Edited By Vaneet,Updated: 12 Apr, 2018 07:53 PM
तीस साल पुराने रोडरेज एवं गैर-इरादतन हत्या मामले में पंजाब की कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं ...
नई दिल्ली/चंडीगढ़: तीस साल पुराने रोडरेज एवं गैर-इरादतन हत्या मामले में पंजाब की कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की समस्या बढ़ सकती है।
पंजाब सरकार ने इस मामले में अपने ही कैबिनेट मंत्री सिद्धू की तीन साल की सजा बरकरार रखने का समर्थन किया है। वहीं जब इस मामले में पंजाब केसरी के सवांददाता ने सिद्धूू से बात की तो उन्होंने कहा कि वह तेलंगाना में हैं इस मामले में कैप्टन अमरेंद्र सिंह और एडवोकेट जनरल ही जवाब दे सकते हैं। राज्य सरकार के वकील ने शीर्ष अदालत में कहा कि इस मामले में शामिल होने से इन्कार करने वाले पूर्व क्रिकेटर का बयान झूठा है और मामले के चश्मदीद पर भरोसा किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार के वकील से यह भी पूछा कि इस मामले में दूसरे आरोपी रुपिंदर सिंह सिद्धू को कैसे पहचाना गया, जबकि उसका नाम प्राथमिकी में दर्ज नहीं था।
2006 में मिली थी तीन साल की सजा
गौरतलब है कि वर्ष 1998 के रोडरेज के एक मामले में साल 2006 में उच्च न्यायालय से सिद्धू को तीन साल की सजा मिली थी। इसके खिलाफ सिद्धू ने शीर्ष अदालत में अपील की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के अधिवक्ता ने सजा बरकरार रखने की सलाह दी। इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। उधर, पीड़ित पक्ष गुरनाम सिंह के परिवार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करके कहा है कि सिद्धू को मिली तीन साल की सजा काफी नहीं है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
यह था मामला
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। सरकार ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं बल्कि हृदय गति रूकने से हुई थी। पंजाब सरकार के वकील ने कहा, ‘‘ इस बात का एक भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है कि मौत की वजह दिल का दौरा पडऩा या ब्रेन हैमरेज थी। निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था। आरोपी ए1 (नवजोत सिंह सिद्धू) ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उनकी मौत हो गई।’’