अपराध के रास्ते पर बढ़ते टीनएजर के कदम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Apr, 2018 08:29 AM

steps of growing teenager on the road of crime

नशे की आपूर्ति व बिना मेहनत कमाई के लालच में महानगर के टीनएजर के कदम अपराध के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। पहले जहां इस काम में 20 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं की हिस्सेदारी ज्यादा होती थी, वहीं अब तो 14-15 साल के टीनएजर भी अपराध की दुनिया में अपनी दस्तक...

जालंधर (रविंदर): नशे की आपूर्ति व बिना मेहनत कमाई के लालच में महानगर के टीनएजर के कदम अपराध के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। पहले जहां इस काम में 20 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं की हिस्सेदारी ज्यादा होती थी, वहीं अब तो 14-15 साल के टीनएजर भी अपराध की दुनिया में अपनी दस्तक दे रहे हैं। इसके लिए काफी हद तक हमारा समाज व प्रदेश की सरकारें भी जिम्मेदार हैं। पिछले कुछ महीनों में तो महानगर में चोरी व स्नैचिंग की वारदातों ने रिकार्ड तोड़ दिया है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब स्नैचिंग की कोई घटना न होती हो। पुलिस की ढीली कारगुजारी भी स्नैचरों के हौसले बुलंद कर रही है। नशा व बेरोजगारी राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है।

कोई नौकरी न मिलने पर अमीर घराने के बच्चे तो विदेशों की धरती का रास्ता चुन रहे हैं, मगर गरीब व मध्यम वर्ग का बच्चा नौकरी न मिलने पर अपराध की दुनिया का रास्ता चुन रहा है। कुछ साल पहले तक शहर में इक्का-दुक्का गैंग ही स्नैचिंग की वारदातों को अंजाम देते थे। आई.पी.एस. कुंवर विजय प्रताप सिंह ने जब शहर में बतौर कमिश्रर चार्ज संभाला था तो उन्होंने सबसे पहले स्नैचिंग की वारदातों को कम करने का टार्गेट थाना प्रभारियों को दिया था। साथ ही जिस इलाके में वारदात होती थी, उस थाना प्रभारी की जिम्मेदारी भी तय की जाती थी। ऐसे में थाना स्तर पर पुलिस चौकस रहती थी और स्नैचिंग व चोरी की वारदातों में बेहद कमी आ गई थी। मगर अब धीरे-धीरे महानगर फिर से चोरों व स्नैचरों के शिकंजे में जकड़ चुका है।

खास तौर पर महिलाएं इन स्नैचरों का शिकार बन रही हैं। राह जाती कोई भी महिला खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है। जिस किसी महिला के गले में चेन या कानों में सोने की बालियां नजर आती हैं, उसी समय स्नैचर अपना हल्ला बोल देते हैं। शहर का ऐसा कोई भी थाना नहीं है, जहां चोरी व स्नैचिंग की वारदातें न होती हों। शायद पुलिस की कारगुजारी कुछ सुस्त हो गई, तभी दिन-ब-दिन अपराधियों के हौसले बुलंद हो चुके हैं। नशा भी युवाओं को अपराध की दलदल में धकेलने का एक बड़ा कारण है। पिछले कुछ सालों में नशा युवाओं को अपने शिकंजे में बुरी तरह से जकड़ चुका है। महंगे नशे की लत युवाओं को धीरे-धीरे ड्रग माफिया लगाता है और फिर पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। जेब खर्च से शुरू होने वाली प्रक्रिया घर में छोटी-मोटी चोरी की आदत डालती है तो इसके बाद यही कदम बाहरी अपराध की दुनिया में ले जाती है। युवाओं के साथ-साथ अब टीनएजर का भी अपराध की दुनिया में उतरना एक खतरे के संकेत से कम नहीं हैं। वीरवार को स्नैचिंग की वारदातों में थाने की ओर से पकड़े बच्चों की उम्र महज 14 से 15 साल की थी। 

रिक्शा सवार महिलाएं आसान टार्गेट
रिक्शा सवार महिलाएं स्नैचरों का आसान टार्गेट हैं। स्नैङ्क्षचग की 80 प्रतिशत वारदातें रिक्शा सवार महिलाओं के साथ ही होती हैं। मोटरसाइकिल पर सवाल स्नैचरों के लिए रिक्शा पर सवार महिला से छीना-झपटी करना बेहद आसान होता है। जब तक शोर मचाया जाता है, तब तक अपराधी काफी दूर निकल चुके होते हैं। पुलिस कमिश्रर पी.के. सिन्हा पहले ही रिक्शा चालकों को छत ढंक कर महिला सवारी को ले जाने के आदेश जारी कर चुके हैं, मगर इनकी पालना कम ही हो रही है। 

स्नैचिंग को गंभीरता से लें कमिश्नर व एस.एस.पी. : डी.जी.पी.
डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा का कहना है कि टीनएजर का अपराध की दुनिया में आना समाज के लिए गंभीर संकेत है। वह कहते हैं कि स्नैङ्क्षचग की वारदातों को रोकने के लिए सभी पुलिस कमिश्रर व एस.एस.पी. को खास हिदायतें जारी की गई हैं। युवाओं व टीनएजर को अपराध के रास्ते पर आने से रोकने में माता-पिता व अभिभावक भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। स्कूल व कॉलेज जाने वाले बच्चे पर माता-पिता पूरी नजर रखें और उनका ख्याल करें। 

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