बेटे ने मां-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़ा, बेटी ने निभाया फर्ज-ले अाई ससुराल

Edited By Updated: 01 Apr, 2017 02:56 PM

son left parents in old age homes

लोग बेटे के चक्‍कर मेें बेटियों की कोख में ही हत्‍या कर देते हैं।

लुधियानाः लोग बेटे के चक्‍कर मेें बेटियों की कोख में ही हत्‍या कर देते हैं। उनकी साेच होती है कि बेटा बुढ़ापे का सहारा होता है और बेटियां पराया धन लेकिन वास्‍तवकिता कुछ अलग ही होती है। जिस बेटे को बुढापे की लाठी समझ पाला-पोसा लेकिन जब उम्र का चौथा पड़ाव आया तो वह मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ अाया। पिता की वद्धाश्रम में मौत हो गई लेकिन बेटा नहीं आया।  इस मुश्किल घड़ी में बेटी ने साथ नहीं छोड़ा अौर मां को अपने साथ ले आई।  इस घटना ने लोगों को बेटा आैर बेटी के फर्क करने की सोच पर बड़ा सवाल उठाया है। 

अंबाला कैंट स्थित पुरानी ट्रिब्यून कालोनी निवासी 79 वर्षीय ऊषा सच्चर और उनके पति सतीश सच्चर को पांच साल पहले बेटे रजत ने अपनी शादी के बाद घर से निकाल दिया। इसके बाद से वह दोनों कुरुक्षेत्र के प्रेरणा वृद्धाश्रम में रह रहे थे। उस समय पंजाब केे लुधियाना जिले में ब्याही बेटी मोनिका लेखी उन्हें अपने घर ले जाना चाहती थी  लेकिन उन दोनों को बेटी के ससुराल में रहना गवारा न था। बेटे के व्‍यवहार से अाहत पति-पत्‍नी वृद्धाश्रम में रहने लगे। इसके बाद पिछले साल 22 अप्रैल को सतीश सच्चर का स्वर्गवास हो गया। उस समय भी बेटा नहीं आया और न ही उसने मां का हाल जानना उचित समझा। 

बताया जाता है कि वृद्धाश्रम के संचालक ने पिता की मौत के बाद बेटे को कई बार फाेन किए लेकिन उसने आने से साफ मना कर दिया। उसने आगे फोन करने से भी मना किया। बेटी आती रही और मां काे अपने साथ चलने को कहा लेकिन संतान से मिली चोट और लोक लाज के कारण वह  बेटी के घर जाने को तैयार नहीं हुईं। मोनिका लगातार मां को अपने साथ ले जाने की जिद करने लगी। ऊषा सच्चर हर कष्‍ट सहने को तैयार थीं  लेकिन यह सोच कर कि बेटी के घर जाने पर लोग क्‍या कहेंगे वह उसके साथ जाने को तैयार न‍हीं हुईं लेकिन माेनिका ने हार नहीं मानी और आखिरकार मां को भी उसकी इच्छा के सामने झुकना पड़ा और वह उसके साथ जाने को तैयार हो गई। पेशे से शिक्षिका मोनिका के पति का अपना व्यवसाय है। 40 वर्षीय मोनिका बताती हैं कि उनके इस निर्णय में उनके पति ने भी पूरा साथ दिया। 

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