भारत-पाक तनाव के चलते सिद्धू ने लिखा खुला पत्र, पढ़े क्या कहा

Edited By Vaneet,Updated: 28 Feb, 2019 08:22 PM

sidhu wrote open letter for indo pak tension

आज सीमा के दोनों तरफ रणनीतिकार एक दूसरे को आघात पहुंचाने की तैयारी में हैं। उन्हें लगता है कि एक दूसरे को हानि पहुंचाकर वे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं लेकिन यह मृग तृष्णा जैसा है।...

जालंधर(सोमनाथ): आज सीमा के दोनों तरफ रणनीतिकार एक दूसरे को आघात पहुंचाने की तैयारी में हैं। उन्हें लगता है कि एक दूसरे को हानि पहुंचाकर वे खुद को सुरक्षित रख सकते हैं लेकिन यह मृग तृष्णा जैसा है। पिछले कुछ वर्षों में हमारे बीच एक अनचाहा डर पैर जमा रहा है। यह डर है आतंक का, मौत का, असुरक्षा का, एक अनचाहे असुरक्षा के भाव का। देश में कुछ लोगों के लिए अब डरने की कोई वजह नहीं बची है क्योंकि उनका डर अब हकीकत का रूप ले चुका है। शहीदों के परिवारों के चेहरों पर भी मैंने उस डर को देखा और महसूस किया है।

डर सिर्फ डर को ही जन्म देता है। आज देश में हर जगह डर का माहौल है। संवाद का डर, नई अवधारणाओं का डर और उन विचारों का डर जो सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों को चुनौती देते हैं लेकिन डर वो खौफनाक मन: स्थिति है जिसमें नकारात्मक विचार जन्म लेते हैं। दूसरों को हानि पहुंचाने का बात सोचना आसान है, लेकिन यह सोच हमें सुरक्षित नहीं कर सकती है। मैं एक स्वतंत्रता सेनानी का बेटा हूं जो अपने देश के साथ खड़ा है। मेरे सच्चे देशभक्ति की पहचान मेरा साहस है जो इस डर के खिलाफ सीना ताने खड़ा है। वो डर जिसकी वजह से आज कई लोग चुप्पी साधे हैं। 

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मैं अपने सिद्धांतों पर पूर्णत: कायम हूं कि कुछ लोगों के गलत कार्यों की वजह से पूरे समुदाय को गलत ठहरा देना ठीक नहीं है। हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री जी न भी कहा है, ‘‘हमारी लड़ाई आतंकवाद और मानवता के दुश्मनों के खिलाफ है। हमारी लड़ाई कश्मीर के लिए है न की कश्मीरियों के खिलाफ।’’ विदेश मंत्री का भी कहना था-हमारी लड़ाई पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है हमारी लड़ाई आतंकवाद और उन्हें बढ़ावा देने वाली सोच से है।’’

मैं अपने विश्वास पर कायम हूं कि हम कूटनीतिक दबाव के द्वारा सीमा के भीतर या उस पार के आतंकी संगठनों की मौजूदगी और उनके अभ्यास को जड़ से खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। आतंक का हल शांति, विकास और प्रगति है न कि बेरोजगारी, नफरत और भय। भारत मां का कोई भी बेटा अपनों से बिछडऩा नहीं चाहिए जैसा कि अभिनंदन के साथ हुआ है। यदि ये स्थिति और गहराती है तो कई और ऐसी घटनाएं सामने आएंगे। अपूरणीय क्षति के साथ-साथ दोनो देश उस राह पर आगे बढ़ जाएंग जहां से वापस लौटना मुश्किल होगा।

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी कहा था ‘‘हमारा उद्देश्य आतंकवाद और उसके प्रायोजक, फाइनैंसर और हथियार आपूर्तिकर्ताओं से मजबूती से निपटना है लेकिन इसके समानंतर हमारे दरवाजे शांति बहाल करने के लिए और उन समाजों के लिए हमेशा खुले होने चाहिएं जिसकी कई पीढिय़ां आतंवाद के कारण बर्बाद हो गई हैं।’’ ज्ञात हो कि ये बातें वाजपेयी जी ने कारगिल के बाद कही थीं।

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