Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Aug, 2017 09:57 AM
16 जून 2015 को गैंगस्टर समझकर अकाली नेता मुखजीत सिंह उर्फ मुक्खा का एन्काऊंटर किए जाने के मामले में स्थानीय जे.एम.आई.सी. राजन अनेजा की .........
अमृतसर (महेन्द्र): 16 जून 2015 को गैंगस्टर समझकर अकाली नेता मुखजीत सिंह उर्फ मुक्खा का एन्काऊंटर किए जाने के मामले में स्थानीय जे.एम.आई.सी. राजन अनेजा की अदालत ने तत्कालीन डी.सी.पी. तथा मौजूदा एस.एस.पी. देहाती परमपाल सिंह गांधी, 1 एस.आई., 1 ए.एस.आई. तथा 7 अन्य पुलिस कर्मियों सहित कुल 10 कथित आरोपियों को 8 सितम्बर, 2017 को अदालत में पेश होने के लिए तलब करते हुए उन्हें सम्मन भी जारी कर दिया है।
मुद्दई पक्ष के कौंसिल पुनीत जख्मी ने बताया कि इस मामले में एस.आई. तथा ए.एस.आई. सहित कुल 9 पुलिस कर्मियों को भा.दं.सं. की धारा 302 तहत हत्या के आरोप में जबकि मौजूदा एस.एस.पी. देहाती परमपाल सिंह गांधी को हत्या के सबूत मिटाने के आरोप में धारा 201 के तहत तलब किया गया है।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि वेरका निवासी एवं अकाली नेता मुखजीत सिंह उर्फ मुक्खा, जोकि निगम की वार्ड नंबर 16 का प्रधान था, 16 जून, 2015 को अपनी कार नंबर पी.बी. 02 सी.आर. 7130 में सवार होकर गांव मूधल की तरफ जा रहा था।
इस दौरान थाना रामबाग की पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि बताए गए नंबर वाली इस कार में कुछ गैंगस्टर्स जा रहे हैं जिसके आधार पर स्थानीय थाना रामबाग की पुलिस ने सादा कपड़ों में वेरका क्षेत्र में नाकाबंदी कर दी। इस दौरान ज्यों ही अकाली नेता मुक्खा की कार वहां से गुजरी तो तत्कालीन डी.सी.पी. (मौजूदा एस.एस.पी. देहाती) परमपाल सिंह गांधी को छोड़ पुलिस पार्टी में शामिल सभी पुलिस कर्मियों ने अकाली नेता मुक्खा की कार पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी जबकि कार में जा रहे अकाली नेता मुक्खा द्वारा एक भी गोली नहीं चलाई गई। हालांकि उसकी कार की तलाशी दौरान अकाली नेता मुक्खा के पैरों के समीप उसकी लाइसैंसी पिस्तौल भी पड़ी पाई गई थी।
जब पुलिस पार्टी को सारी हकीकत का पता चला तो उनके हाथ-पांव फूल गए, लेकिन बावजूद इसके पुलिस विभाग ने अपने पुुलिस अफसरों एवं कर्मियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की थी। मामला जब तत्कालीन सी.एम. प्रकाश सिंह बादल के दरबार में पहुंचा तो पुलिस ने एस.आई. रमेश कुमार तथा उसकी पुलिस टीम पर भा.दं.सं. की धारा 304 के तहत गैर-इरादतन हत्या के आरोप में मामला दर्ज कर दिया था।
तत्कालीन आई.जी. क्राइम नागेश्वर ने की थी मामले की जांच
वर्णनीय है कि अकाली नेता मुक्खा को गैंगस्टर मान कर उसका गलत एन्काऊंटर किए जाने पर इलाका वासियों द्वारा पुलिस के खिलाफ जहां रास्ता जाम करके प्रदर्शन किया था, वहीं तत्कालीन सी.एम. के आदेश पर तत्कालीन तेज-तर्रार आई.पी.एस. अधिकारी नागेश्वर राव को इस मामले की जांच सौंपी थी। उनके अनुसार पुलिस को गैंगस्टर के आने की सूचना थी और मुक्खा को भी आपराधिक छवि वाले कुछ लोगों द्वारा जान से मार देने की धमकियां दी जा रही थीं।
घटना के समय पुलिस टीम सिविल कपड़ों में थी। ऑप्रेशन के लिए पुलिस ने सरकारी वाहनों की बजाय निजी गाडिय़ों का ही इस्तेमाल किया था, इसलिए शायद दोनों तरफ से कुछ संदेहपूर्ण परिस्थितियां रही हो सकती हैं। एक तरफ मुक्खा को यह लगा होगा कि पेशेवर लोग उसका पीछा कर रहे हैं और पुलिस उसे गैंगस्टर समझकर उसका पीछा करती रही, जिस दौरान यह दुखद घटना घटित हो गई होगी।
असंतुष्ट परिवार ने अदालत में दायर किया था इस्तगासा
पुलिस द्वारा आरोपी पुलिस पार्टी के खिलाफ की गई कार्रवाई से मृतक मुक्खा का परिवार कतई संतुष्ट नहीं था इसलिए पुलिस कार्रवाई से असंतुष्ट मुक्खा के भतीजे प्रिन्सपाल सिंह ने अपने कौंसिल पुनीत जख्मी के जरिए तत्कालीन डी.सी.पी. परमपाल सिंह गांधी के साथ-साथ एस.आई. रमेश कुमार, ए.एस.आई. जोगिन्द्र सिंह, हैड कांस्टेबल रमेश कुमार, कांस्टेबल संदीप सिंह, कांस्टेबल नवजोत सिंह, हैड कांस्टेबल रणबीर सिंह, हैड कांस्टेबल जसबीर सिंह, हैड नकांस्टेबल राज कुमार तथा कांस्टेबल सतिन्द्र सिंह के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 302/341/201/ 148/149/506 के तहत हत्या व सबूत मिटाने के आरोप में स्थानीय अदालत में इस्तगासा दायर किया था जिसकी सुनवाई इस समय स्थानीय जे.एम.आई.सी. राजन अनेजा की अदालत द्वारा की जा रही है।
इसमें मुद्दई का कहना था कि उसके चाचा मुक्खा को पुलिस पार्टी ने गैंगस्टर समझ कर उसकी हत्या कर दी थी जबकि कथित आरोपी पुलिस अधिकारी, अफसर तथा पुलिस कर्मचारी, ये सभी पुलिस विभाग में ज्यों के त्यों ही नौकरी कर रहे हैं।
सम्मन मिलेगा तो अदालत में रखेंगे पक्ष : एस.एस.पी.
इस संबंध में एस.एस.पी. देहाती परमपाल सिंह गांधी का कहना है कि उन्हें इस मामले को लेकर अदालत से अभी कोई सम्मन नहीं मिला, फिर भी अदालत से ऐसा कोई सम्मन मिलेगा तो वह अदालत में पेश होकर अपना पूरा पक्ष रखेंगे।