सिद्धू ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कई कृषि मामलों को उठाया

Edited By Tania pathak,Updated: 13 Sep, 2021 11:24 AM

sidhu wrote a letter to the chief minister raised many agricultural matters

किसान संगठनों से बातचीत के 2 दिन बाद पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाम खुला पत्र लिखा है। पत्र में सिद्धू ने....

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): किसान संगठनों से बातचीत के 2 दिन बाद पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाम खुला पत्र लिखा है। पत्र में सिद्धू ने कई कृषि मसलों को तो उठाया है, लेकिन 2022 चुनाव प्रचार से जुड़े मसले का कोई जिक्र नहीं किया है। किसान संगठनों ने बीते दिनों चुनाव प्रचार के मसले को लेकर ही विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बैठक बुलाई थी, जिसमें पंजाब कांग्रेस की तरफ से सिद्धू, परगट सिंह और कुलजीत नागरा ने शिरकत की थी। इस बैठक के उपरांत अब सिद्धू ने 2 दिन बाद मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र लिखा है।

सिद्धू ने लिखा है कि यह चिट्ठी 32 किसान संगठनों द्वारा 10 सितम्बर को चंडीगढ़ में कांग्रेस पार्टी के साथ बुलाई गई बैठक में उठाई मांगों को ध्यान में लाने की खातिर और जरूरी कार्रवाई के संबंध में है। सबसे पहले किसान मांग कर रहे हैं कि प्रदेश में आंदोलन दौरान ङ्क्षहसा के मामलों में किसान संगठनों के खिलाफ दर्ज नाजायज और आधारहीन मामलों को रद्द किया जाए। सरकार हर मामले को हमदर्दी के आधार पर विचार करने और सभी नाजायज मामलों को रद्द करने के लिए एक कार्यप्रणाली स्थापित कर सकती है। दूसरा केंद्र सरकार के आदेश अनुसार फसल खरीद से पहले जमीन के मालिकाना हक के ब्यौरे की निशानदेही करने के लिए भूमि रिकॉर्ड फर्द मांगने का डर किसानों को सता रहा है। 

सिद्धू ने लिखा है कि वह निजी तौर पर मानते हैं कि यह बेइंसाफी है और उन किसानों के खिलाफ है, जो जमीन पट्टे/ठेके पर लेकर फसल बुआई करते हैं। जमीन की मलकीयत स्पष्ट न होने के कारण दशकों से राज्य में बहुत सारे हिस्सों में जमीन की बंटाई नहीं हुई और जमीन के बहुत सारे मालिक अब विदेशों में रह रहे हैं। 

यह सब आढ़तियों के जरिए एम.एस.पी. पर खरीद और आढ़तिया सिस्टम की मजबूत प्रणाली पर हमला और किसानों की एम.पी.एम.सी. मंडियों से दूर प्राइवेट मंडियों की तरफ धकेलने के लिए है, जहां ऐसे रिकॉर्ड की मांग नहीं की जा रही। उनका मानना है कि इस तरह केंद्र सरकार असल में ए.पी.एम.सी. और प्राइवेट मंडियों के अलग नियमों से एक राष्ट्र दो मंडियां बना रही है, इस बेइंसाफी के खिलाफ लडऩा चाहिए। पंजाब सरकार की प्रशंसा भी की सिद्धू ने पंजाब सरकार की प्रशंसा करते हुए लिखा कि पंजाब ने 2021-22 में खेतीबाड़ी के लिए अपने बजट खर्चे का 10.9 फीसदी अलॉट किया है, जिसमें 30 फीसदी सालाना बढ़ौतरी हुई है, जो दूसरे राज्यों द्वारा औसत आबंटन 6.3 फीसदी से कहीं ज्यादा है। खेतीबाड़ी के लिए 7181 करोड़ की बिजली सबसिडी दी गई। 2017 से लेकर अब तक किसानों के 5,810 करोड़ के कर्ज माफ किए गए और हाल ही में खेत मजदूरों व बेजमीन किसानों के 520 करोड़ के कर्जे माफ किए गए। किसी भी कीमत पर राज्य में तीनों कृषि कानून लागू नहीं होने देने चाहिएं। 

पंजाब में गहरे आर्थिक संकट का समाधान फसलों का एम.एस.पी.
पंजाब में खेतीबाड़ी के गहरे आॢथक संकट को लेकर केंद्रीय कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से भी आगे कदम उठाने चाहिएं और किसानों की आमदन बढ़ाने के लिए पंजाब के पास मौजूद हर ताकत का इस्तेमाल कर पंजाब की खेतीबाड़ी को प्रगतिशील दृष्टिकोण पेश करके हमें किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए। पंजाब को राज्य निगमों के जरिए दाल व तेल बीजों की खरीद शुरू करनी चाहिए, क्योंकि उन पर खेतीबाड़ी लागत और भाव कमीशन द्वारा एम.एस.पी. की घोषणा की जाती है। 

फसलों पर एम.एस.पी. किसानों के हाथों में भंडारण सामथ्र्य, सहकारिता के जरिए किसानों को वित्तीय सामथ्र्य को मजबूत करने और कॉर्पोरेट पर निर्भरता बगैर खेती को व्यापार के साथ जोडऩे के लिए खेती विभिन्नता में निवेश किया जाए।

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