‘जग बाणी’ टी.वी. के सवाल का असर:सिद्धू ने कैप्टन को लिखा पत्र-दुग्गलां वाली गली फिर से हो क्रॉलिंग स

Edited By swetha,Updated: 11 Apr, 2019 08:52 AM

sidhu writes letter to captain

पंजाब केसरी’ के सहयोगी चैनल ‘जग बाणी’ टी.वी. के सीनियर राजनीतिक संवाददाता रमनजीत सोढी द्वारा स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से किए गए एक इंटरव्यू के दौरान जलियांवाला बाग के साथ वाली दुग्गलां वाली गली के नाम को लेकर पूछे गए सवाल का असर हो गया...

जालंधर(स.ह.):पंजाब केसरी’ के सहयोगी चैनल ‘जग बाणी’ टी.वी. के सीनियर राजनीतिक संवाददाता रमनजीत सोढी द्वारा स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से किए गए एक इंटरव्यू के दौरान जलियांवाला बाग के साथ वाली दुग्गलां वाली गली के नाम को लेकर पूछे गए सवाल का असर हो गया है। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने दुग्गलां वाली गली का नाम फिर से क्रॉलिंग स्ट्रीट करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को पत्र लिखकर 13 अप्रैल से पहले नाम बदलने की मांग की है। इस गली में से अंग्रेजों के जुल्मो-सितम के चलते हिंदुस्तानियों को खड़े होकर निकलने की बजाय रेंग कर निकलना पड़ता था। 

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सिद्धू ने बताया कि वैसे तो केंद्र सरकार देशभक्ति और राष्ट्रवाद की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जलियांवाला बाग के गौरवमयी इतिहास की 100वीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाने के लिए जलियांवाला बाग ट्रस्ट के चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज तक न तो स्वयं कुछ किया और न ही पंजाब सरकार को इस ऐतिहासिक धरोहर के विकास की मंजूरी दी, जिस कारण 100वीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाने की पंजाब सरकार की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। 

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अफसोस है कि केंद्र सरकार के क्रैडिट वार और पंजाब सरकार से भेदभाव के कारण बलिदान की पराकाष्ठा के लिए हम कुछ नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह शेष रह गए हैं ,परंतु आज तक वहां एक ईंट तक नहीं लगी। अब 13 अप्रैल को ट्रस्ट द्वारा 100वीं वर्षगांठ कार्यक्रम मात्र खानापूर्ति होगा और शहीदों की शहादत केवल फोटो सैशन तक सीमित रह जाएगी। 

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क्रॉलिंग स्ट्रीट की ऐतिहासिकता
10 अप्रैल 1919 के दिन मिस मार्सेला शीयरवुड इस तंग गली (कूचा कोडियां वाला ) से साइकिल पर गुजर रही थीं कि भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। उस समय हमला करने वालों से मोहल्ले के कुछ लोगों ने शीयरवुड को बचा लिया लेकिन अमृतसर में घटी इस घटना को ब्रिटिश सरकार ने निजी हमले के रूप में नहीं लिया और जनरल डायर ने इस गली का दौरा किया और एक रस्सी बंधवा दी।

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रस्सी बंधवाने का अर्थ था कि इस गली से जो भी गुजरेगा वह रेंगते हुए गुजरेगा। यहीं पर एक मंदिर था और अंग्रेज सरकार का आदेश नहीं मानने वालों पर मंदिर के कुएं के पास बांधकर कोड़े बरसाए जाते थे।  

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