दिग्गजों की राजनीति में क्लीन बोल्ड हुए सिद्धू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 10:50 PM

sidhu is bold in the politics of giants

भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके स्टार प्रचारक एवं अंतर्रा$ष्ट्रीय पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस में शामिल होने के पहले ही वर्ष जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, उसे देख सिद्धू को भविष्य में कहीं न कहीं पछताना भी पड़ सकता...

अमृतसर(महेन्द्र): भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके स्टार प्रचारक एवं अंतर्राष्ट्रीय पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस में शामिल होने के पहले ही वर्ष जिस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, उसे देख सिद्धू को भविष्य में कहीं न कहीं पछताना भी पड़ सकता है। 

अगर सिद्धू को आगे भी कई अहम मुद्दों पर इसी तरह नजरअंदाज किया जाना जारी रहा, तो ऐसी स्थिति में उन्हें अकाली-भाजपा गठबंधन के कार्यकाल में जिस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा था, कहीं कांग्रेस में भी ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़ जाए। जिस तरह से स्थानीय निकाय मंत्री होने के बावजूद निगम के महांपौरों की नियुक्तियों को लेकर सिद्धू को पूरी तरह से दर किनार किया गया है, उससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के पश्चात पहले ही वर्ष में सिद्धू कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े दिगगजों की राजनीति का शिकार हो ही गए हैं। सिद्धू के साथ ही भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए वे सभी भाजपाई भी आज-अंदर ही अंदर मायूस हुए दिखाई देने लगें हैं। अगर ऐसी ही स्थिति जारी रही, तो सिद्धू का राजनीतिक भविष्य भी कहीं न कहीं प्रभावित हो सकता है। 

सिद्धू को कैश करने के पश्चात किया गया दरकिनार 
देश में हर तरफ जहां भाजपा की स्थिति मजबूत होती दिखाई दे रही थी, वहीं कांग्रेस की हालत हर तरफ कमजोर होती दिखाई दे रही थी। गत वर्ष पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सिद्धू कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पहले आम आदमी पार्टी में शामिल होने का भी प्रयास किया था। इसके अलावा उन्होनें बैंस ब्रदर्ज तथा हाकी के पूर्व खिलाड़ी प्रगट सिंह के साथ मिल कर अलग से फ्रन्ट बनाने का भी प्रयास किया था लेकिन पर्दे के पीछे सिद्धू कांग्रेस के संपर्क भी चल रहे थे। उस दौरान पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन का आप तथा कांग्रेस के साथ तिकोना मुकाबला होने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही थी लेकिन आप की कुछ शर्तों पर सहमति न होने के कारण सिद्धू कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संपर्क में रहते हुए पंजाब के डिप्टी सी.एम. बनने की शर्त पर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 

हालांकि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने उस दौरान शुरू-शुरू में सिद्धू को कांग्रेस में शामिल करवाने में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई दी थी लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करवाने के इरादे से सिद्धू से हाथ मिला लिया था जिसका कांग्रेस को फायदा मिला भी और उसके पश्चात निगम चुनावों में भी सिद्धू को कांग्रेस खूब कैश करने में कामयाब रही थी। अब जब पंजाब के तीनों निगमों में कांग्रेस शानदार जीत हासिल कर चुकी थी, कांग्रेस प्रदेश हाईकमान ने अपना मतलब निकालने के पश्चात सिद्धू को अंदर ही अंदर दरकिनार करना शुरू कर दिया था। जिसका सबसे पहले खुल कर खुलासा निगम महापौर की नियुक्ति को लेकर लिए गए फैसले के दौरान हुआ। सिद्धू को अब जा कर समझ आ रही है कि कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए उन्हें कैश कर चुकी है और अब अकालियों की तरह उनसे व्यवहार करने लग पड़ी है। 

2019 के संसदीय चुनावों से पहले हो सकता है सियासी धमाका 
अंदर ही अंदर सिद्धू व उनके समर्थक कांग्रेस की सिद्धू के प्रति बरती जाने वाली योजनाओं से भली भान्ति परिचित हो चुकें हैं। दूसरी तरफ सिद्धू खुद और उनके समर्थक, जो कि भाजपा छोड़ सिद्धू के साथ ही कांग्रेस में शामिल हुए थे, भी भली-भान्ति जान चुकें हैं कि कांग्रेस में उनका भविष्य लंबे समय तक उज्जवल नहीं है। इसलिए समय की नजाकत को देखते हुए सिद्धू और उनके समर्थक फिलहाल चौकसी बरतते हुए अंदर ही अंदर नई योजनाएं तैयार करते हुए आगामी दिनों में वर्ष 2019 में होने जा रहे संसदीय चुनावों से पहले-पहले कोई बड़ा धमाका कर सकते हैं। 

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