आगामी चुनावों को लेकर गायकी से राजनीति में आए मोहम्मद सदीक से विशेष बातचीत

Edited By Kalash,Updated: 12 Dec, 2021 02:40 PM

special conversation with mohammad sadiq

मोहम्मद सदीक पंजाबी गायकी से राजनीति के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए थे तथा इस समय वह फरीदकोट लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2012 से 2017 तक वह विधायक भी रहे।

जालंधर (सुनील धवन): मोहम्मद सदीक पंजाबी गायकी से राजनीति के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए थे तथा इस समय वह फरीदकोट लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2012 से 2017 तक वह विधायक भी रहे। कांग्रेस से जुड़े सदीक को लोकसभा में पहुंचाने के लिए कई नेताओं ने अपना योगदान डाला था। मालवा क्षेत्र से जुड़े इस कांग्रेसी सांसद को साफ-सुथरा राजनीतिज्ञ माना जाता है। 

पंजाबी गायकी से जब सदीक जुड़े थे तो उन्होंने कई महिला गायकों जैसे सुरिंदर कौर, नरिंदर बीबा, रजिंदर राजन, स्वर्ण लता के साथ भी कई गीत गाए थे। उनका लोकप्रिय गीत जिसने धूम मचाई थी उसके आरंभिक बोल ‘निगाह मारदा आईं वे मेरा लौंग गवाचा’ थे। सदीक कई पंजाबी फिल्मों जैसे ‘पुत्त जट्टां दे’, ‘पटोला’ आदि में काम कर चुके हैं। कांग्रेसी सांसद के साथ मालवा की राजनीति को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई जिसमें उन्होंने पूछे गए प्रश्रों के स्पष्ट जवाब दिए :

प्र. : मालवा में पंजाब की सबसे अधिक सीटें पड़ती हैं। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में तस्वीर किस तरह की रहेगी?
उ. :
मैं कोई बड़ा राजनीतिज्ञ नहीं हूं परन्तु जितनी मेरी समझ है उसके अनुसार मालवा में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहने वाला है।

प्र. : आम आदमी पार्टी मालवा में अच्छा प्रदर्शन करने का इस बार दावा कर रही है?
उ. :
दावे करने से सीटें जीती नहीं जाती हैं। वास्तव में जमीनी स्तर पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है। आम आदमी पार्टी भी कुछ सीटें अवश्य जीतेगी परन्तु इसके बावजूद कांग्रेस का मुकाबला करने की स्थिति में वह नहीं है।

प्र. : मालवा क्षेत्र में कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के मध्य आपसी जंग भी चल रही है। उसको किस तरह से शांत किया जाएगा?
उ. :
यह सही है कि मालवा क्षेत्र में कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के मध्य आपसी तनातनी का माहौल देखने को पाया जा रहा है। बठिंडा में मनप्रीत बादल तथा राजा वडिंग को आपस में मिलकर चलना होगा। बठिंडा में आपसी लड़ाई के कारण कुछ सीटें प्रभावित हो सकती हैं। कांग्रेस हाईकमान को दोनों नेताओं को आपस में बिठाना होगा। इसी तरह से कुछ और सीटों पर कांग्रेसी नेताओं के मध्य एकता जरूरी है।

प्र. : पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी मालवा क्षेत्र में कितना असर डाल सकती है?
उ. :
मुझे नहीं लगता कि मालवा क्षेत्र में कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी का मतदाताओं पर विशेष असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वह तो कांग्रेस के सिपाही हैं। चाहे उन्हें आगे लाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह का काफी योगदान रहा परंतु इस समय वह कांग्रेस के साथ खड़े हैं तथा उनका उद्देश्य अपने क्षेत्र में कांग्रेस की जीत को यकीनी बनाना है।

प्र. : मालवा में एक समय अकालियों का मजबूत जनाधार होता था। अब अकालियों की जमीनी स्थिति कैसी है?
उ. :
अब अकाली दल का जनाधार मालवा में हिल चुका है। मालवा में अकाली दल का प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा। पहले स्थान पर कांग्रेस रहेगी व दूसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी। अकाली दल तीसरे स्थान पर रहेगा।

प्र. : धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी व नशों का मुद्दा कितना मतदाताओं पर असर डालेगा?
उ. :
यह सही है कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी व नशों का मुद्दा मतदाताओं को प्रभावित करता रहा है। इस बार भी उसका कुछ न कुछ असर अवश्य होगा पर जिस तरह से सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार ने धार्मिक बेअदबी व नशों के मामलों को संभालने की कोशिश की है वह सराहनीय है। लोगों के अंदर यह उम्मीद जागी है कि मौजूदा कांग्रेस सरकार धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों में इंसाफ दिलवाने के प्रति गंभीर है। अभी आने वाले दिनों में परिस्थितियों पर पैनी निगाह रखने की जरूरत है।

प्र. : धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों को किस तरह से संभालने की जरूरत है?
उ. :
वास्तव में इन मामलों को गंभीरता से संभालने की जरूरत है। कांग्रेस सरकार ने पिछली बार जब बादलों को गिरफ्तार किया था तो उनके प्रति सहानुभूति पैदा हो गई थी, इसलिए मौजूदा कांग्रेस सरकार को संभल कर कदम उठाने होंगे जिससे कि अकाली नेताओं को सहानुभूति न मिल सके। बरगाड़ी व बहबल कलां के मामलों की मौजूदा सरकार को पूरी जानकारी है।

प्र. : कांग्रेसियों में चर्चा है कि अब कार्यकर्ताओं की सुनवाई सरकारी दरबार में हो रही है।
उ.:
यह सही है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की प्रशासन में पिछले साढ़े 4 वर्षों में सुनवाई नहीं हो सकी जोकि दुखदायी था। अब मौजूदा कांग्रेस सरकार में अभी तक कांग्रेस कार्यकर्ता प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं। दलित को मुख्यमंत्री बनाने से भी दलित वोट बैंक कांग्रेस के साथ जुड़ा है।

सिख नौजवान अब अकाली दल के साथ नहीं रहा

सांसद मोहम्मद सदीक का मानना है कि आम आदमी पार्टी के अगली सरकार बनाने के दावे निराधार हैं। ऐसे दावे तो पिछले विधानसभा चुनावों के समय भी किए गए थे पर कोई खास असर नहीं पड़ा। इतना जरूर है कि पंजाब की राजनीति में अकाली दल पिछली बार भी तीसरे स्थान पर था तथा इस बार भी वह तीसरे स्थान पर ही रहेगा। धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी की घटनाओं के बाद से अकाली दल को लेकर सिख पंथ विशेष रूप से सिख नौजवानों के अंदर निराशा पैदा हुई है। यह स्थिति अब भी वैसी ही पाई जा रही है।

राजनीति एक सेवा, कलाकार इस बात को अच्छी तरह से समझ लें
मोहम्मद सदीक का मानना है कि राजनीति एक सेवा है। चुनावों के दिनों में अनेक कलाकार व गायक विभिन्न राजनीतिक दलों में शामिल होते हैं पर उन्हें यह समझ कर आगे बढना होगा कि राजनीति में वह कोई कारोबार करने के लिए नहीं आ रहे बल्कि यह तो सेवा की एक जिम्मेदारी है जो लोगों द्वारा दी जाती है। 

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