो उनकी सारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। 

गोरखधंधे का किंगपिन है शहर का एक मोटा फाइनांसर ! 
वहीं इमिग्रेशन एक्पटर्स की मानें तो इस सारे खेल को शुरु कराने वाला शहर का एक मोटा फाइनांसर है। जोकि पहले व्यापारियों को मोटे ब्याज पर पैसे देता था और बाद में उन्हें अपने ब्याज के चुंगल में फंसाकर कई व्यापारियों की प्रॉपर्टियां हड़प चुका है। उस पर एक एन.आर.आई के साथ फ्रॉड करने का केस में भी चल रहा है। जोकि कोर्ट में विचाराधीन है। इतना ही नहीं कई फाइनांसरों के साथ वह ठगी व धोखाधड़ी के कारनामे कर चुका है।

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